अमेरिकी राष्ट्रपति का बड़ा फैसला, नवंबर से लागू होगा नया टैरिफ
ट्रंप ने चीन पर लगाया 100 प्रतिशत व्यापार शुल्क, नवंबर से लागू होगा नया टैरिफ
वाशिंगटन, 11 अक्टूबर। अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार तनाव एक बार फिर नए मुकाम पर पहुंच गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को घोषणा की कि चीन से आने वाले सभी आयातित उत्पादों पर 100 प्रतिशत अतिरिक्त व्यापार शुल्क (टैरिफ) लगाया जाएगा। यह निर्णय 1 नवंबर से प्रभावी होगा और मौजूदा शुल्कों के ऊपर लागू किया जाएगा। ट्रंप के इस कदम ने न केवल अमेरिकी बाजार बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी हलचल मचा दी है।
चीन पर “अनुचित व्यापार व्यवहार” का आरोप
व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से बात करते हुए ट्रंप ने कहा, “चीन ने वर्षों से हमारे खिलाफ अनुचित व्यापार प्रतिबंध लगाए हैं। अब अमेरिका चुप नहीं बैठेगा। हम 100 प्रतिशत शुल्क लगाकर जवाब देंगे।”
उन्होंने आगे कहा कि यह निर्णय अमेरिकी उद्योगों, विशेष रूप से निर्माण और तकनीकी क्षेत्र, की रक्षा के लिए आवश्यक है।
वर्तमान में अमेरिका, चीन से आने वाले आयात पर औसतन 40 प्रतिशत शुल्क वसूलता है। ट्रंप के इस नए निर्णय के बाद यह शुल्क कुल 140 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा।
स्टॉक मार्केट में आई भारी गिरावट
ट्रंप की घोषणा के कुछ ही घंटों के भीतर अमेरिकी शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई।
“डाउ जोन्स इंडेक्स” में लगभग 2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
डाउ जोन्स इंडेक्स वह बाजार सूचकांक है जो न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज और नास्डैक पर सूचीबद्ध 30 प्रमुख अमेरिकी कंपनियों के प्रदर्शन को मापता है।
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशकों को अब वैश्विक व्यापार में अस्थिरता और मंदी का डर सताने लगा है।

किन वस्तुओं पर लगेगा शुल्क
अमेरिकी प्रशासन के अनुसार, नया शुल्क चीन से आने वाले सभी प्रमुख निर्यात उत्पादों पर लागू होगा, जिनमें —
- इलेक्ट्रॉनिक उपकरण,
- मशीनरी,
- सॉफ्टवेयर,
- और अन्य औद्योगिक वस्तुएं शामिल हैं।
राष्ट्रपति ट्रंप ने साथ ही यह भी घोषणा की कि अमेरिका महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर उत्पादों के निर्यात पर नियंत्रण कड़ा करेगा ताकि चीन को तकनीकी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त न मिल सके।
2018 के व्यापार युद्ध की यादें ताज़ा
यह निर्णय 2018 से चल रहे अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का ही विस्तार माना जा रहा है।
उस समय भी ट्रंप प्रशासन ने चीन पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और आर्थिक तनाव बढ़ गया था।
अब 100 प्रतिशत टैरिफ लगने से व्यापारिक संबंध और बिगड़ने की आशंका है।
ट्रंप ने यह कदम चीन द्वारा दुर्लभ मिट्टी के खनिजों (Rare Earth Minerals) के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की प्रतिक्रिया में उठाया है।
ये खनिज इलेक्ट्रिक वाहनों, मोबाइल फोन, रक्षा उपकरणों और अर्धचालक उद्योग के लिए अत्यंत आवश्यक माने जाते हैं।
विशेषज्ञों ने जताई वैश्विक मंदी की आशंका
आर्थिक विशेषज्ञों ने ट्रंप के इस फैसले को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के लिए खतरा बताया है।
चैंबर ऑफ कॉमर्स के एक अधिकारी ने कहा, “यह कदम अंततः उपभोक्ताओं पर बोझ डालेगा क्योंकि उत्पादन लागत और वस्तुओं की कीमतें दोनों बढ़ेंगी।”
वहीं, अर्थशास्त्री वॉरेन बफेट ने चेतावनी दी है कि इस नीति से वैश्विक मंदी (Recession) की संभावना बढ़ सकती है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन दोनों की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे पर गहराई से निर्भर हैं, और शुल्कों का यह दायरा यदि लंबा चला तो पूरी दुनिया में मूल्यवृद्धि और आर्थिक अस्थिरता बढ़ेगी।
चीन की तीखी प्रतिक्रिया
ट्रंप के इस कदम पर चीन ने कड़ी आपत्ति जताई है।
चीनी वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका का यह निर्णय “एकतरफा और अनुचित” है और चीन इसकी जवाबी कार्रवाई करेगा।
चीन ने यह भी कहा कि दुर्लभ मृदा खनिजों पर उसका निर्यात नियंत्रण “राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मरक्षा” का हिस्सा है।
चीनी सरकार का तर्क है कि अमेरिका लगातार व्यापार में दबाव बनाकर अंतरराष्ट्रीय नियमों की अवहेलना कर रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में चीन अपने व्यापारिक साझेदार देशों, जैसे रूस, दक्षिण कोरिया और यूरोपीय संघ, के साथ रणनीतिक समझौते को और मजबूत करेगा।
भारत और यूरोपीय संघ की नजरें भी सतर्क
भारत और यूरोपीय संघ ने ट्रंप की इस घोषणा पर गहरी निगरानी रखी है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि भारत “अमेरिका के साथ समन्वय बनाए रखेगा” ताकि उसके निर्यात और मुद्रा पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
उधर, यूरोपीय बाजारों में सोने की कीमतें बढ़ गईं, जबकि चीनी युआन कमजोर हुआ।
यह संकेत है कि निवेशक अब सुरक्षित संपत्तियों (Safe Assets) की ओर रुख कर रहे हैं।
चुनावी रणनीति से जुड़ा है ट्रंप का निर्णय
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप का यह कदम 2024 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले उनकी चुनावी रणनीति का हिस्सा है।
उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में भी चीन के प्रति कठोर रुख अपनाया था और अब वे “अमेरिकी उद्योग की रक्षा करने वाले नेता” की छवि को और मजबूत करना चाहते हैं।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस कदम से अमेरिकी उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ा तो इसका राजनीतिक असर भी ट्रंप पर पड़ सकता है।
✨ स्वदेश ज्योति के द्वारा | और भी दिलचस्प खबरें आपके लिए… सिर्फ़ स्वदेश ज्योति पर!
- एएसआई ने जान दी, मरने से पहले वीडियो में लगाए गंभीर आरोप: हरियाणा की एक और सनसनीखेज घटना
- कोल्ड्रफ सिरप कांड में नया खुलासा: डॉक्टर को दवा लिखने पर मिलता था 10% कमीशन, कोर्ट ने जमानत अर्जी की खारिज
- प्रदेश की ग्राम पंचायतें केवल प्रशासनिक इकाइयाँ नहीं, ग्रामीण विकास की आत्मा भी हैं: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
- सिवनी लूटकांड में बड़ा खुलासा: एसडीओपी पूजा पांडे सहित 5 पुलिसकर्मी गिरफ्तार
- मंत्रिपरिषद की बैठक: सोयाबीन पर भावांतर योजना को मंजूरी, पेंशनर्स की महंगाई राहत बढ़ेगी