भारत-अमेरिका रिश्तों में नई गर्माहट: ट्रंप-मोदी के बीच लगातार संवाद, व्यापार वार्ता जारी
नई दिल्ली/वाशिंगटन।
भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक और रणनीतिक संबंधों में एक नई गति देखने को मिल रही है। व्हाइट हाउस ने खुलासा किया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हाल के दिनों में लगातार बातचीत हो रही है। दोनों नेता व्यापार, निवेश और वैश्विक स्थिरता से जुड़े अहम मुद्दों पर संवाद बनाए हुए हैं। वहीं, अमेरिका के घरेलू बाजार में महंगाई तेज़ी से बढ़ रही है, जिससे गैस, भोजन और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भारी उछाल आया है। इस बीच भारत ने अपने निर्यात क्षेत्र में नए बाजारों की तलाश कर आर्थिक संबंधों को विविधता देने में बड़ी सफलता हासिल की है।
ट्रंप-मोदी के बीच जारी संपर्क
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच नियमित संवाद हो रहा है। उन्होंने कहा कि “दोनों नेता व्यापारिक संबंधों को और सशक्त करने के लिए गंभीर चर्चा कर रहे हैं। भारत और अमेरिका के बीच यह सहयोग वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है।”
लेविट ने यह भी बताया कि ट्रंप और मोदी की हालिया मुलाकात ओवल ऑफिस में दिवाली समारोह के अवसर पर हुई थी। इस दौरान दोनों नेताओं ने आर्थिक साझेदारी, रक्षा सहयोग, और ऊर्जा सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। व्हाइट हाउस ने भारत में अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर की भूमिका की भी सराहना की, जिन्हें “भारत-अमेरिका संबंधों को नई ऊँचाई तक ले जाने वाला कुशल राजनयिक” बताया गया।
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अमेरिका में महंगाई की मार
दूसरी ओर, अमेरिकी जनता इन दिनों महंगाई की गंभीर मार झेल रही है। गैस, भोजन और किराना वस्तुओं की कीमतों में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक, बढ़ती ब्याज दरें, ऊर्जा लागत और सप्लाई चेन की रुकावटों ने अमेरिकी बाजार की स्थिति को और कठिन बना दिया है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ट्रंप प्रशासन को आगामी चुनावों से पहले इस आर्थिक दबाव को कम करने के उपायों पर ध्यान देना होगा।
भारत को मिले नए कारोबारी साथी
अमेरिकी आर्थिक अस्थिरता के बीच भारत ने वैश्विक व्यापार के नए आयाम खोले हैं। जहां पहले अमेरिका भारत के निर्यात के लिए सबसे बड़ा गंतव्य था, अब भारत ने कई नए देशों में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। इससे भारत की अर्थव्यवस्था को स्थायित्व और विविधता दोनों मिली है।
समुद्री उत्पादों का रिकॉर्ड निर्यात
जनवरी से सितंबर 2025 के बीच भारत के समुद्री उत्पादों के निर्यात में 15.6% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो 4.83 अरब डॉलर तक पहुँच गया है। हालांकि अमेरिका अभी भी 1.44 अरब डॉलर के साथ सबसे बड़ा बाजार बना हुआ है, लेकिन वियतनाम, बेल्जियम और थाईलैंड जैसे देशों में भारतीय समुद्री उत्पादों की मांग में जबरदस्त उछाल देखा गया है।
- वियतनाम में निर्यात 100% से अधिक बढ़ा है।
- बेल्जियम में 73% और थाईलैंड में 54% की वृद्धि दर्ज की गई है।
- चीन, जापान और मलेशिया जैसे देशों में भी भारतीय उत्पादों की माँग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
कपड़ा उद्योग की मजबूती
भारतीय टेक्सटाइल सेक्टर ने अमेरिका पर निर्भरता घटाकर नए बाजारों में अपनी जगह बनाई है। जनवरी से सितंबर 2025 के बीच कपड़ा निर्यात 1.23% बढ़कर 28 अरब डॉलर के पार पहुँच गया है।
- यूएई में निर्यात में 8.6%
- नीदरलैंड में 11.8%
- पोलैंड में 24%
- और मिस्र में 24.5% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
भारतीय कपड़ा उद्योग अब न केवल एशिया में बल्कि यूरोप और पश्चिम एशिया में भी मजबूत स्थिति में आ चुका है।
ज्वेलरी एक्सपोर्ट में भारत की चमक
भारत के रत्न और आभूषण उद्योग ने भी विदेशों में अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखी है। इस साल की पहली छमाही में जेम्स और ज्वेलरी एक्सपोर्ट 1.24% बढ़कर 22.73 अरब डॉलर तक पहुँच गया है।
- यूएई में 37.7%
- दक्षिण कोरिया में 134%
- सऊदी अरब में 68%
- और कनाडा में 41% की वृद्धि दर्ज की गई है।
इन आँकड़ों से स्पष्ट है कि भारत के ज्वेलरी सेक्टर ने वैश्विक बाजार में अपनी प्रतिष्ठा और भरोसे को बनाए रखा है।
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता का नया दौर
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता अब केवल आर्थिक समझौतों तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि इसमें रक्षा, तकनीक, ऊर्जा और डिजिटल नवाचार जैसे क्षेत्र भी शामिल हो गए हैं। दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की संभावनाओं पर भी विचार चल रहा है। भारत का उद्देश्य है कि अमेरिकी बाजार में अपने उत्पादों के लिए बेहतर शर्तें प्राप्त की जाएँ, वहीं अमेरिका चाहता है कि भारत अपनी डिजिटल नीतियों और डेटा सुरक्षा नियमों में अधिक पारदर्शिता लाए।
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नए युग की ओर बढ़ते भारत-अमेरिका संबंध
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप-मोदी संवाद केवल दो नेताओं की बातचीत नहीं, बल्कि दो लोकतांत्रिक देशों की साझा रणनीतिक दिशा का संकेत है। भारत जहां अपनी आर्थिक शक्ति और वैश्विक उपस्थिति बढ़ा रहा है, वहीं अमेरिका को भी एशिया में भारत एक स्थायी सहयोगी के रूप में दिख रहा है। आने वाले वर्षों में यह साझेदारी व्यापार, रक्षा, और तकनीकी क्षेत्रों में और अधिक गहराई हासिल कर सकती है।
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