अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती पर जनसभा को भी करेंगे संबोधित

नई दिल्ली। नरेन्द्र मोदी कल 25 दिसंबर को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में राष्ट्र प्रेरणा स्थल का उद्घाटन करेंगे। यह कार्यक्रम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है। उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री जनसभा को भी संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, यह आयोजन देश के राष्ट्रनायकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने और उनकी वैचारिक विरासत को जन-जन तक पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

राष्ट्र प्रेरणा स्थल को स्वतंत्र भारत के प्रमुख राष्ट्रनायकों की स्मृति और योगदान के सम्मान में एक स्थायी राष्ट्रीय स्मारक परिसर के रूप में विकसित किया गया है। यह परिसर लगभग 230 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है और करीब 65 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। इस स्थल को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यहां आने वाले लोग भारत के राजनीतिक, वैचारिक और राष्ट्रीय विकास की यात्रा को एक ही स्थान पर समझ सकें।

परिसर में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी की लगभग 65 फुट ऊंची भव्य कांस्य प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। इन प्रतिमाओं के माध्यम से देश के तीन प्रमुख विचारधारात्मक स्तंभों को सम्मान दिया गया है, जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्मारक परिसर का उद्देश्य केवल श्रद्धांजलि तक सीमित नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देना भी है।

राष्ट्र प्रेरणा स्थल का एक प्रमुख आकर्षण कमल आकृति में निर्मित अत्याधुनिक संग्रहालय है। यह संग्रहालय लगभग 98 हजार वर्ग फुट क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें डिजिटल और अनुभूतिपरक तकनीक का उपयोग कर भारत की राष्ट्रीय यात्रा, लोकतांत्रिक विकास और नेतृत्व की विरासत को प्रस्तुत किया गया है। संग्रहालय में आधुनिक तकनीक के जरिए इतिहास, विचारधारा और राष्ट्र निर्माण से जुड़े प्रसंगों को जीवंत रूप में दिखाया गया है, ताकि युवाओं और आम नागरिकों को देश के नेतृत्व से जुड़ी प्रेरक कहानियों को समझने का अवसर मिल सके।

प्रधानमंत्री कार्यालय का कहना है कि राष्ट्र प्रेरणा स्थल न केवल एक स्मारक के रूप में कार्य करेगा, बल्कि यह शिक्षा, शोध और वैचारिक विमर्श का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा। अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर इसका उद्घाटन उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि मानी जा रही है, क्योंकि उनका संपूर्ण जीवन राष्ट्रसेवा, लोकतांत्रिक मूल्यों और समावेशी विकास के लिए समर्पित रहा।