- कोल्ड्रिफ कफ सिरप मामले में बड़ा कदम उठाते हुए श्रीसन फार्मा कंपनी के डायरेक्टर गोविंदन रंगनाथन को गिरफ्तार कर लिया गया
छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश में 24 मासूम बच्चों की मौत का कारण बने कोल्ड्रिफ कफ सिरप मामले में बड़ा कदम उठाते हुए श्रीसन फार्मा कंपनी के डायरेक्टर गोविंदन रंगनाथन को गिरफ्तार कर लिया गया है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) ने बुधवार देर रात चेन्नई में दबिश देकर उसे पकड़ा। रंगनाथन पर 20 हजार रुपए का इनाम घोषित था और वह कई दिनों से पत्नी के साथ फरार चल रहा था। SIT ने उसके चेन्नई स्थित ठिकानों पर छापा मारकर महत्वपूर्ण दस्तावेज, दवाओं के नमूने और प्रोडक्शन रिकॉर्ड जब्त किए हैं। छिंदवाड़ा एसपी अजय पांडे ने बताया कि रंगनाथन को चेन्नई कोर्ट में पेश कर ट्रांजिट रिमांड मांगा जाएगा, जिसके बाद उसे छिंदवाड़ा लाया जाएगा।
जहरीले सिरप से अब तक 24 मासूमों की मौत
छिंदवाड़ा जिले के कई गांवों में बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है। बुधवार रात उमरेठ तहसील के पचधार गांव के तीन वर्षीय मयंक सूर्यवंशी ने नागपुर मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
इससे पहले जिले के कई गांवों में बच्चों की मौतें कफ सिरप पीने के बाद किडनी फेल होने से हुई थीं। अब तक मृत बच्चों की संख्या 24 पहुंच चुकी है, जबकि कई अन्य का इलाज अभी जारी है।
स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, सभी बच्चों ने ‘कोल्ड्रिफ’ ब्रांड का कफ सिरप पीया था, जिसे श्रीसन फार्मा कंपनी द्वारा तैयार किया गया था। सिरप में जहरीले रसायनों की मौजूदगी की पुष्टि के बाद यह मामला पूरे देश में सुर्खियों में आ गया।
जांच में चौंकाने वाला खुलासा : बिना बिल खरीदा गया जहरीला केमिकल
तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल विभाग की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कंपनी ने सिरप बनाने के लिए नॉन-फार्मास्यूटिकल ग्रेड प्रोपलीन ग्लायकॉल खरीदा था, जो दवा निर्माण के लिए अवैध और खतरनाक होता है।
कंपनी के मालिक ने जांच अधिकारियों को बताया कि उसने दो बार में 50-50 किलो के बैग खरीदे थे, यानी कुल 100 किलो जहरीला केमिकल उपयोग में लाया गया।
गंभीर बात यह है कि न तो इन केमिकल की कोई बिल एंट्री मिली, न ही कंपनी के दस्तावेजों में खरीद का कोई उल्लेख पाया गया।
भुगतान कभी नकद, तो कभी गूगल पे से किया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पूरी खरीद प्रक्रिया गुप्त और गैरकानूनी थी।
लैब रिपोर्ट में 486 गुना ज्यादा जहरीला तत्व पाया गया
लैब जांच में सामने आया कि कोल्ड्रिफ सिरप में डाईएथिलीन ग्लायकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लायकॉल (EG) जैसे जहरीले रसायन मौजूद थे, जिनकी मात्रा निर्धारित सीमा से 486 गुना अधिक थी।
एक वैज्ञानिक ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि इतनी मात्रा एक हाथी के आकार के जीव के लिए भी घातक साबित हो सकती है।
ये रसायन शरीर में पहुंचकर किडनी, लिवर और ब्रेन को स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त कर देते हैं।
मार्च 2025 में हुआ था केमिकल का सौदा
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीसन फार्मा ने यह जहरीला केमिकल 25 मार्च 2025 को चेन्नई की सनराइज बायोटेक कंपनी से खरीदा था।
यह केमिकल दवा निर्माण के मानकों पर खरा नहीं उतरता था, फिर भी कंपनी ने इसे बिना किसी लैब परीक्षण के दवा बनाने में इस्तेमाल किया।
कंपनी ने न तो उसकी शुद्धता जांची, न ही यह देखा कि उसमें DEG या EG की मात्रा कितनी है।
दस्तावेज छिपाने और सबूत मिटाने की कोशिश
जांच टीम ने पाया कि जब निरीक्षण के लिए तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल विभाग पहुंचा, तब कंपनी ने अपना प्रोपलीन ग्लायकॉल स्टॉक समाप्त कर दिया था।
अधिकारियों को शक है कि कंपनी ने जानबूझकर रसायन को खत्म कर दस्तावेज छिपाने की कोशिश की।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मामला केवल कानूनी उल्लंघन नहीं बल्कि जनसुरक्षा से जुड़ा गंभीर अपराध है, क्योंकि इस सिरप ने दर्जनों मासूम बच्चों की जान ले ली।
सार्वजनिक सुरक्षा के लिए जरूरी कदम
तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल अथॉरिटी ने केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजते हुए कहा कि नॉन-फार्मास्यूटिकल ग्रेड केमिकल के इस्तेमाल से बनी दवाओं की तुरंत रिकॉल कार्रवाई की जानी चाहिए।
साथ ही पूरे देश में उन सभी दवा कंपनियों की जांच की सिफारिश की गई है जो सस्ती दरों पर बिना प्रमाणित केमिकल खरीदती हैं।
जांच का दायरा बढ़ा, SIT ने जब्त किए अहम रिकॉर्ड
मध्य प्रदेश SIT ने अब श्रीसन फार्मा के संपूर्ण उत्पादन रिकॉर्ड, वितरण सूची और वित्तीय दस्तावेज अपने कब्जे में ले लिए हैं।
इसके साथ ही उन फार्मास्यूटिकल वितरकों की भी जांच शुरू की गई है जिन्होंने यह सिरप मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में सप्लाई किया था। SIT प्रमुख ने बताया कि यह मामला अब आपराधिक लापरवाही और मानवहत्या के प्रयास के तहत दर्ज किया जाएगा।