चीन ने भारत का दिया साथ, अमेरिका बोला- रणनीतिक साझेदारी जारी रहेगी
ट्रंप का भारत से व्यापार वार्ता से इनकार, टैरिफ विवाद के चलते बढ़ा तनाव
वॉशिंगटन डीसी/नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच संभावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि जब तक टैरिफ (शुल्क) विवाद सुलझ नहीं जाता, तब तक भारत के साथ किसी भी व्यापार समझौते पर बातचीत नहीं होगी। ट्रंप के इस बयान से दोनों देशों के बीच चल रही पांच दौर की व्यापार वार्ता पर प्रश्नचिह्न लग गया है।
ट्रंप ने यह बयान ऐसे समय में दिया है, जब मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा था कि अमेरिकी अधिकारियों का एक दल अगस्त के अंत तक भारत आने वाला है, जिससे छठे दौर की वार्ता का मार्ग प्रशस्त हो सके। लेकिन अब ट्रंप की नाराज़गी और कठोर रुख ने इस दौरे पर भी संदेह खड़ा कर दिया है।

🇮🇳 भारत पर अब तक कुल 50% टैरिफ
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर अब तक कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। 30 जुलाई को उन्होंने 25% टैरिफ का आदेश जारी किया था, जो 7 अगस्त से प्रभावी हो गया है। इसके बाद 6 अगस्त को उन्होंने एक और एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया गया है। यह नया टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा।
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई भारत द्वारा रूस से तेल की खरीद के कारण की गई है। ट्रंप ने कहा है कि रूस इस पैसे का उपयोग यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में कर रहा है, जो अमेरिका की विदेश नीति के विरोध में है।
🇺🇸 अमेरिका: भारत से खुले संवाद की नीति जारी रहेगी
ट्रंप के सख्त रुख के बावजूद अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक नरम और संतुलित बयान जारी किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता टॉमी पिगॉट ने कहा—
“अमेरिका भारत को एक रणनीतिक साझेदार मानता है। टैरिफ विवाद के बावजूद दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग की प्रक्रिया जारी रहेगी।”
टॉमी ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने व्यापार असंतुलन और रूस से तेल खरीद को लेकर अपनी चिंता स्पष्ट कर दी है और उसी के आधार पर टैरिफ लगाया गया है। हालांकि, अमेरिका इस विवाद को सीधे संवाद के ज़रिए हल करना चाहता है।
🇨🇳 चीन ने भारत का समर्थन किया, अमेरिका की नीति पर हमला
अमेरिका के इस टैरिफ निर्णय को लेकर चीन ने भी प्रतिक्रिया दी है और भारत का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन किया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा—
“टैरिफ का यह दुरुपयोग अमेरिका की मनमानी को दर्शाता है। चीन इस प्रकार की नीति का स्पष्ट विरोध करता है।”
चीन की यह प्रतिक्रिया वैश्विक व्यापार मंचों पर अमेरिका के एकतरफा निर्णयों के खिलाफ देशों के बढ़ते असंतोष को दिखाती है। भारत पर टैरिफ के बहाने अमेरिका जिस प्रकार राजनीतिक दबाव बना रहा है, वह चीन जैसे विरोधी देश के लिए भारत के समर्थन का कारण बन गया है।

🧾 भारत-अमेरिका के बीच अब तक 5 दौर की बातचीत
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर अब तक 5 दौर की बातचीत हो चुकी है। छठे दौर की बातचीत के लिए अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का 25 अगस्त को भारत आना प्रस्तावित था। दोनों देश सितंबर-अक्टूबर तक इस समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने का प्रयास कर रहे थे। इसके अलावा एक अंतरिम ट्रेड एग्रीमेंट पर भी चर्चा चल रही थी, जिससे सीमित क्षेत्र में व्यापारिक सहमति बन सके।
अब ट्रंप के ताज़ा बयान के बाद इन सभी प्रयासों पर विराम लग गया है, या फिर ये प्रयास अनिश्चितता में घिर गए हैं।
🔍 विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
अंतरराष्ट्रीय व्यापार मामलों के विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रंप का यह रुख चुनावी रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है। अमेरिकी घरेलू राजनीति में ट्रंप अक्सर ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत विदेशी व्यापार संबंधों पर सख्ती दिखाते रहे हैं।
वरिष्ठ व्यापार विश्लेषक डॉ. समीर कपूर कहते हैं—
“रूस से तेल खरीद को लेकर भारत पर दबाव बनाना अमेरिकी कूटनीति का हिस्सा है, लेकिन व्यापार वार्ता को रोकना आर्थिक और रणनीतिक रूप से दोनों देशों के हित में नहीं है। यह कदम दोनों देशों के सहयोग को नुकसान पहुंचा सकता है।”
📊 क्या होंगे भारत पर प्रभाव?
भारत पर लगाई गई 50 प्रतिशत टैरिफ का सीधा असर भारत के निर्यात पर पड़ सकता है, विशेषकर उन उत्पादों पर जो अमेरिकी बाजार में अधिक मात्रा में निर्यात किए जाते हैं – जैसे टेक्सटाइल, इंजीनियरिंग गुड्स, फार्मा उत्पाद आदि। इससे भारतीय निर्यातकों को प्रतिस्पर्धा में नुकसान हो सकता है और व्यापार घाटा भी बढ़ सकता है।
इसके अलावा, अमेरिकी निवेश और तकनीकी सहयोग की गति भी प्रभावित हो सकती है, यदि दोनों देशों के बीच विश्वास में दरार गहराई।
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डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से व्यापार समझौते पर बातचीत रोकने की घोषणा ने दोनों देशों के संबंधों में एक नया तनाव पैदा कर दिया है। जहां एक ओर अमेरिका टैरिफ विवाद को हल होने तक किसी भी प्रकार की व्यापारिक पहल से दूर रहना चाहता है, वहीं दूसरी ओर भारत और अमेरिका के बीच दशकों से चल रही रणनीतिक साझेदारी इस चुनौती के दौर से गुजर रही है।
चीन जैसे देश का समर्थन इस मामले को एक नई अंतरराष्ट्रीय राजनीति की दिशा में मोड़ सकता है, जहां अमेरिका की ‘टैरिफ कूटनीति’ पर वैश्विक असहमति साफ दिखाई दे रही है।
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