नई दिल्ली: हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में सनातन धर्म को लेकर कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। इस दौरान शंकराचार्य स्वामी हरिदेव गिरि और संत प्रदीप मिश्रा ने सनातन धर्म की रक्षा और इसके महत्व को लेकर अपनी बात रखी। खासतौर पर शंकराचार्य ने सनातन धर्म को भारतीय संस्कृति और पहचान का अभिन्न हिस्सा बताते हुए सनातन बोर्ड की मांग की।
शंकराचार्य का बयान: “सनातनी ही भारत के मूलनिवासी”
स्वामी हरिदेव गिरि ने धर्म संसद में कहा कि “सनातनी ही भारत के मूलनिवासी हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की जड़ों को नष्ट करने की कोई भी कोशिश हमारे देश के लिए घातक होगी। उनका यह बयान विशेष रूप से उन ताकतों के खिलाफ था जो भारतीय संस्कृति को नकारने या उसे बदलने की कोशिश कर रही हैं। शंकराचार्य ने सनातन धर्म को पूरी दुनिया की सबसे प्राचीन और गहरी धार्मिक परंपरा बताया, जो भारतीय समाज की नींव है।
स्वामी हरिदेव गिरि ने यह भी जोर दिया कि भारत में सनातन धर्म की स्थापना, भारतीय समाज के आधार और संस्कृति के साथ जुड़ी हुई है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि सनातन धर्म को विशेष मान्यता दी जाए और इसके संरक्षण के लिए एक अलग बोर्ड का गठन किया जाए, जिसे सनातन बोर्ड कहा जाएगा। इस बोर्ड का उद्देश्य सनातन धर्म से जुड़े मामलों पर ध्यान देना और इसकी रक्षा करना होगा।
प्रदीप मिश्रा का बयान: “घर में जितने सदस्य, उतने शस्त्र रखें”
धर्म संसद में संत प्रदीप मिश्रा ने कहा कि “घर में जितने सदस्य हैं, उतने शस्त्र रखें।” उनका यह बयान भारतीय समाज में आत्मरक्षा और सुरक्षा के महत्व को रेखांकित करता है। संत प्रदीप मिश्रा ने यह कहा कि हर घर में सुरक्षा के साधन होने चाहिए, ताकि किसी भी विपत्ति या हमले से अपनी रक्षा की जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि समाज को अपनी संस्कृति और परंपराओं के साथ-साथ आत्मनिर्भर और सुरक्षित होना चाहिए।
धर्म संसद की अन्य चर्चाएँ
धर्म संसद में इस बार भारत में बढ़ते धार्मिक तनाव और भारतीय संस्कृति की रक्षा को लेकर गहरी चर्चा हुई। कई संतों ने देश के भीतर धार्मिक असहिष्णुता के बढ़ते माहौल पर चिंता जताई और इसे भारतीय समाज के लिए खतरे की घंटी बताया। इसके साथ ही धार्मिक मामलों में अधिक हस्तक्षेप के खिलाफ भी आवाज उठाई गई। संतों ने भारत के पारंपरिक धार्मिक मूल्यों को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि सनातन धर्म को हर हाल में बचाना होगा।
धर्म संसद में यह भी कहा गया कि सनातन धर्म के अनुयायी हर समय अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए तैयार रहें। इसके अलावा, भारत के युवाओं को सनातन धर्म की सही समझ देने के लिए शिक्षा और जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता भी जताई गई।
सनातन बोर्ड की मांग और भविष्य की दिशा
धर्म संसद में उठाई गई सनातन बोर्ड की मांग को लेकर विभिन्न नेताओं और धार्मिक व्यक्तित्वों ने समर्थन दिया। इस बोर्ड का गठन सनातन धर्म के अनुयायियों के अधिकारों और उनकी धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए किया जाएगा। भविष्य में इसके माध्यम से सनातन धर्म से जुड़ी समस्याओं पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाएगा और इसके प्रसार को बढ़ावा दिया जाएगा।
यह धर्म संसद न केवल सनातन धर्म की रक्षा के लिए एक बड़ा कदम हो सकती है, बल्कि भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है।