ट्रंप प्रशासन को झटका: अदालत ने त्वरित निर्वासन पर लगाई रोक, लाखों अप्रवासियों को राहत
वॉशिंगटन। अमेरिका में अप्रवासी नीति को लेकर ट्रंप प्रशासन को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। एक संघीय अदालत ने ट्रंप प्रशासन द्वारा लागू किए गए त्वरित निर्वासन के आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी है। इस निर्णय से अमेरिका में मानवीय पैरोल पर रह रहे लाखों अप्रवासियों को फिलहाल राहत मिल गई है।
क्या था ट्रंप प्रशासन का आदेश?
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान अप्रवासियों को लेकर कई सख्त कदम उठाए गए थे। इन्हीं में एक अहम आदेश था—त्वरित निर्वासन यानी Fast Track Deportation। इस नीति के तहत अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग को यह अधिकार दे दिया गया था कि वे बिना किसी कानूनी सुनवाई या अदालत के आदेश के, अमेरिका में मौजूद अप्रवासियों को सीधा निर्वासित कर सकते हैं। यह विशेष रूप से उन अप्रवासियों पर लागू होता था जो मानवीय पैरोल के तहत अमेरिका में अस्थायी रूप से रह रहे थे।

मानवीय पैरोल क्या है?
मानवीय पैरोल एक कानूनी व्यवस्था है जिसके अंतर्गत अमेरिका किसी व्यक्ति को मानवीय कारणों से देश में अस्थायी रूप से रहने की अनुमति देता है। ये वे लोग होते हैं जो अपने देश में युद्ध, हिंसा, उत्पीड़न या आपदा से बचकर अमेरिका में शरण लेते हैं। इन्हें अस्थायी सुरक्षा दी जाती है, ताकि वे अमेरिका में सुरक्षित रह सकें और उन्हें वापस खतरे के माहौल में न भेजा जाए।
होमलैंड सिक्योरिटी की कार्रवाई और विवाद
ट्रंप प्रशासन के आदेश के बाद होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने इस नीति को तत्काल लागू करना शुरू कर दिया था। कई अप्रवासियों को बिना किसी पूर्व नोटिस या अदालती सुनवाई के हिरासत में लिया गया और उन्हें निर्वासन की प्रक्रिया में डाल दिया गया। इस कार्रवाई के खिलाफ कई अप्रवासी अधिकार समूहों और मानवाधिकार संगठनों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने तर्क दिया कि यह आदेश संवैधानिक अधिकारों का हनन है और इससे लाखों लोगों की जिंदगी पर सीधा असर पड़ेगा।

अदालत का हस्तक्षेप और निर्णय
इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए वॉशिंगटन डीसी के अमेरिकी जिला न्यायाधीश जियो कोब ने ट्रंप प्रशासन के इस आदेश पर अस्थायी रोक लगाने का आदेश दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह रोक केवल उन्हीं अप्रवासियों पर लागू होगी जो मानवीय पैरोल के तहत अमेरिका में रह रहे हैं।
जज कोब ने अपने आदेश में कहा कि, “यह मामला केवल कानूनी प्रक्रियाओं का नहीं, बल्कि उस मूल सवाल का है कि क्या उत्पीड़न से भागे लोगों को अमेरिका की न्यायिक व्यवस्था में सुनवाई का पूरा मौका मिलना चाहिए या नहीं।”

सुनवाई पूरी होने तक लागू रहेगी रोक
यह रोक स्थायी नहीं है। यह केवल तब तक के लिए प्रभावी रहेगी जब तक इस मामले की विस्तृत सुनवाई पूरी नहीं हो जाती। इसका मतलब यह है कि यदि अदालत अंतिम निर्णय में ट्रंप प्रशासन की नीति को वैध ठहराती है, तो यह अस्थायी राहत खत्म हो सकती है।
हालांकि, मौजूदा हालात में यह आदेश लाखों अप्रवासियों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है, जिन्हें तत्काल निर्वासन का खतरा था।
क्यों महत्वपूर्ण है यह फैसला?
इस फैसले का असर केवल कानूनी स्तर पर नहीं, बल्कि सामाजिक और मानवीय दृष्टिकोण से भी गहरा है। अमेरिका लंबे समय से एक ऐसा देश रहा है जहां उत्पीड़न और असहिष्णुता से भागकर आने वालों को शरण दी जाती रही है। लेकिन ट्रंप प्रशासन के तहत अप्रवासी नीति में कठोरता आने के कारण मानवीय पैरोल जैसे उपाय भी खतरे में पड़ गए थे।
अब जब अदालत ने हस्तक्षेप किया है, तो यह न केवल कानूनी प्रक्रिया की पुनर्स्थापना है बल्कि यह भी संदेश है कि अमेरिका की न्याय प्रणाली अब भी कमजोर वर्गों की सुनवाई के लिए तत्पर है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा | और भी दिलचस्प खबरें आपके लिए… सिर्फ़ स्वदेश ज्योति पर!