संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने मनाया विश्व हिंदी दिवस, हिंदी को वैश्विक भाषा बनाने के प्रयास जारी
नई दिल्ली। दुनिया भर में 60 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली हिंदी भाषा को संयुक्त राष्ट्र ने अत्यंत महत्वपूर्ण माना है। संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों ने हिंदी के महत्व को रेखांकित करते हुए इसके प्रचार-प्रसार को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा बहुभाषिकता और विदेशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में हिंदी के वैश्विक विस्तार, इसकी स्वीकार्यता और संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को अधिक प्रभावशाली बनाने के प्रयासों पर चर्चा की गई।
हिंदी को वैश्विक भाषा बनाने के लिए भारत सरकार की पहल
इस कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भारत एक बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक समाज है, जहां हिंदी एक महत्वपूर्ण संपर्क भाषा के रूप में कार्य करती है।
मंत्री ने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा हिंदी को मान्यता देने से यह एक वैश्विक भाषा बनने की दिशा में आगे बढ़ेगी। भारत सरकार हिंदी को दुनिया में अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल कर रही है।
मिशन की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि संयुक्त राष्ट्र में हिंदी भाषा को अधिक प्रभावी बनाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। संयुक्त राष्ट्र की ओर से हिंदी में संचार को बढ़ावा देने के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अधिकारी ने हिंदी को बताया महत्वपूर्ण
संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक संचार उप महासचिव मेलिसा फ्लेमिंग ने हिंदी भाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि दुनिया भर में 60 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली हिंदी संयुक्त राष्ट्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
उन्होंने यह भी बताया कि संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न सोशल मीडिया परियोजनाओं और हिंदी यूएन न्यूज़ के माध्यम से हिंदी भाषी समुदाय को वैश्विक घटनाओं से जोड़ा जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए भारत का योगदान
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने बताया कि हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की गैर-आधिकारिक भाषाओं की सूची में शामिल कर लिया गया है। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र में हिंदी समाचारों और संचार को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने लगभग 70 लाख डॉलर का योगदान दिया है।
पी. हरीश ने कहा कि भारत लगातार इस दिशा में प्रयास कर रहा है कि हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता मिले। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र की छह आधिकारिक भाषाएं अंग्रेज़ी, फ्रेंच, स्पेनिश, चीनी, अरबी और रूसी हैं। भारत सरकार चाहती है कि हिंदी को भी इस सूची में शामिल किया जाए।
अमेरिका और अन्य देशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार पर चर्चा
इस विशेष कार्यक्रम में हिंदी के प्रचार-प्रसार से जुड़े कई प्रमुख शिक्षाविदों ने भी भाग लिया। उन्होंने अमेरिका और अन्य देशों में हिंदी को बढ़ावा देने के अपने अनुभव साझा किए।
शिक्षाविदों ने बताया कि अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और खाड़ी देशों में हिंदी भाषा की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। हिंदी सीखने वालों की संख्या में तेजी से इज़ाफा हो रहा है, विशेष रूप से प्रवासी भारतीय समुदाय के बीच यह भाषा अपनी जड़ें मजबूत कर रही है।
विश्व हिंदी दिवस: हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करने का प्रयास
भारत सरकार ने हिंदी भाषा को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने और इसे लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से 10 जनवरी, 2006 को ‘विश्व हिंदी दिवस’ की शुरुआत की थी। तब से हर साल दुनिया भर में इसे विशेष कार्यक्रमों के माध्यम से मनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने भी पिछले वर्ष नवंबर में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया था। इस कार्यक्रम में भारत के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया था, जो उस समय संयुक्त राष्ट्र की यात्रा पर था।
इस दौरान प्रतिनिधिमंडल के नेता सांसद बीरेंद्र प्रसाद बैश्य ने हिंदी की बढ़ती लोकप्रियता पर प्रकाश डाला और बताया कि कैसे विभिन्न देशों में हिंदी भाषा को बढ़ावा दिया जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को लेकर बढ़ती रुचि
संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न राजदूतों और अधिकारियों ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने हिंदी भाषा के महत्व को स्वीकार करते हुए इसके प्रचार-प्रसार के लिए अधिक प्रयास किए जाने की जरूरत पर बल दिया।
संयुक्त राष्ट्र में हिंदी का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। भारत सरकार और प्रवासी भारतीय समुदाय की कोशिशों के चलते हिंदी को वैश्विक मंच पर अधिक महत्व मिल रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को गैर-आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता मिल चुकी है, लेकिन इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के लिए अभी और प्रयासों की जरूरत है।
अगर मौजूदा प्रयास जारी रहे, तो आने वाले वर्षों में हिंदी को संयुक्त राष्ट्र में एक प्रमुख भाषा के रूप में स्वीकार किया जा सकता है।