- अदालत ने व्हाट्सएप हैकिंग पर स्थायी रोक लगाई, जुर्माना घटाया लेकिन कहा— अब अमेरिका में काम करना मुश्किल होगा
इज़रायल। विश्वभर में विवादों में रही इज़रायली जासूसी कंपनी एनएसओ (NSO Group) को अमेरिका की एक अदालत से बड़ा झटका लगा है। अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने मेटा के स्वामित्व वाले प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप में सेंधमारी के मामले में एनएसओ पर स्थायी प्रतिबंध लगा दिया है। अदालत ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि कंपनी ने इस आदेश का उल्लंघन किया, तो उसे अमेरिका से बाहर निकाला जा सकता है। यह फैसला तकनीकी दुनिया में एक ऐतिहासिक निर्णय माना जा रहा है, क्योंकि एनएसओ का नाम लंबे समय से वैश्विक जासूसी और मानवाधिकार उल्लंघनों से जुड़ा रहा है।
व्हाट्सएप पर जासूसी करने पर लगी स्थायी रोक
अमेरिका की यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की न्यायाधीश फिलिस हैमिल्टन ने अपने 25 पृष्ठों के फैसले में एनएसओ ग्रुप द्वारा व्हाट्सएप के सर्वर और सॉफ्टवेयर में सेंध लगाने की कोशिशों पर स्थायी प्रतिबंध लगाया है। अदालत ने कहा कि किसी भी निजी कंपनी को ऐसे साइबर हमलों की अनुमति नहीं दी जा सकती, जो नागरिकों की निजता और सुरक्षा के अधिकारों का उल्लंघन करते हों।
फैसले में अदालत ने यह भी जोड़ा कि एनएसओ की गतिविधियाँ “अंतरराष्ट्रीय साइबर सुरक्षा के लिए खतरा” हैं, और अमेरिका में उसका संचालन अब “गंभीर निगरानी” के अधीन रहेगा।
167 मिलियन डॉलर से घटाकर 4 मिलियन डॉलर का जुर्माना
अदालत ने एनएसओ पर पहले लगाए गए 167 मिलियन डॉलर के हर्जाने में बड़ी कटौती करते हुए अब इसे 4 मिलियन डॉलर कर दिया है। यह रकम कंपनी को व्हाट्सएप को बतौर हर्जाना चुकानी होगी।
हालाँकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि जुर्माने में कमी का मतलब यह नहीं है कि कंपनी की गलती कम हो गई है। बल्कि यह केवल वित्तीय व्यावहारिकता के आधार पर लिया गया निर्णय है।
व्हाट्सएप प्रमुख विल कैथकार्ट ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर इस फैसले का स्वागत करते हुए लिखा —
“छह साल की कानूनी लड़ाई के बाद न्याय मिला है। अब एनएसओ को सिविल सोसाइटी के सदस्यों पर निगरानी रखने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकेगा।”
पेगासस विवाद और एनएसओ की बदनाम छवि
एनएसओ ग्रुप का नाम दुनिया भर में पेगासस स्पाइवेयर के कारण चर्चित रहा है। यह वही सॉफ्टवेयर है जो किसी मोबाइल फोन या इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में उसकी सुरक्षा कमजोरी का फायदा उठाकर घुसपैठ कर लेता है और फिर कॉल, संदेश, लोकेशन और कैमरा तक की निगरानी करने लगता है।
पेगासस के माध्यम से कई देशों में पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, राजनीतिक नेताओं और अधिकारियों की जासूसी के आरोप लगे थे। भारत समेत कई देशों में इस पर राजनीतिक विवाद भी हुआ था।
अब अदालत के इस ताजा फैसले के बाद एनएसओ की प्रतिष्ठा को और बड़ा झटका लगा है। अमेरिका में उसके संचालन पर रोक लगने का मतलब है कि उसकी कई अंतरराष्ट्रीय साझेदारियाँ भी खतरे में पड़ सकती हैं।
एनएसओ की सफाई – “फैसले से हमारे ग्राहकों पर असर नहीं”
अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए एनएसओ ने कहा कि वह कोर्ट के निर्णय का सम्मान करती है, लेकिन उसका मानना है कि इस फैसले का असर उसके सरकारी ग्राहकों पर नहीं पड़ेगा।
कंपनी ने कहा —
“हमारा स्पाइवेयर दुनिया भर में गंभीर अपराधों और आतंकवाद को रोकने में मदद करता रहा है। यह फैसला हमारे ग्राहकों की वैध सुरक्षा गतिविधियों को प्रभावित नहीं करेगा।”
एनएसओ ने यह भी कहा कि उसे इस फैसले से आर्थिक नुकसान हो सकता है, परंतु वह फैसले का विश्लेषण कर आगे की कानूनी रणनीति पर विचार करेगी।
मेटा ने फैसले को बताया ‘निजता की जीत’
मेटा (व्हाट्सएप की मूल कंपनी) ने इस फैसले को डिजिटल निजता की बड़ी जीत बताया है। कंपनी ने कहा कि यह निर्णय उन तकनीकी कंपनियों के लिए उदाहरण बनेगा जो अपने यूज़र्स की सुरक्षा और डेटा गोपनीयता के लिए संघर्ष कर रही हैं।
मेटा के प्रवक्ता ने कहा —
“कोर्ट का यह फैसला इस बात को स्पष्ट करता है कि किसी भी कंपनी को व्यक्तिगत डेटा पर गैरकानूनी हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक ऐतिहासिक फैसला है।”
अमेरिका में एनएसओ का भविष्य संकट में
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले के बाद एनएसओ के लिए अमेरिका में कारोबार जारी रखना बेहद कठिन हो जाएगा। अमेरिकी कानून अब ऐसी कंपनियों के प्रति सख्त रुख अपना रहा है जो साइबर हमलों या अनधिकृत निगरानी से जुड़ी हों।
संभावना जताई जा रही है कि एनएसओ को अब अपने कई अमेरिकी अनुबंध रद्द करने पड़ सकते हैं और उसके कर्मचारियों को देश छोड़ने की नौबत भी आ सकती है।
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की राय
साइबर कानून विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला वैश्विक स्तर पर एक मिसाल कायम करेगा। अब किसी भी देश की जासूसी एजेंसी या निजी कंपनी को यह सोचकर छूट नहीं मिलेगी कि वह ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के नाम पर किसी की निजता का उल्लंघन कर सकती है।
विशेषज्ञों ने कहा कि पेगासस जैसे सॉफ्टवेयरों ने डिजिटल दुनिया में भय का माहौल पैदा किया था, लेकिन इस तरह के न्यायिक निर्णयों से लोगों का विश्वास फिर से बहाल होगा।
यह फैसला केवल एनएसओ के खिलाफ नहीं, बल्कि उन सभी ताकतों के खिलाफ है जो “तकनीकी शक्ति” के नाम पर नागरिकों की स्वतंत्रता पर हमला करती हैं। डिजिटल युग में यह न्याय का एक मजबूत संदेश है — किसी की निजता अब हथियार नहीं बन सकती।