नई दिल्ली: भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदमों में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर जुड़ गया है, जब भारतीय नौसेना को एक साथ दो अत्याधुनिक युद्धपोत सौंपे गए। इन युद्धपोतों में से एक है आईएनएस सूरत, जो एक विध्वंसक (डेस्ट्रॉयर) है, और दूसरा है आईएनएस नीलगिरी, जो एक फ्रिगेट है। ये दोनों जहाज भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किए गए हैं, और इनसे भारतीय नौसेना की ताकत में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।
स्वदेशी निर्माण से हुई ताकत में वृद्धि
आईएनएस सूरत और आईएनएस नीलगिरी दोनों जहाज भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए हैं और इन्हें मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) द्वारा निर्मित किया गया है। इन दोनों युद्धपोतों को बहु-मिशन फ्रिगेट के रूप में विकसित किया गया है, जो भारतीय नौसेना को समुद्र में पारंपरिक और अपारंपरिक दोनों तरह के खतरों से मुकाबला करने में सक्षम बनाएंगे। इन जहाजों की तैनाती से भारतीय नौसेना की सामरिक ताकत में वृद्धि होगी, विशेषकर समुद्री युद्ध और समुद्र में सुरक्षा की दृष्टि से।
आईएनएस सूरत: अत्याधुनिक स्टील्थ विध्वंसक
आईएनएस सूरत प्रोजेक्ट 15बी का चौथा और अंतिम युद्धपोत है। यह स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक है, जिसे भारतीय नौसेना के लिए स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित किया गया है। इस विध्वंसक के शामिल होने से नौसेना के सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, जहाज रोधी मिसाइलों और टॉरपीडो जैसी अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर की ताकत में वृद्धि होगी।
सूरत का वजन 7,400 टन और लंबाई 164 मीटर है। यह आईएनएस विशाखापत्तनम, आईएनएस मोरमुगाओ, और आईएनएस इम्फाल के बाद इसी परियोजना का चौथा जहाज है। 2021 में शुरू हुआ प्रोजेक्ट 15बी का यह समापन है। सूरत ने अपने समुद्री परीक्षणों के दौरान 30 नॉट्स (56 किमी/घंटा) से अधिक की गति प्राप्त की है, जो इसके उच्च संचालन और युद्ध क्षमता को दर्शाता है। यह स्वदेशी रूप से विकसित भारतीय नौसेना का पहला एआई सक्षम युद्धपोत है, जो युद्ध की स्थिति में अपनी परिचालन दक्षता को बढ़ाता है।
आईएनएस नीलगिरी: आधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट
आईएनएस नीलगिरी प्रोजेक्ट 17ए का पहला स्टील्थ फ्रिगेट है। यह भारतीय नौसेना के लिए एक अत्याधुनिक फ्रिगेट है, जिसे एमडीएल, मुंबई और जीआरएसई, कोलकाता में संयुक्त रूप से तैयार किया जा रहा है। यह डीजल और गैस से संचालित होता है और इसमें एक अत्याधुनिक इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम (IPMS) है, जो जहाज की दक्षता और संचालन में सुधार करता है।
नीलगिरी में सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, 76 मिमी अपग्रेडेड गन, और रैपिड फ़ायर क्लोज-इन हथियार प्रणालियाँ जैसी अत्याधुनिक सेनानी प्रणालियाँ हैं।
स्वदेशी सामग्री से बनीं ये परियोजनाएँ
इन युद्धपोतों के निर्माण में भारत के विभिन्न स्वदेशी कंपनियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। बीएपीएल, एलएंडटी, एमटीपीएफ, बीईएल, बीएचईएल, और महिंद्रा जैसी कंपनियों से हथियार और सेंसर हासिल किए गए हैं। इन जहाजों में लगभग 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
भविष्य में भारतीय नौसेना के लिए और युद्धपोत
आईएनएस सूरत और आईएनएस नीलगिरी के अलावा, प्रोजेक्ट 17ए के तहत इस प्रकार के कुल सात जहाजों का निर्माण किया जा रहा है। इन जहाजों की डिलीवरी 2025-2026 के दौरान होने की संभावना है। इन जहाजों के निर्माण और इनकी तैनाती से भारत की नौसेना को समर्पित रक्षा क्षमताओं में एक नई ऊंचाई प्राप्त होगी।
समग्र विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में योगदान
इन जहाजों के निर्माण ने न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत किया है, बल्कि इससे भारतीय आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा मिला है। भारतीय नौसेना के इन नए युद्धपोतों से देश की समुद्री सुरक्षा मजबूत होगी और भारतीय समुद्री हितों की रक्षा के लिए नौसेना और भी प्रभावी रूप से काम करेगी।
इन युद्धपोतों के जरिए भारत समुद्र में अपनी उपस्थिति और प्रभाव को और मजबूत कर सकेगा, साथ ही यह स्वदेशी रक्षा निर्माण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।