नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए अपने विकास लिक्विड इंजन को फिर से चालू करने में सफलता प्राप्त की है। यह इंजन इसरो के प्रक्षेपण वाहनों के द्रव चरणों को शक्ति प्रदान करने के लिए एक प्रमुख घटक है। इस महत्वपूर्ण परीक्षण को महेंद्रगिरि में स्थित प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में सफलतापूर्वक संपन्न किया गया।
इसरो ने 17 जनवरी को इस परीक्षण की घोषणा की और कहा कि इस परीक्षण ने विकास इंजन की कार्यक्षमता को फिर से स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस इंजन का उपयोग विशेष रूप से प्रक्षेपण वाहनों के द्रव चरणों को ऊर्जा प्रदान करने में किया जाता है। यह परीक्षण इसलिए भी विशेष है क्योंकि इसमें इंजन को विभिन्न स्थितियों में पुन: चालू करने की तकनीकों का परीक्षण किया गया है।
परीक्षण के दौरान, इंजन को पहले 60 सेकंड तक चालू किया गया, फिर इसे 120 सेकंड के लिए बंद किया गया और बाद में इसे फिर से चालू किया गया। इस प्रक्रिया के दौरान इंजन के सभी मानक सामान्य रहे और सभी कार्य अपेक्षित रूप से किए गए। इससे यह साबित होता है कि इंजन की कार्यक्षमता और सुरक्षा की आवश्यकताएं पूरी हो रही हैं, जो भविष्य में प्रक्षेपण वाहनों के द्रव चरणों के लिए अनुकूल होंगे। इस परीक्षण को लेकर इसरो के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह तकनीकी विकास के दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इससे पहले, दिसंबर 2024 में भी इस प्रकार का एक परीक्षण किया गया था, लेकिन इस बार का परीक्षण सफलता के नए मापदंड स्थापित करता है। इसरो के अध्यक्ष वी नारायणन ने इस परीक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह सफलता, इसरो के अंतरिक्ष प्रक्षेपण अभियानों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।
इसरो ने यह भी जानकारी दी कि इस परीक्षण के परिणामों का विश्लेषण किया जाएगा ताकि भविष्य में प्रक्षेपण वाहनों के इंजन की कार्यक्षमता को और बेहतर बनाया जा सके। वैज्ञानिकों का मानना है कि इंजन के पुनः चालू होने की क्षमता के साथ, इससे प्रक्षेपण अभियानों की विश्वसनीयता और सफलता दर में वृद्धि होगी।
इसरो का यह कदम, भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की क्षमता को और मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जो आने वाले समय में अंतरिक्ष अभियानों को और भी उच्च मानक पर ले जाने में सहायक सिद्ध होगा।