ट्रंप की टैरिफ धमकी से हथकरघा उद्योग पर खतरा, केंद्र सरकार बनाएगी 20,000 करोड़ का सुरक्षा फंड
नई दिल्ली | 6 अगस्त 2025 — अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी अब केवल कूटनीतिक बयानबाजी नहीं रही, बल्कि इसका व्यापक आर्थिक असर भारत के कुटीर और हथकरघा उद्योग पर पड़ने की आशंका है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ट्रंप की टैरिफ नीति लागू होती है, तो भारत से अमेरिका को होने वाले हथकरघा उत्पादों के निर्यात में भारी गिरावट आ सकती है, जिससे लाखों कारीगरों और बुनकरों की आजीविका पर संकट गहराएगा।
हालांकि, केंद्र सरकार ने इस संभावित झटके को देखते हुए 20,000 करोड़ रुपये का विशेष सुरक्षा फंड तैयार करने की योजना बनाई है, जिससे निर्यातकों और कारीगरों को राहत दी जा सकेगी।
🇮🇳 भारत का हथकरघा और इंटीरियर डिजाइन उद्योग: रोजगार का बड़ा स्रोत
भारत का पारंपरिक हथकरघा उद्योग न केवल सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है, बल्कि यह देश के लाखों कारीगरों और बुनकरों की आजीविका का माध्यम भी है। खासकर ग्रामीण भारत में यह घरेलू रोजगार का एक मजबूत स्रोत बना हुआ है।
इसी तरह देश का इंटीरियर डिज़ाइन और होम डेकोर उद्योग, जिसमें सजावटी वस्तुएं, हैंडीक्राफ्ट, फैब्रिक, लकड़ी के फर्नीचर और कलात्मक सजावटें शामिल हैं, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।

एक अनुमान के अनुसार:
- भारत का इंटीरियर डिजाइन बाजार वर्ष 2024 में 36.4 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर चुका है।
- यह उद्योग 14.3% की वार्षिक वृद्धि दर से आगे बढ़ रहा है।
- 2033 तक इसके 71 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।
इस उद्योग के सबसे बड़े ग्राहकों में अमेरिका प्रमुख है, जो भारत से बड़े पैमाने पर हथकरघा और सजावटी वस्तुएं आयात करता है। ट्रंप के टैरिफ वॉर से इस आपूर्ति श्रृंखला पर सीधा असर पड़ सकता है।
⚠️ ट्रंप की धमकी का संभावित असर
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 25% आयात शुल्क लागू करने का ऐलान किया है, जो 7 अगस्त 2025 से प्रभावी होगा। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि अगले 24 घंटे में इस टैरिफ में और वृद्धि हो सकती है।

अगर यह फैसला ज़मीन पर उतारा गया, तो इससे सबसे पहले:
- हथकरघा उत्पादों की अमेरिका में प्रतिस्पर्धा घटेगी।
- निर्यात में गिरावट आएगी।
- उद्योग से जुड़े कारीगरों की नौकरियां और आमदनी प्रभावित होगी।
💡 केंद्र सरकार की रणनीति: 20,000 करोड़ का ‘टैरिफ शील्ड फंड’
सरकार इन संभावित खतरों से निर्यातकों को बचाने के लिए एक विशेष सुरक्षा कोष की घोषणा करने जा रही है। इस फंड का उद्देश्य होगा:
- निर्यातकों को वित्तीय सहायता देना।
- अमेरिकी टैरिफ के असर से प्रभावित क्षेत्रों में सब्सिडी और प्रोत्साहन देना।
- नई बाजार रणनीतियों और वैकल्पिक निर्यात गंतव्यों को बढ़ावा देना।
- प्रौद्योगिकी और नवाचार में निवेश कर उत्पादों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा योग्य बनाना।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) के एससी रहलान के अनुसार, यह फंड सितंबर से लागू किया जा सकता है। उनका कहना है:
“सरकार की यह पहल भारतीय निर्यातकों के लिए एक ढाल की तरह काम करेगी, जिससे वे अंतरराष्ट्रीय उतार-चढ़ावों से सुरक्षित रह सकें।”
🛍️ वैश्विक मंच पर भारत के इंटीरियर उद्योग को जोड़ने की पहल
न केवल संरक्षण, बल्कि सरकार का उद्देश्य भारतीय डिजाइन और हस्तशिल्प उद्योग को वैश्विक बाजारों से बेहतर तरीके से जोड़ना भी है। इसी दिशा में एक बड़ा आयोजन भी प्रस्तावित किया गया है।
आईएमएम इंडिया — एक नया मंच, जो सरकार और निजी क्षेत्र के सहयोग से गठित हुआ है, 11 से 14 मार्च 2026 तक दिल्ली के ‘यशोभूमि’ में एक भव्य एक्सपो आयोजित करेगा।
इस कार्यक्रम में:
- देशभर के कारीगर, डिजाइनर, निर्माताओं और निर्यातकों को शामिल किया जाएगा।
- वैश्विक खरीदारों और निवेशकों को भारत के इंटीरियर उत्पादों से परिचित कराया जाएगा।
- तकनीकी साझेदारी और डिज़ाइन नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
यह आयोजन भारत के लिए ‘लोकल टू ग्लोबल’ रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा साबित हो सकता है।
📈 अमेरिका के अलावा वैकल्पिक निर्यात बाजारों पर नजर
सरकार इस संकट को अवसर में बदलने की रणनीति पर भी काम कर रही है। अमेरिकी बाजार में अगर बाधाएं आती हैं, तो सरकार का प्रयास होगा कि:
- यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, खाड़ी देश और दक्षिण पूर्व एशिया जैसे क्षेत्रों में भारतीय हस्तशिल्प को नई पहचान मिले।
- ब्रांड इंडिया के तहत हथकरघा उत्पादों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार किया जाए।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और ई-कॉमर्स के माध्यम से सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंच बनाई जाए।
🧵 कारीगरों की चिंता: “हमें चाहिए सुरक्षा और बाजार”
मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और तमिलनाडु जैसे राज्यों से जुड़े कई हथकरघा कारीगरों का कहना है कि वे पहले से ही मशीनीकरण और सस्ते विदेशी उत्पादों के कारण संघर्ष कर रहे हैं। अब यदि टैरिफ वॉर के चलते उनका निर्यात रुकता है, तो उनके लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा।
✅ संकट से निपटने को तैयार भारत
अमेरिका के साथ चल रहे टैरिफ वॉर ने यह साफ कर दिया है कि वैश्विक राजनीति अब केवल राजनयिक स्तर पर सीमित नहीं रही, बल्कि इसका सीधा असर भारत जैसे देशों के रोजगार और कुटीर उद्योगों पर पड़ रहा है।
लेकिन केंद्र सरकार की रणनीति और आर्थिक प्रबंधन यह संकेत देते हैं कि भारत इस संकट को स्थानीय उद्योगों के सशक्तिकरण और निर्यात के विस्तार के एक अवसर के रूप में देख रहा है।
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