MP के होनहारों ने रचा इतिहास: यूपीएससी-2024 में रीवा, मंदसौर, जबलपुर, ग्वालियर, शिवपुरी, उज्जैन, रतलाम और इंदौर के युवाओं की शानदार सफलता
भोपाल। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) परीक्षा-2024 के फाइनल परिणामों में मध्यप्रदेश के कई युवाओं ने अपनी मेहनत और आत्मविश्वास से देशभर में मिसाल कायम की है। रीवा, मंदसौर, ग्वालियर, जबलपुर, नर्मदापुरम, शिवपुरी, उज्जैन, रतलाम और इंदौर से निकले ये होनहार बिना कोचिंग, सीमित संसाधनों और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बावजूद ऊंचाइयों पर पहुंचे हैं।
रीवा के रोमिल द्विवेदी: बिना कोचिंग की तैयारी, बनी मिसाल
रीवा के आनंद नगर बोदाबाग निवासी रोमिल द्विवेदी को यूपीएससी-2024 में 27वीं रैंक मिली है। दो साल पहले उन्होंने 364वीं रैंक से आईआरएस सेवा जॉइन की थी। रोमिल पहले मुंबई के एक्सिस बैंक में असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट के पद पर काम कर चुके हैं। उनके पिता केके द्विवेदी भोपाल में सहकारिता विभाग में जॉइंट कमिश्नर हैं। रोमिल ने बताया कि उन्होंने यह सफलता बिना किसी कोचिंग के खुद की तैयारी से हासिल की है। अपने चाचा प्रकाश द्विवेदी, जो राज्य वित्त सेवा के अधिकारी हैं, से प्रेरणा लेकर उन्होंने यह राह चुनी।

मंदसौर के ऋषभ चौधरी: विदेश की नौकरी छोड़ी, 28वीं रैंक
ऋषभ चौधरी, मंदसौर के गरोठ के रहने वाले हैं और उन्होंने यूपीएससी-2024 में 28वीं रैंक हासिल की है। वे पहले जर्मनी की एक बैंक में 17 लाख के पैकेज पर काम कर रहे थे। लेकिन देश सेवा की भावना में उन्होंने नौकरी छोड़ी और 2022 से घर पर रहकर बिना कोचिंग यूपीएससी की तैयारी शुरू की। ऋषभ ने बतौर पहली पसंद इंडियन फॉरेन सर्विस को चुना है। उनके पिता का पहले ही निधन हो चुका है और अब परिवार की ज़िम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है।

जबलपुर के स्वर्णिम चौधरी: 258वीं रैंक के साथ नए सफर की शुरुआत
स्वर्णिम चौधरी, जो जबलपुर के लार्डगंज क्षेत्र के रहने वाले हैं, को इस बार 258वीं रैंक मिली है। उन्होंने धैर्य और मेहनत के बल पर यह मुकाम हासिल किया है।
नर्मदापुरम के मोनू शर्मा: चौथे प्रयास में सफलता, मिला 359वीं रैंक
इटारसी निवासी मोनू शर्मा को यूपीएससी-2024 में 359वीं रैंक मिली है। यह उनका चौथा प्रयास था। मोनू ने भी सेल्फ स्टडी से परीक्षा की तैयारी की और लक्ष्य आईपीएस सेवा है।
ग्वालियर की दिव्यांशी अग्रवाल: किराने की दुकान से यूपीएससी तक
ग्वालियर के भितरवार कस्बे की दिव्यांशी अग्रवाल ने 249वीं रैंक हासिल की है। उनके पिता किराना दुकानदार हैं और मां गृहिणी। दिव्यांशी ने खुद स्टडी की और एक साल की मेहनत में यूपीएससी क्लियर कर लिया। उन्होंने बताया कि पिता की एक ख्वाहिश थी कि उनका कोई बच्चा आईएएस या आईपीएस बने — उसी सपने को उन्होंने साकार किया।
आगर के आयुष जैन: डर को हराकर मिली 344वीं रैंक
आयुष जैन को यूपीएससी-2024 में 344वीं रैंक मिली है। यह उनका तीसरा प्रयास था। शुरू में यूपीएससी नाम से डर लगता था, लेकिन बाद में उन्होंने रुचि के विषयों को समझकर बेहतर रणनीति बनाई।
शिवपुरी की दो प्रतिभाएं: कृतिका और नीतेश की सफलता
कृतिका नौगरेया ने इस बार 400वीं रैंक हासिल की है। वे करैरा के व्यापारी सतीष कुमार की बेटी हैं। वहीं नीतेश धाकड़ ने 719वीं रैंक हासिल कर ग्रामीण युवाओं को नई प्रेरणा दी है।
उज्जैन के प्रतीक सिसोदिया: तलवारबाजी से लेकर यूपीएससी तक
प्रतीक सिसोदिया को 753वीं रैंक मिली है। वे पंचायत समन्वय अधिकारी के रूप में काम करते हैं। प्रतीक ने कालिदास ऑक्सफोर्ड स्कूल उज्जैन से पढ़ाई की, फिर तलवारबाजी में राष्ट्रीय खिलाड़ी बने। अब यूपीएससी में सफलता पाकर प्रशासनिक सेवा के मार्ग पर हैं।
रतलाम के जावेद मेव: सातवां प्रयास और 815वीं रैंक
जावेद मेव को इस बार 815वीं रैंक मिली है। वे पहले ही सीएपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के रूप में चयनित हो चुके हैं। यह उनका सातवां अटेम्ट था और 3 मई को हैदराबाद में ट्रेनिंग शुरू होनी है।
इंदौर के योगेश राजपूत: चौथे प्रयास में मिली मंजिल
योगेश राजपूत को यूपीएससी-2024 में 540वीं रैंक मिली है। मूल रूप से राजगढ़ के ब्यावरा निवासी योगेश का यह चौथा प्रयास था। वे पहले इंडियन पोस्टल सर्विस में चयनित हो चुके थे लेकिन इससे संतुष्ट नहीं थे। इस बार पॉलिटिकल साइंस और इंटरनेशनल अफेयर्स को वैकल्पिक विषय बनाकर उन्होंने तैयारी की।
अशोकनगर के आशीष रघुवंशी: गांव से लेकर UPSC तक का सफर
अशोकनगर के डंगौरा गांव के आशीष रघुवंशी ने 202वीं रैंक हासिल की है। उनके पिता पुलिस विभाग में एएसआई हैं। आशीष ने गांव से निकलकर अपने दम पर यह मुकाम पाया है।
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