100 से अधिक घायल, ट्रंप के नए सैन्य अभियान का हिस्सा — अब तक की सबसे घातक कार्रवाई
न्यूयॉर्क। यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों पर अमेरिका की एयर स्ट्राइक में कम से कम 38 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 100 से अधिक घायल हुए हैं। यह हमला यमन के रास ईसा तेल टर्मिनल पर किया गया। अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने हमले की पुष्टि की है, लेकिन मृतकों की सटीक संख्या नहीं बताई गई है। माना जा रहा है कि यह अमेरिका द्वारा हूती विद्रोहियों के खिलाफ अब तक की सबसे घातक हवाई कार्रवाई है।
ट्रंप के नए अभियान के तहत हुआ हमला
यह एयर स्ट्राइक 15 मार्च को शुरू किए गए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए सैन्य अभियान का हिस्सा है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य हूती विद्रोही गुट की सैन्य ताकत को कमजोर करना है, जिसने अक्टूबर 2023 में इजराइल-हमास युद्ध शुरू होने के बाद से रेड सी (लाल सागर) में अमेरिकी और सहयोगी जहाजों पर कई हमले किए हैं।
रेड सी में सुरक्षा को लेकर बढ़ा तनाव
हूती विद्रोहियों ने बीते महीनों में रेड सी में कई अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाया, जिससे क्षेत्रीय व्यापार और समुद्री सुरक्षा पर बड़ा असर पड़ा है। अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के अनुसार, ये हमले ईरान के समर्थन से हो रहे हैं और इनका उद्देश्य इजराइल पर दबाव बनाना है। यही वजह है कि ट्रंप प्रशासन ने अब हूती ठिकानों पर प्रत्यक्ष और आक्रामक सैन्य कार्रवाई का रास्ता अपनाया है।

रास ईसा बना युद्ध का मैदान
अमेरिकी हमले का मुख्य निशाना था रास ईसा, जो यमन का एक प्रमुख तेल निर्यात टर्मिनल है। यहां पर हूती विद्रोहियों के संचालन केंद्र और हथियार डिपो होने की सूचना थी। एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक, हूती संचालित अल-मसीराह सैटेलाइट चैनल ने हमले के बाद का वीभत्स वीडियो जारी किया, जिसमें बिखरे हुए शव और धुएं से ढका क्षेत्र साफ देखा जा सकता है।
अमेरिका की चेतावनी — हमले जारी रह सकते हैं
सेंट्रल कमांड ने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि अमेरिका हूती विद्रोहियों के खिलाफ सैन्य दबाव बनाए रखेगा, जब तक कि वे लाल सागर में जहाजों पर हमले बंद नहीं करते। सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में अमेरिका और उसके गठबंधन सहयोगी हूती ठिकानों पर और अधिक हमले कर सकते हैं।
क्षेत्र में मानवीय संकट गहराने की आशंका
इस हमले के बाद यमन में मानवीय संकट और अधिक गहराने की आशंका है। पहले से गृहयुद्ध झेल रहे देश में यह हमला नागरिकों की सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं को और अधिक प्रभावित कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने सभी पक्षों से संयम बरतने और वार्ता के रास्ते पर लौटने की अपील की है।
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