लंबी बीमारी के बाद ढाका में हुआ निधन, बांग्लादेश की राजनीति में एक युग का अंत
ढाका। बांग्लादेश की राजनीति की सबसे प्रभावशाली और चर्चित शख्सियतों में शामिल रहीं देश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया का आज सुबह 6 बजे 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे पिछले करीब 20 दिनों से वेंटिलेटर पर थीं और लंबे समय से गंभीर बीमारियों से जूझ रही थीं। उनके निधन की पुष्टि परिवार के सदस्यों और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने की है। खालिदा जिया के निधन के साथ ही बांग्लादेश की राजनीति का एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त हो गया है।
खालिदा जिया बीते कई वर्षों से सीने में गंभीर संक्रमण, लिवर और किडनी की बीमारी, डायबिटीज, गठिया और आंखों से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित थीं। हाल के दिनों में उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी, जिसके बाद उन्हें ढाका के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया और हालत नाजुक होने पर वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। तमाम प्रयासों के बावजूद डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके।
दो बार प्रधानमंत्री रहीं, राजनीति में बनाई अलग पहचान
खालिदा जिया बांग्लादेश की उन चुनिंदा नेताओं में शामिल रहीं, जिन्होंने देश की राजनीति को दशकों तक प्रभावित किया। वे 1991 से 1996 और फिर 2001 से 2006 तक दो बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं। वे बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख थीं और पार्टी को राष्ट्रीय राजनीति में मजबूत आधार देने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है।
खालिदा जिया पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान की पत्नी थीं। जियाउर रहमान की हत्या के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा और धीरे-धीरे खुद को एक मजबूत जननेता के रूप में स्थापित किया। उनका राजनीतिक जीवन संघर्ष, सत्ता, विरोध और विवादों से भरा रहा, लेकिन समर्थकों के बीच उनकी लोकप्रियता हमेशा बनी रही।
1971 के मुक्ति संग्राम से जुड़ा दर्दनाक अध्याय
खालिदा जिया का जीवन केवल सत्ता और राजनीति तक सीमित नहीं रहा। 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान उन्हें एक बेहद कठिन दौर से गुजरना पड़ा। उस समय पाकिस्तानी सेना ने उन्हें नजरबंद कर लिया था। वे जुलाई से दिसंबर 1971 तक पाकिस्तानी सेना की कैद में रहीं। 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान की हार के बाद उन्हें रिहा किया गया। यह अनुभव उनके जीवन का सबसे पीड़ादायक अध्याय माना जाता है, जिसने उनके व्यक्तित्व और राजनीतिक सोच को गहराई से प्रभावित किया।
हमलों और विवादों के बीच राजनीतिक सफर
अपने लंबे राजनीतिक करियर के दौरान खालिदा जिया कई बार विवादों और खतरों के घेरे में रहीं। वर्ष 2015 में ढाका में मेयर चुनाव के प्रचार के दौरान उनके काफिले पर गोली चलाई गई थी और पत्थर फेंके गए थे। उस समय वे एक बाजार में आम लोगों से मिलने के लिए रुकी थीं। हालांकि इस हमले में उन्हें कोई शारीरिक चोट नहीं आई, लेकिन यह घटना बांग्लादेश की राजनीति में बढ़ती हिंसा का प्रतीक बन गई थी।
इसके अलावा उनके कार्यकाल और बाद के वर्षों में भ्रष्टाचार के आरोप, गिरफ्तारी और कानूनी लड़ाइयां भी चर्चा में रहीं। इसके बावजूद उनके समर्थकों ने हमेशा उन्हें लोकतंत्र और राष्ट्रवाद की मजबूत आवाज के रूप में देखा।
शेख हसीना ने जताया शोक, राजनीति में बताया बड़ा खालीपन
खालिदा जिया के निधन पर बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने गहरा शोक व्यक्त किया है। अपने शोक संदेश में शेख हसीना ने कहा कि खालिदा जिया के जाने से बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़ा खालीपन आ गया है। उन्होंने कहा कि देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में खालिदा जिया ने बांग्लादेश के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसे लंबे समय तक याद रखा जाएगा।
शेख हसीना ने यह भी कहा कि लोकतंत्र की स्थापना और राजनीतिक संघर्ष के दौर में खालिदा जिया की भूमिका अहम रही। उन्होंने खालिदा जिया की आत्मा की शांति के लिए दुआ की और उनके बेटे तारिक रहमान तथा पूरे परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं। राजनीतिक मतभेदों के बावजूद शेख हसीना का यह बयान बांग्लादेश की राजनीति में एक परिपक्व संदेश के रूप में देखा जा रहा है।
बीएनपी और समर्थकों में शोक की लहर
खालिदा जिया के निधन की खबर फैलते ही बीएनपी कार्यकर्ताओं और समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई। पार्टी कार्यालयों में शोक सभाएं आयोजित की जा रही हैं और देशभर से नेता ढाका पहुंच रहे हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि खालिदा जिया का जाना केवल एक नेता का जाना नहीं, बल्कि एक पूरे राजनीतिक युग का अंत है।
उनके समर्थकों के लिए खालिदा जिया सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि संघर्ष और दृढ़ता की प्रतीक थीं। आने वाले दिनों में उनके अंतिम संस्कार और श्रद्धांजलि कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में लोगों के शामिल होने की संभावना है।
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