अमेरिका ने भारत पर लगाए आर्थिक प्रतिबंध, रूस पर दबाव बनाने की कोशिश; ट्रम्प बोले- व्यापार से रुकेगा संघर्ष
वॉशिंगटन/नई दिल्ली।
अमेरिका ने रूस पर अप्रत्यक्ष दबाव डालने के लिए भारत पर आर्थिक प्रतिबंधों का ऐलान किया है। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलीन लीविट ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उनका कहना था कि भारत पर लगाए गए ये कदम किसी टकराव का हिस्सा नहीं बल्कि रूस पर “सेकेंडरी प्रेशर” डालने की रणनीति है, ताकि उसे युद्ध खत्म करने पर मजबूर किया जा सके।
भारत पर दोहरी मार : टैरिफ और पेनल्टी
डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने अब तक भारत पर कुल 50 टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है। इनमें से
- 25% रेसीप्रोकल (जैसे को तैसा) टैरिफ 7 अगस्त से लागू किया जा चुका है।
- वहीं 25% पेनल्टी, जो रूस से तेल खरीदने पर लगाई जाएगी, 27 अगस्त से लागू होगी।
अमेरिका के अनुसार यह पेनल्टी सीधे तौर पर भारत को नहीं बल्कि रूस की ऊर्जा अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए है।
भारत पर अमेरिका ने टैरिफ़ नहीं Sanctions (प्रतिबंध) लगाया है? व्हाइट हाउस की प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप पर युद्ध ख़त्म करने का दबाव है. रुस पर दबाव डालने के लिए उन्होंने भारत पर प्रतिबंध लगाया है.
— Milind Khandekar (@milindkhandekar) August 20, 2025
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ट्रम्प की मध्यस्थ की भूमिका
कैरोलीन लीविट ने यह भी दावा किया कि ट्रम्प प्रशासन ने बीते वर्षों में व्यापार को हथियार की तरह इस्तेमाल करके कई संघर्षों को रोका है।
- भारत-पाक संघर्ष : “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम कराने में ट्रम्प की भूमिका बताई गई।
- अजरबैजान-आर्मेनिया : ट्रम्प ने दोनों देशों के बीच शांति समझौता कराने का श्रेय भी लिया।
- अफ्रीका : रवांडा और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो के बीच संघर्ष रोकने में भी उनकी पहल का उल्लेख किया गया।
व्हाइट हाउस के मुताबिक, इस समय ट्रम्प का सबसे ज्यादा ध्यान रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-हमास संघर्ष खत्म कराने पर है।

जेलेंस्की से मुलाकात और पुतिन से बातचीत
सिर्फ दो दिन पहले, ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से मुलाकात की।
- जेलेंस्की ने इस बैठक को अब तक की “सबसे अच्छी बातचीत” बताया।
- हालांकि तत्काल युद्धविराम पर कोई सहमति नहीं बनी। ट्रम्प का कहना था कि “इतनी जल्दी सीजफायर संभव नहीं है।”
बैठक के दौरान ट्रम्प ने अचानक मीटिंग रोककर पुतिन से 40 मिनट फोन पर बात की। पुतिन ने प्रतिनिधि स्तर की सीधी वार्ता का समर्थन किया और अगले 15 दिन के भीतर इसे आयोजित करने पर सहमति जताई।
बैठक के बाद जेलेंस्की ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि यूक्रेन सुरक्षा गारंटी के बदले यूरोपीय फंडिंग से 90 अरब डॉलर (करीब 8 लाख करोड़ रुपए) के अमेरिकी हथियार खरीदेगा।

पुतिन-ट्रम्प की अलास्का बैठक
इससे पहले 15 अगस्त को अलास्का में पुतिन और ट्रम्प की 3 घंटे लंबी बैठक हुई थी।
- बैठक के बाद मात्र 12 मिनट की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई।
- दोनों नेताओं ने पत्रकारों के सवाल नहीं लिए और यह संकेत दिया कि अभी कोई ठोस डील नहीं बनी है।
- ट्रम्प ने बैठक को “10 में से 10 अंक” दिए, जबकि पुतिन ने अगली मुलाकात मॉस्को में करने का प्रस्ताव रखा।

रूस-यूक्रेन की स्थिति
वर्तमान में रूस यूक्रेन के करीब 20% हिस्से (1.14 लाख वर्ग किलोमीटर) पर नियंत्रण बनाए हुए है। इसमें क्रीमिया, डोनेट्स्क, लुहांस्क, खेरसॉन और जापोरिजिया जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं।
- रूस इन्हें अपनी ऐतिहासिक और सामरिक धरोहर मानता है और इन्हें छोड़ने को तैयार नहीं है।
- दूसरी तरफ जेलेंस्की का कहना है कि “यूक्रेन की एक इंच जमीन भी रूस को नहीं दी जाएगी।”
उनका तर्क है कि अगर अभी यूक्रेन पीछे हटा तो देश की संप्रभुता कमजोर होगी और रूस को भविष्य में और बड़े हमले करने का मौका मिल जाएगा।
ट्रम्प प्रशासन का भारत पर आर्थिक दबाव बनाना केवल एक आर्थिक कदम नहीं, बल्कि रूस के खिलाफ वैश्विक रणनीति का हिस्सा है। सवाल यह है कि इन प्रतिबंधों से रूस-यूक्रेन युद्ध पर असर होगा या भारत-अमेरिका संबंधों में नया तनाव पैदा होगा? यह आने वाले दिनों में साफ होगा।
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