भोपाल: यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के मामले में अब राजनीति तेज हो गई है। यह कचरा भोपाल से 40 साल बाद पीथमपुर पहुंचा है, जिससे क्षेत्र में विवाद खड़ा हो गया है। इस पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और कांग्रेस पार्टी से अपील की है कि इस मुद्दे पर राजनीति न की जाए। उनका कहना है कि यह जहरीला कचरा वैज्ञानिक तरीके से निपटाया जा रहा है और इसके निपटारे के बाद कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा।
मुख्यमंत्री का बयान
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चालीस साल से भोपाल के लोग यूनियन कार्बाइड के कचरे के साथ रह रहे हैं, और अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सरकार इसे पीथमपुर में नष्ट करने का फैसला कर रही है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब यह दुर्घटना कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुई थी, तब उन्होंने इसका समाधान नहीं निकाला। मुख्यमंत्री ने कांग्रेस से अपील की कि वे बीती बातें छोड़कर वर्तमान में हो रहे समाधान का समर्थन करें। उन्होंने यह भी कहा कि इस कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निपटारा किया जा रहा है और इसके बाद पीथमपुर में छोड़ी गई राख भी सुरक्षित तरीके से नष्ट की जाएगी।
विरोध और समाधान के प्रयास
पीथमपुर और इंदौर में इस कचरे के जलाए जाने को लेकर विरोध हो रहा है। मुख्यमंत्री ने इस विरोध पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। लोगों की आशंकाओं का समाधान करने के लिए, मुख्यमंत्री ने प्रभारी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को जिम्मेदारी सौंपी है। विजयवर्गीय आज शाम को जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों और विरोध करने वालों से मिलकर उनकी शंकाओं का समाधान करेंगे।
मुख्यमंत्री का व्यक्तिगत अनुभव
मुख्यमंत्री ने इस विषय पर अपनी बात रखते हुए बताया कि जिस दिन यह दुर्घटना हुई, वे भोपाल में विद्यार्थी परिषद की बैठक में शामिल होने के लिए मौजूद थे। उन्होंने कहा कि आज भी जब वे इस हादसे को याद करते हैं, तो उन्हें दुख होता है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस सरकार के दौरान बीस साल तक इस कचरे को नष्ट करने का कोई प्रयास नहीं किया गया, जबकि अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में इसे नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
कचरे का पीथमपुर पहुंचने का विवरण
रात लगभग 2:40 बजे यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा भोपाल से पीथमपुर की ओर रवाना हुआ और इंदौर बायपास से होते हुए सुबह 5:00 बजे तक पीथमपुर के आशापुरा गांव स्थित एक फैक्ट्री में पहुंच गया। कचरे को पीथमपुर में सुरक्षित तरीके से जलाने का काम किया जा रहा है। इस दौरान कचरे से भरे 12 कंटेनरों को 8 घंटे का समय लगा, और यह 250 किलोमीटर की यात्रा को पूरा करते हुए पीथमपुर पहुंचे। इस दौरान कोहरे और कम दृश्यता के कारण यात्रा कठिन हो गई थी, और वाहनों की गति को 40-50 किलोमीटर प्रति घंटा तक सीमित रखा गया था।
सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, कंटेनरों के मार्ग पर पुलिस की तैनाती की गई थी। पुलिसकर्मियों ने कंटेनरों के आने से पहले सड़कों को साफ किया और सुनिश्चित किया कि यात्रा सुरक्षित रहे। मार्ग पर कचरे से भरे कंटेनरों को अग्रिम पुलिस वाहनों द्वारा मार्गदर्शन किया गया। इस यात्रा के दौरान कई स्थानों पर ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए थे, जिसके कारण सीहोर और आष्टा में जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
कचरे को जलाने की प्रक्रिया
कचरे का निपटारा पीथमपुर में एक पहाड़ी पर स्थित फैक्ट्री में किया जा रहा है, जहां विशेष सावधानी बरती जा रही है। यहां कचरे को जलाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि इस प्रक्रिया के बाद कोई भी जहरीला तत्व या राख पर्यावरण में नहीं छोड़ा जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया वैज्ञानिक तरीके से की जा रही है, ताकि आसपास के गांवों और पर्यावरण पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
यूनियन कार्बाइड का कचरा निपटाने की प्रक्रिया को लेकर मध्य प्रदेश में राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस मुद्दे पर राजनीति करने से बचने की अपील की है, जबकि विरोधी दलों ने इस मामले में सरकार की आलोचना की है। अब प्रभारी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय इस मामले की समझाइश देने और लोगों की शंकाओं का समाधान करने के लिए बैठकें आयोजित करेंगे, ताकि इस संवेदनशील मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान निकल सके।