• G-7 की प्रासंगिकता और भविष्य को लेकर भी उन्होंने कई सवाल उठाए

कनानास्किस (कनाडा)। कनाडा में जारी G-7 सम्मेलन में उस समय हलचल मच गई जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अचानक बीच कार्यक्रम से उठकर अमेरिका लौट गए। उन्होंने अपनी अचानक वापसी के पीछे ईरान-इजरायल के बीच गहराते संघर्ष का हवाला दिया। साथ ही, G-7 की प्रासंगिकता और भविष्य को लेकर भी उन्होंने कई सवाल उठाए।

रूस को दोबारा जोड़ने और चीन को आमंत्रित करने का सुझाव

ट्रंप ने G-7 को पुराना और अप्रभावी मंच बताते हुए कहा कि 2014 में रूस को इससे बाहर करना गलत निर्णय था, जिससे दुनिया अस्थिर हो गई। उन्होंने यह भी कहा कि चीन जैसे प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी को भी इस समूह में शामिल किया जाना चाहिए। ट्रंप ने G-7 के वर्तमान स्वरूप पर तंज करते हुए इसे "आंशिक क्लब" बताया और कहा कि जब तक इसमें सभी महाशक्तियों की भागीदारी नहीं होगी, तब तक यह वैश्विक निर्णयों को प्रभावी तरीके से लागू नहीं कर सकेगा।

पीएम मोदी और ट्रंप की बहुप्रतीक्षित भेंट नहीं हो सकी

इस साल कनाडा द्वारा आयोजित इस शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शिरकत करने पहुंचे, लेकिन उनकी डोनाल्ड ट्रंप से निर्धारित मुलाकात नहीं हो सकी। ट्रंप उनके पहुंचने से पहले ही अमेरिका के लिए रवाना हो चुके थे। यह मुलाकात भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों के लिहाज से अहम मानी जा रही थी, खासकर जब दुनिया में पश्चिम एशिया संकट, आर्थिक मंदी और इंडो-पैसिफिक नीति पर चर्चा गर्म है।

ईरान को ट्रंप की खुली चेतावनी

ट्रंप ने अमेरिका लौटने के बाद अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रूथ अकाउंट' पर ईरान को कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने लिखा, "ईरान को अपनी परमाणु महत्वाकांक्षाएं तुरंत छोड़नी होंगी, वरना परिणाम गंभीर होंगे।" ट्रंप ने यह भी दावा किया कि ईरानी नेतृत्व बातचीत के संकेत तो दे रहा है, लेकिन पिछले 60 दिनों में कोई ठोस समझौता नहीं हुआ, जिससे इस्राइल ने चार दिन पहले सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी।

ईरान का भूमिगत परमाणु केंद्र अब भी चुनौती

इजराइल ने बीते दिनों ईरान के कई परमाणु ठिकानों पर हमले किए, लेकिन उसका प्रमुख यूरेनियम संवर्धन केंद्र 'फोर्डो फैसिलिटी' अब भी सुरक्षित है। यह केंद्र जमीन के बहुत नीचे स्थित है, जिसे नष्ट करने के लिए अमेरिका की अत्याधुनिक हथियार प्रणाली GBU-57 "मासिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर" की जरूरत है। यह बम केवल B-2 स्टील्थ बॉम्बर से ही छोड़ा जा सकता है, जो फिलहाल इजराइल के पास उपलब्ध नहीं है। इससे संकेत मिलता है कि इस्राइल को अगर फोर्डो को निशाना बनाना है तो अमेरिका का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सहयोग जरूरी होगा।

पश्चिम एशिया की आग में झुलस रहा वैश्विक राजनयिक मंच

G-7 सम्मेलन जिस समय चल रहा है, उस दौरान दुनिया एक और बड़े संघर्ष की ओर बढ़ रही है। अमेरिका, इजराइल और ईरान के बीच चल रही तल्ख़ी वैश्विक कूटनीति, ऊर्जा संकट और भू-राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर रही है। ऐसे में ट्रंप की असमय वापसी न केवल G-7 की भूमिका पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह दर्शाती है कि वैश्विक नेतृत्व अब सैन्य संकटों के सामने राजनयिक वार्ताओं को तवज्जो देने में चूक रहा है।