नई दिल्ली/दोहा। भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के बाद एक बार फिर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि इस पूरे मामले को शांत करने में उनकी अहम भूमिका रही। हालांकि कतर के दौरे के दौरान उन्होंने अपने पुराने बयानों से थोड़ा पीछे हटते हुए कहा कि “मैंने मध्यस्थता नहीं की, लेकिन दोनों देशों के बीच स्थिति को शांत करने में मदद की।”
कतर स्थित अल-उदीद एयर बेस पर अमेरिकी सैन्यकर्मियों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा, “मैं यह नहीं कहना चाहता कि मैंने मध्यस्थता की, लेकिन मैंने पाकिस्तान और भारत के बीच एक बढ़ती हुई दुश्मनी को सुलझाने में मदद की। अचानक आपको एक अलग तरह की मिसाइलें दिखने लगती हैं। हमने इसे संभाल लिया है।”
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने भारत-पाक विवाद में खुद की भूमिका का दावा किया है। इससे पहले भी छह बार वह यह कह चुके हैं कि उन्होंने दोनों देशों के बीच युद्ध रोकवाने में अहम किरदार निभाया।
अमेरिका की भूमिका या कूटनीतिक प्रचार?
ट्रंप के दावे को लेकर सवाल भी खड़े हो रहे हैं, क्योंकि भारत सरकार के उच्च सूत्रों ने साफ किया है कि संघर्ष विराम में किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी। भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के डीजीएमओ ने आपसी सहमति से जमीनी, हवाई और समुद्री सैन्य कार्रवाई तुरंत रोकने का निर्णय लिया था।
सूत्रों ने बताया कि दोनों देशों के सैन्य अफसरों ने आपसी संचार के जरिए हालात को सामान्य करने का रास्ता चुना और यह पूर्णत: द्विपक्षीय वार्ता का परिणाम था। भारत लगातार यह रुख दोहराता रहा है कि कश्मीर या पाकिस्तान से जुड़ा कोई भी मुद्दा आपसी बातचीत से ही सुलझाया जाएगा, किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं है।

ट्रंप की बयानबाज़ी और ट्रुथ सोशल पर ‘क्रेडिट’ लेने की कोशिश
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट कर दावा किया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच ‘पूर्ण और त्वरित संघर्ष विराम’ अमेरिका की मध्यस्थता से हुआ। उन्होंने इसे ‘ऐतिहासिक और साहसी’ समझौता करार देते हुए कहा कि कश्मीर मुद्दे पर भी वह मदद करना चाहते हैं। ट्रंप ने यहां तक कहा कि उनकी सरकार ने “एक संभावित परमाणु युद्ध को रोका।”
ट्रंप का यह भी दावा रहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान से कहा कि “युद्ध के बजाय व्यापार करें।” उनके अनुसार, पाकिस्तान और भारत दोनों उनके इस प्रस्ताव से खुश थे और दोनों ही अब शांति के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं।
‘मैं सब कुछ सुलझा सकता हूं’ – ट्रंप की विशिष्ट शैली
अपने संबोधन में ट्रंप ने कहा, “आप सभी जानते हैं कि मैं कुछ भी सुलझा सकता हूं। चलिए सभी को एक साथ लाते हैं। भारत और पाकिस्तान पिछले एक हजार वर्षों से लड़ते आ रहे हैं, लेकिन हमने इसे सुलझा लिया।” ट्रंप के इन बयानों को लेकर राजनीतिक हलकों और अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों में मिली-जुली प्रतिक्रिया है। कुछ इसे चुनावी वर्ष में विदेश नीति की सफलता का दिखावा मानते हैं, तो कुछ इसे गंभीर कूटनीतिक हस्तक्षेप का दावा।
भारत की प्रतिक्रिया – शांति का रास्ता लेकिन बिना किसी मध्यस्थ
भारत ने पहले भी ट्रंप जैसे बयानों पर संवेदनशीलता और संयम से प्रतिक्रिया दी है। भारत का कूटनीतिक रुख साफ रहा है – संप्रभुता, कश्मीर और द्विपक्षीय मसलों पर कोई तीसरा पक्ष नहीं।
सरकारी सूत्रों ने दो टूक कहा कि संघर्ष विराम की घोषणा भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच आपसी सहमति से हुई थी, और इसमें अमेरिका या किसी भी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं थी। भारत के लिए यह मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता से जुड़ा है, और इसमें बाहरी हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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