भारत-अमेरिका टैरिफ विवाद गहराया: ट्रंप की नई चेतावनी, भारत ने बताया अविवेकपूर्ण फैसला
नई दिल्ली / वाशिंगटन। भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में भारी खटास देखने को मिल रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ के बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका है। इस टैरिफ को भारत द्वारा रूस से तेल की खरीद जारी रखने का दंड बताया गया है। अब ट्रंप ने एक बार फिर विवादास्पद बयान देते हुए भारत पर और अधिक प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दे डाली है।
🛢️ तेल आयात पर अमेरिका की नाराजगी
डोनाल्ड ट्रंप का ताजा बयान व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान आया, जहां उनसे पूछा गया कि रूस से तेल खरीदने पर भारत को निशाना क्यों बनाया जा रहा है जबकि चीन जैसे देश भी यही काम कर रहे हैं। इस पर ट्रंप ने कहा:
“अभी तो सिर्फ़ आठ घंटे ही हुए हैं। देखते हैं आगे क्या होता है। आपको और भी बहुत कुछ देखने को मिलेगा। कई अतिरिक्त प्रतिबंध भी देखे जाएंगे।”
उन्होंने संकेत दिया कि भारत के अलावा अन्य देशों, विशेषकर चीन पर भी ऐसे ही टैरिफ लगाए जा सकते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि
“मैं अभी नहीं कह सकता, लेकिन ऐसा संभव है।”
🏛️ ट्रंप की कार्रवाई और कार्यकारी आदेश
ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने के लिए कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। यह टैरिफ कुछ विशेष छूट प्राप्त उत्पादों को छोड़कर, अधिकतर भारतीय वस्तुओं पर लागू होगा।
इससे भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात प्रभावित हो सकता है।
कुल टैरिफ दर अब 50% तक पहुंच गई है, जिससे भारतीय व्यापारियों को भारी नुकसान की आशंका है।
🗓️ टैरिफ लागू होने की समय-रेखा:
टैरिफ प्रकार
प्रभावी तिथि
प्रारंभिक टैरिफ (25%)
7 अगस्त से
अतिरिक्त टैरिफ (25%)
27 अगस्त से
🧾 ट्रंप की रणनीति: दबाव के साथ संवाद की गुंजाइश
हालांकि ट्रंप ने दबाव बनाने के लिए टैरिफ का हथियार इस्तेमाल किया है, लेकिन उन्होंने वार्ता का रास्ता भी खुला रखा है। कार्यकारी आदेश के अनुसार:
27 अगस्त से अतिरिक्त टैरिफ लागू होंगे।
लेकिन 25 अगस्त को अमेरिकी व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भारत आएगा।
इससे पहले भी टैरिफ को 1 अगस्त से बढ़ाकर 7 अगस्त किया गया था, जिससे बातचीत की संभावनाएं बनी रहें।
इससे स्पष्ट है कि अमेरिका भारत को दबाव में लाकर समझौते के लिए मजबूर करना चाहता है, लेकिन पूर्ण रूप से दरवाजे बंद नहीं किए हैं।
VIDEO | Washington: US President Donald Trump (@realDonaldTrump) addressing a press conference says, “On Saturday, my Administration helped broker a full and immediate ceasefire — I think a permanent one — between India and Pakistan, ending a dangerous conflict of two nations… pic.twitter.com/H41IVJuiIQ
🇮🇳 भारत की तीखी प्रतिक्रिया: टैरिफ अविवेकपूर्ण और अन्यायपूर्ण
भारत सरकार ने अमेरिकी टैरिफ नीति की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि:
“भारत का ऊर्जा आयात उसके राष्ट्रीय हित और वैश्विक बाजारों के नियमों पर आधारित है। रूस से तेल खरीदना एक व्यावसायिक और रणनीतिक निर्णय है।”
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा:
50% टैरिफ अनुचित, अन्यायपूर्ण और अविवेकपूर्ण हैं।
भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।
हम अमेरिका के इस कदम को डब्ल्यूटीओ (WTO) में चुनौती देने पर भी विचार कर रहे हैं।
🔍 भारत क्यों रूस से तेल खरीदता है?
भारत के ऊर्जा विशेषज्ञों के अनुसार, रूस से तेल खरीदना:
सस्ती दरों पर कच्चा तेल सुनिश्चित करता है।
भारत की ऊर्जा सुरक्षा नीति का हिस्सा है।
अमेरिका की तरह भारत भी अपने रणनीतिक हितों को प्राथमिकता देता है।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है और वैश्विक तेल बाजारों में मूल्य अस्थिरता को लेकर पहले ही चिंतित है।
🌐 अमेरिका का दोहरा मापदंड?
विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका का भारत पर टैरिफ लगाना भेदभावपूर्ण है, क्योंकि चीन, ब्राजील और अन्य देश भी रूस से तेल खरीद रहे हैं। फिर भी टारगेट सिर्फ भारत को किया गया।
“यह स्पष्ट रूप से एकतरफा और भेदभावपूर्ण कार्रवाई है, जो वैश्विक व्यापार मानदंडों के खिलाफ है।” – वाणिज्य नीति विशेषज्ञ, प्रो. अजय जैन
📈 व्यापार पर प्रभाव: भारतीय निर्यातकों की चिंता
टैरिफ बढ़ने से जिन भारतीय उत्पादों पर असर पड़ सकता है, उनमें शामिल हैं:
कपड़ा और परिधान
चमड़ा और जूते
सी फूड और कृषि उत्पाद
फार्मास्युटिकल्स और ऑटो पार्ट्स
निर्यातक संगठनों का कहना है कि यह फैसला भारतीय उत्पादों की अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा घटा देगा।
🔮 आगे क्या हो सकता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि:
भारत को जल्द ही रणनीतिक वार्ता की दिशा में पहल करनी होगी।
अमेरिका के साथ ऊर्जा, सुरक्षा और व्यापार तीनों मोर्चों पर संतुलन बनाना होगा।
यदि वार्ता विफल रहती है, तो भारत भी जवाबी टैरिफ लगाने का विकल्प तलाश सकता है।
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