वॉशिंगटन/नई दिल्ली। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध रोकने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में दोनों देशों के बीच हालात इतने खराब हो गए थे कि वे “परमाणु युद्ध” के मुहाने पर पहुंच चुके थे, लेकिन उन्होंने इस संकट को टालने में बड़ी भूमिका निभाई। फॉक्स न्यूज को दिए एक ताज़ा इंटरव्यू में ट्रम्प ने इसे अपनी सबसे बड़ी फॉरेन पॉलिसी अचीवमेंट्स में से एक करार दिया।
‘N वर्ड’ से था अगला कदम: ट्रम्प
ट्रम्प ने कहा—
“स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि अगला कदम क्या होता, आप जानते हैं… N वर्ड। यानी न्यूक्लियर वॉर। लेकिन हमने वो नहीं होने दिया।”
ट्रम्प के अनुसार, भारत और पाकिस्तान के बीच मई की शुरुआत में जिस तनाव की स्थिति बनी थी, वह नियंत्रण से बाहर जा सकती थी। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्हें इस काम का श्रेय नहीं दिया गया।
ट्रम्प के भारत-पाक सीजफायर पर पांच बड़े दावे
डोनाल्ड ट्रम्प बीते कुछ दिनों में भारत-पाकिस्तान सीजफायर को लेकर लगातार बयान देते आ रहे हैं। आइए, उनके सभी बयानों को क्रमवार समझते हैं:
1. 10 मई:
“मैंने युद्ध रोका, दोनों देशों ने समझदारी दिखाई”
ट्रम्प ने ट्वीट करते हुए कहा—
“भारत और पाकिस्तान सीजफायर के लिए सहमत हो गए हैं। मैं दोनों देशों को कॉमनसेंस और साहसिक फैसले के लिए बधाई देता हूं।”
2. 11 मई:
“कश्मीर मुद्दे को हल करने में भूमिका निभाऊंगा”
“मैं भारत और पाकिस्तान की मजबूत नेतृत्व क्षमता को सलाम करता हूं। उन्होंने ऐसे समय में साहस और सूझबूझ से फैसला लिया, जब हालात बहुत खतरनाक हो सकते थे।”
3. 12 मई:
“मैंने परमाणु युद्ध को रोका”
“सीजफायर अमेरिका की मध्यस्थता का नतीजा है। दोनों देशों के पास कई परमाणु हथियार हैं। यह मेरी सबसे बड़ी कामयाबियों में से एक है।”
4. 13 मई:
“मध्यस्थता में बिजनेस की ताकत का इस्तेमाल किया”
“मेरे लिए शांति सबसे ज़रूरी है। मैंने विभाजन नहीं, एकता को बढ़ावा देने की कोशिश की। भारत और पाकिस्तान के बीच कारोबार और कूटनीति के जरिए काम किया।”
5. 15 मई:
“मध्यस्थ नहीं बना, लेकिन मदद जरूर की”
“मैंने आधिकारिक तौर पर मध्यस्थता नहीं की, लेकिन मैंने पर्दे के पीछे मदद की। मैं ये नहीं कहूंगा कि मैंने सब किया, लेकिन जो कुछ हुआ उसमें मेरा हाथ था।”
अमेरिका की भूमिका पर सवाल, भारत की प्रतिक्रिया नहीं
हालांकि, भारत सरकार की ओर से ट्रम्प के इन बयानों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। भारत पहले भी स्पष्ट कर चुका है कि कश्मीर और भारत-पाक संबंध द्विपक्षीय मुद्दे हैं, जिनमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका की जरूरत नहीं।
ट्रम्प की रणनीति या चुनावी बयान?
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रम्प का यह बयान अमेरिकी चुनावों के संदर्भ में भी देखा जाना चाहिए। वे लगातार अपनी विदेश नीति की उपलब्धियों को सामने रखकर अपनी छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मज़बूत बताना चाह रहे हैं। ट्रम्प पहले भी उत्तर कोरिया से वार्ता और इजरायल-अरब समझौतों को अपनी उपलब्धियों में गिनाते रहे हैं।
भारत-पाक तनाव की पृष्ठभूमि क्या थी?
मई की शुरुआत में भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर हलचल बढ़ी थी। कश्मीर में आतंकी गतिविधियों और पाकिस्तान की ओर से ड्रोन घुसपैठ की खबरों के बाद तनाव गहराया था। ऐसे में भारतीय सेना की सतर्कता और राजनयिक स्तर पर वार्ताएं ज़रूरी साबित हुईं।
अब ट्रम्प के दावे से बहस फिर शुरू हो गई है—क्या अमेरिका ने वाकई पर्दे के पीछे कोई बड़ी भूमिका निभाई थी, या फिर यह महज एक पूर्व राष्ट्रपति का राजनीतिक दावा है?
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