अमेरिका ने यूरोप से भारत-चीन पर 100% तक टैरिफ लगाने की अपील की, रूस की तेल कमाई रोककर युद्ध खत्म करने का दावा
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट की सख्त अपील: यूरोप भारत-चीन पर भारी टैरिफ लगाए, रूस की तेल कमाई रोककर 90 दिन में युद्ध खत्म होगा
वॉशिंगटन/नई दिल्ली। यूक्रेन युद्ध को रोकने के प्रयासों के बीच अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने यूरोपीय देशों से भारत और चीन पर 50% से 100% तक टैरिफ लगाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि रूस की तेल कमाई को रोकना ही यूक्रेन में जारी युद्ध को समाप्त करने का सबसे बड़ा हथियार है और इसमें यूरोप को निर्णायक भूमिका निभानी होगी।
बेसेंट ने सोमवार को ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में कहा कि जब तक यूरोपीय देश भारत और चीन पर भारी टैरिफ नहीं लगाते, तब तक अमेरिका अपने स्तर पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने पर विचार नहीं करेगा।
रूस की आय काटना ही मकसद
अमेरिकी वित्त मंत्री का कहना है कि रूस की अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा सहारा उसका तेल निर्यात है। अगर यूरोप रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर टैरिफ लगाए, तो मॉस्को की आय का मुख्य जरिया खत्म हो जाएगा और युद्ध 60 से 90 दिनों में समाप्त हो सकता है। उन्होंने कहा, “मैं गारंटी देता हूं कि यूरोप अगर कठोर टैरिफ लगाए, तो युद्ध लंबे समय तक नहीं चलेगा।”
चीन और भारत पर आरोप
बेसेंट का यह बयान हाल ही में चीन के साथ टिकटॉक और तेल व्यापार को लेकर हुई बातचीत के बाद आया है। उन्होंने कहा कि चीन रूस से तेल खरीदने को अपना आंतरिक मामला मानता है। वहीं, ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि भारत और चीन रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीद रहे हैं, जिससे पुतिन को यूक्रेन पर हमला जारी रखने में मदद मिल रही है।
रूस की तेल कंपनियों पर नए प्रतिबंध की तैयारी
बेसेंट ने संकेत दिया कि अमेरिका यूरोप के साथ मिलकर रूस की बड़ी तेल कंपनियों जैसे रोसनेफ्ट और लुकोइल पर नए प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहा है। इसके साथ ही 2022 में यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद फ्रीज की गई रूस की करीब 300 अरब डॉलर की संपत्ति को भी इस्तेमाल करने पर विचार हो रहा है। इस राशि का उपयोग यूक्रेन के लिए कर्ज गारंटी के रूप में किया जा सकता है।
ट्रम्प की सख्त चेतावनी
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी चीन और भारत पर टैरिफ बढ़ाने की अपील की थी। तीन दिन पहले ट्रम्प ने नाटो देशों और अन्य सहयोगियों को पत्र लिखकर कहा था कि अगर नाटो चीन पर 50% से 100% तक टैरिफ लगाए, तो रूस पर उसका प्रभाव तेजी से पड़ेगा और युद्ध को खत्म किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि यह टैरिफ युद्ध खत्म होते ही हटा लिया जाएगा।
ट्रम्प ने पत्र में यह भी कहा था कि कुछ नाटो देश अब भी रूस से तेल खरीद रहे हैं, जो गलत है। इससे उनकी वार्ताओं की ताकत कमजोर होती है और रूस को युद्ध जारी रखने में मदद मिलती है। उन्होंने सख्त लहजे में कहा, “यह मेरा युद्ध नहीं है, यह बाइडेन और जेलेंस्की का युद्ध है। अगर आप मेरी बात मानते हैं, तो युद्ध जल्दी खत्म होगा और हजारों जानें बचेंगी। अगर नहीं, तो आप मेरा और अमेरिका का समय बर्बाद कर रहे हैं।”
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यूरोप की भूमिका अहम
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और यूरोप के बीच इस मुद्दे पर समन्वय बेहद जरूरी है। यूरोप रूस का सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता रहा है और अगर वह भारत-चीन जैसे देशों पर टैरिफ लगाता है, तो वैश्विक स्तर पर रूसी तेल कारोबार को बड़ा झटका लगेगा। हालांकि, भारत का अब तक का रुख यह रहा है कि वह अपने ऊर्जा हितों को ध्यान में रखकर ही तेल खरीद के फैसले करता है।
अमेरिकी वित्त मंत्री और राष्ट्रपति दोनों के बयानों से साफ है कि पश्चिमी देशों की रणनीति अब सीधे तौर पर भारत और चीन पर दबाव बनाने की ओर बढ़ रही है। आने वाले समय में यूरोप की नीति इस बात को तय करेगी कि क्या रूस की तेल आय को वास्तव में रोका जा सकता है और क्या इससे यूक्रेन युद्ध जल्दी समाप्त होगा।
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