August 6, 2025 1:46 PM

ट्रंप की धमकी: भारत पर 25% टैरिफ के बाद अब और टैक्स लगाने की चेतावनी, भारत का तीखा जवाब — “हम राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेंगे”

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ट्रंप की धमकी के बाद भारत का कड़ा जवाब: 25% टैरिफ के बाद और बढ़ेगा टैक्स, भारत बोला- हम राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेंगे


वॉशिंगटन/नई दिल्ली | 5 अगस्त 2025 — अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और आगामी चुनावों के लिए रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को व्यापार के मोर्चे पर “अच्छा साझेदार न होने” का आरोप लगाते हुए 7 अगस्त से 25% टैरिफ लागू करने की घोषणा की है। यही नहीं, ट्रंप ने अपने ताज़ा बयान में कहा है कि वे अगले 24 घंटे में इस टैरिफ को और बढ़ाने जा रहे हैं।

ट्रंप के इस तेवर के बाद भारत सरकार ने भी खुलकर अमेरिका को जवाब दिया है और कहा है कि भारत किसी के दबाव में आकर अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा।


🇺🇸 ट्रंप बोले: “भारत व्यापार करता है, पर अमेरिका को फायदा नहीं देता”

मंगलवार को CNBC को दिए एक टेलीफोनिक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा:

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“भारत दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ लगाता है। वह अमेरिका से भारी व्यापार करता है, लेकिन बदले में हमें ज्यादा कुछ नहीं मिलता। यह असंतुलन अब और बर्दाश्त नहीं होगा।”

ट्रंप ने यह भी आरोप लगाया कि भारत रूस के साथ व्यापार कर यूक्रेन युद्ध में अप्रत्यक्ष रूप से मदद कर रहा है, इसलिए अमेरिका को कड़े कदम उठाने की जरूरत है।


🔥 ट्रंप का आरोप: भारत रूस से सस्ता तेल खरीद कर लाभ कमा रहा

ट्रंप ने भारत पर रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदकर उसे मुनाफे में बेचने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भारत को इस बात की परवाह नहीं है कि रूस की आक्रामकता से यूक्रेन में कितने लोग मारे जा रहे हैं।

यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने भारत पर टैरिफ बढ़ाने की बात कही हो। पिछले शुक्रवार को उन्होंने 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जो 7 अगस्त से प्रभावी होगी, लेकिन अब उन्होंने संकेत दिए हैं कि यह सीमा और बढ़ सकती है।


🇮🇳 भारत का जवाब: “हम अकेले क्यों निशाने पर?”

ट्रंप की लगातार आलोचना और टैरिफ धमकियों के बाद भारत ने भी अमेरिका का नाम लेकर सीधे जवाब दिया, जो अब तक कूटनीतिक स्तर पर टाल-मटोल करता रहा था।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक प्रेस वार्ता में कहा:

“भारत को गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है। हम अपने राष्ट्रीय हित और ऊर्जा सुरक्षा के लिए जो भी जरूरी कदम होंगे, उठाएंगे।”

भारत ने यह भी उजागर किया कि अमेरिका और यूरोपीय संघ खुद भी रूस से बड़े पैमाने पर व्यापार कर रहे हैं, ऐसे में सिर्फ भारत पर उंगली उठाना अनुचित और तर्कहीन है।


🔍 भारत ने रखे 7 ठोस तथ्य:

  1. यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका ने खुद भारत को रूस से तेल खरीदने को कहा था, ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजार स्थिर रहे।
  2. भारत का रूस से तेल आयात भारतीय उपभोक्ताओं के लिए सस्ती ऊर्जा सुनिश्चित करने के लिए है।
  3. जिन देशों की आलोचना हो रही है, वे खुद रूस से व्यापार कर रहे हैं।
  4. 2024 में यूरोपीय संघ और रूस के बीच 67.5 बिलियन यूरो का द्विपक्षीय व्यापार हुआ, जो भारत-रूस व्यापार से कई गुना अधिक है।
  5. यूरोपीय संघ ने 2024 में रूस से 1.65 करोड़ टन LNG आयात की, जो 2022 के रिकॉर्ड से भी ज्यादा है।
  6. अमेरिका खुद भी रूस से यूरेनियम, पैलेडियम, उर्वरक और रसायन आयात करता है।
  7. भारत को निशाना बनाना इसलिए गलत है क्योंकि अन्य बड़े देश भी यही कर रहे हैं।

🤐 ट्रंप की चुप्पी: चीन पर नहीं बोले, जबकि रूस से सबसे ज्यादा क्रूड वही खरीदता है

भारत सरकार के सूत्रों ने यह भी बताया कि ट्रंप केवल भारत पर हमलावर हैं, जबकि रूस से सबसे ज्यादा क्रूड ऑयल आयात करने वाला देश चीन है।

  • दिसंबर 2022 से जून 2025 तक रूस के कुल क्रूड निर्यात का 47% चीन को गया।
  • वहीं, भारत ने 38% क्रूड आयात किया।
  • EU और तुर्किये ने 6%–6% आयात किया।

इसके अलावा, अमेरिका ने 2024 में रूस से 3 अरब डॉलर का सामान आयात किया और 2025 के पहले पांच महीनों में ही 2.09 अरब डॉलर का आयात कर लिया।

ट्रंप की यह चुप्पी बताती है कि व्यापारिक और राजनीतिक आरोप चुनिंदा लक्ष्यों के खिलाफ इस्तेमाल किए जा रहे हैं।


🛑 भारत ने अमेरिका से पूछा: “आपके मानदंड हमारे लिए क्यों अलग?”

भारत ने अमेरिका को यह स्पष्ट संदेश दिया है कि यदि वह रूस से व्यापार करने वाले देशों की सूची बनाना चाहता है, तो उसमें केवल भारत को नहीं, अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और चीन जैसे देशों को भी शामिल करना चाहिए।

भारत ने यह भी संकेत दिया है कि यदि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ में और बढ़ोतरी होती है, तो भारत मजबूत जवाबी कदम उठा सकता है


📉 भारत पर असर क्या होगा?

ट्रंप के इस फैसले से भारतीय निर्यातकों और व्यापारिक समुदाय में चिंता है। विशेष रूप से टेक्सटाइल, ऑटो पार्ट्स, फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर पर असर पड़ सकता है।

हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक साझेदारी इतनी गहरी है कि इसे पूरी तरह तोड़ना संभव नहीं। लेकिन यदि यह टैरिफ वॉर लंबा खिंचा, तो दोनों देशों को नुकसान होगा।


🧭

डोनाल्ड ट्रंप के बयानों ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या व्यापार और कूटनीति को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है? भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अब चुप नहीं बैठेगा और हर तरह से अपनी संप्रभुता, आर्थिक हितों और वैश्विक प्रतिष्ठा की रक्षा करेगा।

वहीं, यह मामला अमेरिका की दोहरी नीति और भेदभावपूर्ण रवैये की भी पोल खोलता है, जहां एक ओर खुद रूस से व्यापार किया जा रहा है, वहीं भारत को इसके लिए कठघरे में खड़ा किया जा रहा है।



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