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February 6, 2025 12:20 AM

बावड़ी की ऊपरी मंजिल का फर्श लाल पत्थर से बना मिला, एएसआई का सर्वे छठे दिन भी जारी

**"ASI survey uncovering red stone floor in ancient stepwell in Chandausi, Sambhal"**

संभल, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के संभल जिले के चंदौसी तहसील क्षेत्र में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का सर्वे बुधवार को लगातार छठे दिन भी जारी रहा। इस सर्वे में एएसआई और नगर पालिका परिषद के कर्मियों की टीम प्राचीन बावड़ी की खुदाई में लगी हुई है। सूत्रों के अनुसार, खुदाई के दौरान बावड़ी की ऊपरी मंजिल का फर्श लाल पत्थर से बना हुआ पाया गया है, जो इसे ऐतिहासिक दृष्टि से और भी महत्वपूर्ण बनाता है।

सर्वे की प्रक्रिया और खुदाई के दौरान के खुलासे

चंदौसी नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी कृष्ण कुमार सोनकर ने बताया कि एएसआई की टीम के निर्देशन में नगर पालिका के 50 कर्मियों की टीम इस खुदाई में जुटी है। खुदाई की प्रक्रिया अब तक काफी सावधानी से की जा रही है, क्योंकि बावड़ी के ढांचे पर जेसीबी मशीन का उपयोग नहीं किया जा सकता। सभी कार्य श्रमिकों द्वारा हाथ से किए जा रहे हैं।

खुदाई के दौरान बावड़ी की दीवारें और अन्य संरचनाएं भी देखी गईं। बताया जा रहा है कि बावड़ी का फर्श लाल पत्थर से बना हुआ है, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह संरचना काफी प्राचीन हो सकती है। अधिकारियों का कहना है कि अभी खुदाई का काम जारी रहेगा, लेकिन यह कह पाना मुश्किल है कि यह प्रक्रिया कब तक पूरी होगी।

धर्मग्रंथों में कुओं और तीर्थों का वर्णन

संभल जिले में 19 प्राचीन कुओं और 68 तीर्थ स्थलों का उल्लेख विभिन्न धर्मग्रंथों में मिलता है। इन प्राचीन कुओं और तीर्थों को पुनर्जीवित करने की मुहिम जिलाधिकारी राजेंद्र पैंसिया ने शुरू की है। हाल ही में, 13 दिसंबर को खग्गू सराय स्थित लगभग 46 साल से बंद पड़े प्राचीन शिव मंदिर का उद्घाटन हुआ था, जिसके बाद जिलाधिकारी ने एएसआई को पत्र लिखकर इन प्राचीन स्थलों और कुओं का निरीक्षण कराने की मांग की थी।

संभावित आयु और ऐतिहासिक महत्व

माना जा रहा है कि चंदौसी के लक्ष्मण गंज इलाके में स्थित यह बावड़ी लगभग 150 साल पुरानी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह बावड़ी बिलारी के राजा के शासनकाल से पहले बनाई गई थी। यह बावड़ी 400 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली हुई है और इसकी दीवारें अब तक बरकरार हैं। इसके अलावा, कुछ विशेषज्ञों का अनुमान है कि बावड़ी की आयु 400 साल तक हो सकती है, जिससे यह संरचना और भी ऐतिहासिक महत्व की हो जाती है।

स्थानीय लोगों और प्रशासन का सहयोग

इस खुदाई के दौरान स्थानीय लोगों का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। सनातन सेवक संघ के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी पैंसिया को एक प्रार्थना पत्र देकर चंदौसी के लक्ष्मण गंज इलाके में स्थित प्राचीन मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग की थी। साथ ही, उन्होंने यह दावा किया था कि मंदिर के पास एक खाली प्लॉट में बावड़ी हो सकती है, जिसके बाद 21 दिसंबर को तहसील और नगर पालिका की टीम ने खुदाई शुरू की।

बावड़ी के भविष्य को लेकर प्रशासन की योजना

इस बावड़ी के महत्व को देखते हुए प्रशासन ने इसके संरक्षण के लिए योजना बनाने का काम शुरू कर दिया है। यह ऐतिहासिक स्थल आने वाले समय में एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बन सकता है। जिलाधिकारी ने कहा कि यदि खुदाई के बाद और महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है, तो इसके संरक्षण और शोध कार्य को और तेज़ किया जाएगा।

संभल जिले के चंदौसी में हो रही बावड़ी की खुदाई से जुड़ी यह खोज इतिहास के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। बावड़ी का फर्श लाल पत्थर से बना हुआ पाया जाना इसके प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व को और बढ़ाता है। एएसआई की टीम और स्थानीय प्रशासन इस परियोजना को पूरी साज-शृंगार के साथ आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं, ताकि यह ऐतिहासिक धरोहर आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रहे।

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