नई दिल्ली, 31 मई।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा स्टील और एल्यूमीनियम के आयात पर शुल्क बढ़ाने की घोषणा से भारत के मेटल सेक्टर को बड़ा झटका लग सकता है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कदम भारतीय निर्यात पर सीधा असर डालेगा और लगभग 4.56 बिलियन डॉलर यानी करीब 39 हजार करोड़ रुपये के मेटल एक्सपोर्ट को खतरे में डाल सकता है।
4 जून से लागू होंगे नए टैरिफ, भारतीय उत्पाद होंगे महंगे
GTRI के अनुसार, 4 जून 2025 से लागू होने वाले उच्च आयात शुल्क के बाद अमेरिका में भारतीय स्टील और एल्यूमीनियम उत्पादों की लागत बढ़ेगी। इससे भारतीय उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे और अमेरिका में उनकी मांग घट सकती है।
भारत को होगा सीधा आर्थिक असर
रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025 में भारत ने अमेरिका को कुल 4.56 बिलियन डॉलर के मेटल प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट किए हैं। इनमें 587.5 मिलियन डॉलर का लोहा और स्टील, 3.1 बिलियन डॉलर के स्टील प्रोडक्ट्स, और 860 मिलियन डॉलर का एल्युमीनियम और संबंधित वस्तुएं शामिल हैं।
GTRI ने स्पष्ट किया है कि टैरिफ में बढ़ोतरी से इन सभी श्रेणियों में भारत की बाजार हिस्सेदारी और मुनाफे पर सीधा असर पड़ेगा। अमेरिका भारतीय मेटल सेक्टर के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है और इस फैसले से व्यापार संतुलन पर भी असर होगा।
टैरिफ 25% से बढ़ाकर 50% करने की तैयारी
ट्रम्प ने अमेरिका के ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट, 1962 की धारा 232 का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में स्टील और एल्युमीनियम पर वर्तमान 25% टैरिफ को 50% तक बढ़ाने का ऐलान किया है। यह वही प्रावधान है जिसके तहत उन्होंने पहली बार 2018 में टैरिफ लगाए थे।
फरवरी 2025 में इन दरों को संशोधित करते हुए एल्यूमीनियम पर टैरिफ को पहले ही 10% से बढ़ाकर 25% कर दिया गया था। अब इन दरों को और बढ़ाना भारत जैसे देशों के लिए नई चुनौती बन सकता है।
अमेरिका में स्टील महंगा, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर प्रभावित
GTRI का अनुमान है कि टैरिफ में ताज़ा वृद्धि के बाद अमेरिका में स्टील की कीमतें 1180 डॉलर प्रति टन यानी लगभग एक लाख रुपये प्रति टन तक पहुंच सकती हैं। इससे ऑटोमोबाइल, निर्माण और उद्योगिक उत्पादन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में लागत बढ़ेगी, जिसका सीधा असर अमेरिकी उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा।
भारत ने WTO में दर्ज कराई आपत्ति
भारत ने अमेरिका के इस फैसले के खिलाफ वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) में आपत्ति दर्ज कराई है और जवाबी रणनीतियों की तलाश कर रहा है। भारत ने यह भी संकेत दिया है कि अगर अमेरिका ने यह टैरिफ बढ़ाए तो वह अतिरिक्त व्यापारिक उपायों पर विचार कर सकता है।
GTRI ने जताई पर्यावरणीय चिंता
GTRI ने इस फैसले को न केवल आर्थिक रूप से बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी चिंताजनक बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां विश्वभर में देश ग्रीन मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में काम कर रहे हैं, वहीं अमेरिकी नीति में पर्यावरण की चिंता गौण होती जा रही है।
GTRI ने कहा—
“यह निर्णय ट्रम्प प्रशासन के पर्यावरण संरक्षण की तुलना में आर्थिक राष्ट्रवाद को प्राथमिकता देने की सोच को दर्शाता है। यह अमेरिका के ग्लोबल क्लाइमेट गोल्स और सस्टेनेबल इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के प्रति कमिटमेंट पर सवाल उठाता है।”
निष्कर्ष: भारत को चाहिए फौरन कूटनीतिक और कारोबारी रणनीति
GTRI की रिपोर्ट इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भारत को अमेरिकी फैसले का जवाब देने के लिए फौरन एक ठोस रणनीति बनानी होगी, जिसमें WTO में कानूनी उपायों के साथ-साथ वैकल्पिक बाजारों की तलाश भी शामिल हो। इस टैरिफ वृद्धि का असर सिर्फ मेटल सेक्टर पर नहीं, बल्कि भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों की दिशा पर भी पड़ सकता है।
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