टेक कंपनियों को राहत, आम उपभोक्ताओं के लिए सस्ते होंगे स्मार्टफोन और लैपटॉप
वॉशिंगटन।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई वाले प्रशासन ने हाल ही में एक अहम फैसला लिया है, जिससे न केवल तकनीकी कंपनियों को बड़ी राहत मिली है, बल्कि आम अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए भी स्मार्टफोन, लैपटॉप और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की कीमतों में राहत आने की उम्मीद है।
ट्रंप सरकार ने “रेसिप्रोकल टैरिफ” (जैसे को तैसा कर नीति) के तहत कुछ प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को टैरिफ से छूट देने का ऐलान किया है। यह घोषणा ऐसे समय में आई है, जब हाल ही में अमेरिका ने विदेशों से आने वाले कई सामानों पर इतिहास में सबसे ज्यादा टैरिफ, यानी 145% तक का अतिरिक्त शुल्क लगा दिया था।
चीन से आने वाले उत्पादों पर राहत
अमेरिकी कस्टम एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (CBP) द्वारा जारी नोटिस के अनुसार, चीन से अमेरिका में आयात होने वाले स्मार्टफोन, कंप्यूटर और अन्य हाई-डिमांड इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स को अब इस टैरिफ से छूट दी गई है। इन उत्पादों में शामिल हैं:
- स्मार्टफोन और लैपटॉप
- सेमीकंडक्टर और उससे जुड़ी मशीनरी
- फ्लैट-पैनल डिस्प्ले (जैसे LED स्क्रीन)
- सोलर सेल्स, फ्लैश ड्राइव और मेमोरी कार्ड
इस फैसले को खासतौर पर अमेरिका की बड़ी टेक कंपनियों — जैसे Apple, Dell, HP, Intel और Nvidia — के लिए राहतभरा माना जा रहा है।
क्यों जरूरी थी ये छूट?
अमेरिका में इन इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की मांग बहुत ज्यादा है, लेकिन इनका अधिकतर उत्पादन चीन और अन्य एशियाई देशों में होता है। भारी टैरिफ लगने के कारण अमेरिका में उपभोक्ताओं को ये उत्पाद काफी महंगे दामों पर मिल रहे थे, जिससे खुदरा बाजार भी प्रभावित हो रहा था।
टेक इंडस्ट्री से जुड़े कई संगठनों ने हाल ही में सरकार को चेताया था कि उच्च शुल्क से इलेक्ट्रॉनिक्स की कीमतें इतनी बढ़ जाएंगी कि टेक्नोलॉजी आम नागरिकों की पहुंच से बाहर हो जाएगी, जिससे अमेरिका की इनोवेशन रफ्तार धीमी पड़ सकती है।
अमेरिका के भीतर मैन्युफैक्चरिंग की रणनीति अभी अधूरी
हालांकि ट्रंप प्रशासन लगातार यह कहता रहा है कि वह अमेरिका में ही मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना चाहता है, लेकिन हकीकत यह है कि अब भी अधिकांश टेक प्रोडक्ट्स का उत्पादन चीन जैसे देशों में होता है।
इसलिए जब अमेरिका ने भारी टैरिफ लगाया, तो दबाव आम जनता और खुद अमेरिकी कंपनियों पर पड़ा, जिससे सरकार को टैरिफ में छूट देने का निर्णय लेना पड़ा।
विशेषज्ञों की राय
इकोनॉमिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह कदम तात्कालिक राहत तो जरूर देगा, लेकिन यह भी दर्शाता है कि अमेरिका को अपने तकनीकी ढांचे और मैन्युफैक्चरिंग नीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।
यह फैसला ट्रंप सरकार के आगामी चुनावों से पहले टेक कंपनियों और मध्यम वर्ग के बीच नाराजगी कम करने की एक रणनीति भी माना जा रहा है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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