यूएलपीजीएम-वी3 मिसाइल का सफल परीक्षण: भारत की रक्षा क्षमता को मिली नई उड़ान
नई दिल्ली।
भारत ने शुक्रवार को अपनी रक्षा तकनीक के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में स्थित राष्ट्रीय ओपन एरिया रेंज (NOAR) में यूएवी-लॉन्च्ड प्रिसिजन गाइडेड मिसाइल (ULPGM)-V3 का सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है और इसे विशेष रूप से मानवरहित हवाई प्लेटफॉर्म (यूएवी) से दागने के लिए विकसित किया गया है।
क्या है यूएलपीजीएम वी-3?
यूएलपीजीएम-वी3 एक हवा से जमीन पर मार करने वाली गाइडेड मिसाइल है, जो फायर एंड फॉरगेट तकनीक पर काम करती है। इसका मतलब है कि एक बार लक्ष्य पर लॉक कर देने के बाद इसे मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं होती।
यह मिसाइल दिन में 4 किलोमीटर और रात में 2.5 किलोमीटर तक सटीक हमला करने में सक्षम है। इसे इमेजिंग इंफ्रारेड (IR) सीकर के साथ निष्क्रिय होमिंग प्रणाली से लैस किया गया है, जिससे यह दिन और रात दोनों समय सटीक लक्ष्य भेद सकती है।

हल्की और शक्तिशाली मिसाइल
यूएलपीजीएम-वी3 का कुल वजन लगभग 12.5 किलोग्राम है। यह मिसाइल दोहरे ठोस प्रणोदन प्रणाली से संचालित होती है, जो इसे छोटे और हल्के यूएवी प्लेटफॉर्म से भी दागने योग्य बनाती है। यह मिसाइल प्रणाली विभिन्न प्रकार के स्थिर और गतिशील लक्ष्यों को भेदने के लिए विकसित की गई है और इसमें कई प्रकार के वॉरहेड विकल्प दिए गए हैं।
स्वदेशी उद्योगों की भागीदारी
इस परियोजना में अडाणी डिफेंस और भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) प्रमुख विनिर्माण साझेदार हैं, जबकि डीआरडीओ इस प्रणाली के विकास और परीक्षण का नेतृत्व कर रहा है। यह साझेदारी ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
ULPGM प्रणाली को तीन अलग-अलग वर्जनों में विकसित किया गया है:
- वी-1 (बेसलाइन मॉडल)
- वी-2 (सुधारित मार्गदर्शन प्रणाली के साथ)
- वी-3 (विस्तारित रेंज और उन्नत इंफ्रारेड होमिंग के साथ)
एयरो इंडिया में हो चुका है प्रदर्शन
डीआरडीओ द्वारा विकसित इस मिसाइल प्रणाली के वी-3 संस्करण को फरवरी 2025 में बेंगलुरू में आयोजित एयरो इंडिया प्रदर्शनी में पहली बार सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया गया था। इसके बाद से ही यह प्रणाली रक्षा क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई थी।
देश की सुरक्षा को नया आयाम
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफलता पर डीआरडीओ और सभी संबंधित उद्योग साझेदारों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि —
“ULPGM-V3 का विकास और सफल परीक्षण इस बात का प्रमाण है कि भारतीय उद्योग अब जटिल और रणनीतिक रक्षा तकनीकों को अपनाने और उन्हें उत्पादन में लाने में सक्षम है। यह भारत की रक्षा क्षमताओं को एक नया आयाम देगा।”
इस सफल परीक्षण से यह स्पष्ट है कि भारत रक्षा क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। यूएलपीजीएम वी-3 जैसी आधुनिक मिसाइल प्रणालियों का विकास भारतीय सशस्त्र बलों को न केवल तकनीकी बढ़त दिलाएगा, बल्कि भविष्य की चुनौतियों के लिए भी उन्हें अधिक सक्षम बनाएगा।
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