गंभीर वायु गुणवत्ता के बीच दफ्तरों, निर्माण कार्य और वाहनों पर कड़े फैसले

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता ने एक बार फिर जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। जानलेवा प्रदूषण और जहरीली हवा के चलते भाजपा सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए सभी सरकारी और निजी दफ्तरों में 50 प्रतिशत वर्क फ्रॉम होम व्यवस्था अनिवार्य कर दी है। अब सभी कार्यालयों में केवल आधे कर्मचारी ही उपस्थित रहेंगे, जबकि शेष कर्मचारी घर से काम करेंगे। यह नियम गुरुवार से लागू कर दिया गया है। सरकार का कहना है कि इसका उद्देश्य सड़कों पर यातायात का दबाव कम करना और प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करना है। दिल्ली सरकार में मंत्री कपिल मिश्रा ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। हालांकि, कुछ आवश्यक सेवाओं को इस नियम से छूट दी गई है। इनमें स्वास्थ्य सेवाएं, फायर सर्विस, जेल प्रशासन, सार्वजनिक परिवहन, आपदा प्रबंधन और अन्य आवश्यक सेवाएं शामिल हैं, ताकि आपात स्थितियों में किसी प्रकार की बाधा न आए।

GRAP-3 और निर्माण कार्य बंद, मजदूरों को मिलेगा मुआवजा

कपिल मिश्रा ने बताया कि दिल्ली में प्रदूषण के चलते GRAP-3 लागू है, जिसके कारण सभी निर्माण गतिविधियां पूरी तरह बंद कर दी गई हैं। इसका सबसे ज्यादा असर दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ा है, जिनकी आजीविका सीधे तौर पर निर्माण कार्य से जुड़ी होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार ने राहत की घोषणा की है। सरकार सभी रजिस्टर्ड और वेरिफाइड निर्माण मजदूरों के बैंक खातों में मुआवजे के तौर पर 10 हजार रुपए की राशि ट्रांसफर करेगी, ताकि उन्हें इस कठिन समय में कुछ सहारा मिल सके। 

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हवा बेहद खराब, दिल्ली दुनिया का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर

दिल्ली की हवा में घुला जहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार सुबह राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स 328 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। हालांकि यह मंगलवार की तुलना में थोड़ा कम है, जब AQI 377 तक पहुंच गया था, लेकिन हालात अब भी चिंताजनक बने हुए हैं। सुबह के समय शहर के अधिकांश इलाकों में घना स्मॉग छाया रहा, जिससे दृश्यता भी काफी कम हो गई। सुबह 9 बजे तक के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली के 40 एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों में से 30 जगहों पर हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई। बवाना क्षेत्र में सबसे अधिक AQI 376 रिकॉर्ड किया गया। स्विस संस्था आईक्यूएयर के अनुसार, दिल्ली दुनिया का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा। इस सूची में 425 AQI के साथ लाहौर पहले और 406 AQI के साथ सारायेवो दूसरे स्थान पर रहा। 

प्रदूषण नहीं रोक पाने पर पर्यावरण मंत्री की माफी

प्रदूषण की भयावह स्थिति के बीच दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी बयान दिया है। उन्होंने प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण नहीं कर पाने के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी और स्वीकार किया कि खराब हवा का सबसे ज्यादा असर बच्चों की सेहत पर पड़ रहा है। सिरसा ने कहा कि पूर्ववर्ती आप सरकार की नीतियों के कारण दिल्ली में प्रदूषण की समस्या और गंभीर होती चली गई, जिसके दुष्परिणाम अब सामने आ रहे हैं। पीयूसी के बिना नहीं मिलेगा फ्यूल, वाहनों पर सख्तीपर्यावरण मंत्री ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए और भी सख्त कदमों का ऐलान किया है। इसके तहत गुरुवार से दिल्ली के पेट्रोल पंपों पर बिना प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र वाले वाहनों को ईंधन नहीं दिया जाएगा। साथ ही दिल्ली में केवल बीएस-6 मानक वाले वाहनों को ही प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। शहर के भीतर निर्माण सामग्री के परिवहन पर पहले से लगी रोक जारी रहेगी और नियम तोड़ने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। ऐसे वाहनों को सीज करने की कार्रवाई भी की जाएगी।

GRAP-4 लागू, फिर भी हालात जस के तस

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने 13 दिसंबर को पहले GRAP-3 और फिर GRAP-4 लागू किया, लेकिन इसके बावजूद प्रदूषण के स्तर में कोई ठोस सुधार नहीं दिख रहा है। GRAP-4 के तहत 50 प्रतिशत वर्क फ्रॉम होम, बीएस-4 बड़े व्यावसायिक वाहनों की एंट्री पर रोक, सभी निर्माण कार्य बंद, स्कूलों में हाइब्रिड मोड, कचरा और ईंधन जलाने पर प्रतिबंध, डीजल जेनरेटर, आरएमसी प्लांट, स्टोन क्रशर, ईंट भट्ठों और खनन गतिविधियों पर रोक जैसी कड़ी पाबंदियां लागू की गई हैं। इसके बावजूद राजधानी की हवा आम लोगों के लिए गंभीर खतरा बनी हुई है।