भारत पर ट्रंप के टैरिफ को जेलेंस्की का समर्थन, रूस-यूक्रेन युद्ध में आर्थिक दबाव बढ़ा
कीव। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार और कूटनीति पर भी गहरा असर डाला है। 6 सितंबर की रात रूस ने यूक्रेन पर अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला किया। इस हमले के कुछ ही समय बाद, यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत पर टैरिफ लगाने की योजना का समर्थन किया। जेलेंस्की का यह बयान रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाने और वैश्विक व्यापार में उसकी भूमिका को सीमित करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

रूस की आक्रामकता के खिलाफ ठोस कदम जरूरी
जेलेंस्की ने एक अंतरराष्ट्रीय न्यूज चैनल को इंटरव्यू में कहा कि रूस की आक्रामकता को रोकने के लिए केवल कूटनीतिक बयानबाजी पर्याप्त नहीं है। उनका कहना है कि रूस से व्यापार जारी रखने वाले देशों पर टैरिफ और अन्य सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाना समय की आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि रूस और उससे जुड़े व्यक्तियों को आर्थिक नुकसान महसूस होना चाहिए, तभी वैश्विक स्तर पर वास्तविक प्रभाव दिखाई देगा।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी लिखा—
“रूस की आक्रामकता को रोकने के लिए केवल बयानबाजी नहीं, बल्कि ठोस कदम जरूरी हैं। रूस और उससे जुड़े व्यक्तियों पर सख्त प्रतिबंध, टैरिफ और व्यापार पर रोक लगनी चाहिए। रूस को आर्थिक रूप से नुकसान महसूस होना चाहिए, तभी दुनिया को असली नतीजे दिखाई देंगे।”
चीन में मोदी, शी और पुतिन की मुलाकात पर जेलेंस्की का बयान
इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि हाल ही में चीन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात को वे कैसे देखते हैं, तो जेलेंस्की ने इसे रूस को वैश्विक मंच पर ताकत देने वाला कदम बताया। उनका कहना था कि ऐसे मंच पर रूस की आर्थिक गतिविधियों और व्यापारिक समझौतों को लेकर स्पष्ट रणनीति बनानी चाहिए।
जेलेंस्की ने कहा कि जो भी देश रूस के साथ व्यापार जारी रखते हैं, उन पर अतिरिक्त टैरिफ और पाबंदियां लगाई जानी चाहिए। इस दिशा में ट्रंप की योजना, जिसमें भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया जाना प्रस्तावित है, सही दिशा में एक कदम है।
भारत पर टैरिफ के संभावित प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत पर टैरिफ लागू होता है, तो इससे भारत-यूएस संबंधों और वैश्विक व्यापार पर असर पड़ेगा। भारत रूस से तेल, गैस और रक्षा सामग्री का आयात करता है। ट्रंप की प्रस्तावित टैरिफ नीति और जेलेंस्की के समर्थन से भारत को वैश्विक स्तर पर कठिन फैसलों का सामना करना पड़ सकता है।
व्यापार विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम न केवल रूस पर आर्थिक दबाव डालने के उद्देश्य से है, बल्कि उन देशों को भी प्रभावित करता है जो रूस के साथ व्यापारिक रिश्ते बनाए हुए हैं। भारत जैसे बड़े और विविध व्यापारिक नेटवर्क वाले देश के लिए यह नीति चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।
अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक संदर्भ
जेलेंस्की का यह बयान वैश्विक राजनीति में एक नया मोड़ जोड़ता है। रूस पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने पहले भी कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। जेलेंस्की की ओर से समर्थन मिलने से इन प्रतिबंधों की वैधता और प्रभाव बढ़ सकता है। साथ ही यह संकेत देता है कि रूस के साथ व्यापारिक संबंध रखने वाले देश भी अंतरराष्ट्रीय दबाव के अधीन हो सकते हैं।
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने स्पष्ट किया है कि रूस की आक्रामकता को रोकने के लिए ठोस आर्थिक कदम जरूरी हैं। उनके समर्थन के बाद अमेरिका की भारत पर टैरिफ लगाने की योजना वैश्विक राजनीति और व्यापार के लिए महत्वपूर्ण संकेत बन गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम न केवल रूस को दबाने का प्रयास है, बल्कि वैश्विक व्यापार में रणनीतिक बदलाव का संकेत भी है।
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