ब्रिटेन में अवैध अप्रवासियों के खिलाफ 1 लाख लोगों की रैली, टॉमी रॉबिन्सन के नेतृत्व में इलॉन मस्क भी जुड़े

लंदन। ब्रिटेन में अवैध अप्रवासियों की बढ़ती संख्या और उससे जुड़े मुद्दों को लेकर राजधानी लंदन में शनिवार को अब तक का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ। इस रैली में करीब 1 लाख से अधिक लोग शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने इसे देश के भविष्य और सुरक्षा से जुड़ा गंभीर संकट बताते हुए सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

'यूनाइट द किंगडम' के नाम से रैली

इस विरोध प्रदर्शन को ‘यूनाइट द किंगडम’ नाम दिया गया था। इसे दक्षिणपंथी विचारधारा के लिए मशहूर नेता टॉमी रॉबिन्सन ने लीड किया। रॉबिन्सन लंबे समय से ब्रिटेन में अवैध प्रवासियों के विरोध में आवाज उठाते रहे हैं। इस बार उनकी अगुवाई में हुआ यह आंदोलन अब तक का सबसे बड़ा एंटी-इमिग्रेशन प्रदर्शन माना जा रहा है।

publive-image

इलॉन मस्क का वर्चुअल संदेश, मचाई हलचल

रैली का सबसे बड़ा सरप्राइज तब देखने को मिला जब टेस्ला और एक्स (पूर्व ट्विटर) के मालिक इलॉन मस्क ने वीडियो लिंक के जरिए इस आंदोलन में हिस्सा लिया। मीडिया हाउस द इंडिपेंडेंट के मुताबिक, मस्क ने टॉमी रॉबिन्सन से सीधी बातचीत की और प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया।

मस्क ने कहा—
👉 “हिंसा तुम्हारे पास आ रही है। या तो लड़ो या मरो।”
👉 उन्होंने ब्रिटेन की संसद को भंग करने की मांग करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार देश को सही दिशा में नहीं ले जा रही है।
👉 उन्होंने साफ कहा कि सरकार बदलना ही एकमात्र विकल्प है।

मस्क के इन शब्दों ने आंदोलन को और अधिक आक्रामक बना दिया और इसे वैश्विक सुर्खियों में ला दिया।

publive-image

लंदन की सड़कों पर तनाव का माहौल

प्रदर्शनकारियों का कहना था कि अवैध अप्रवासी ब्रिटेन की सामाजिक और आर्थिक संरचना पर बोझ बन रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग हाथों में तख्तियां और झंडे लिए मार्च कर रहे थे। कई जगह पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प की स्थितियां भी देखने को मिलीं। हालांकि भारी सुरक्षा इंतजामों के चलते स्थिति को नियंत्रण में रखा गया।

प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की आलोचना

इसी बीच, यह खबर भी सामने आई कि जब लंदन की सड़कों पर यह आंदोलन और हिंसा फैली हुई थी, तब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर अपने बेटे के साथ फुटबॉल मैच देखने लंदन के एमिरेट्स स्टेडियम पहुंचे थे। विपक्षी दलों और प्रदर्शनकारियों ने इसे गैर-जिम्मेदाराना रवैया बताया और कहा कि प्रधानमंत्री को उस समय देश की जनता के बीच होना चाहिए था।

publive-image

राजनीतिक असर और भविष्य की चुनौती

इस आंदोलन ने ब्रिटेन की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। दक्षिणपंथी संगठनों को इससे नई ऊर्जा मिली है, जबकि सरकार पर दबाव और बढ़ गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अवैध अप्रवासन का मुद्दा आने वाले समय में ब्रिटेन की राजनीति का केंद्र बनने जा रहा है।