- संगठनात्मक फेरबदल की योजना ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी ने बनाई थी
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले बड़े संगठनात्मक फेरबदल की योजना ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी ने बनाई थी। दिल्ली में पार्टी की छवि सुधारने और इंडिया गठबंधन में अपनी भूमिका को और मजबूत करने की कोशिश के तहत यह रणनीति तैयार की गई थी, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की नाराज़गी ने इन योजनाओं को झटका दे दिया। दिल्ली में ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी ने एक नई और मजबूत टीम खड़ी करने की योजना बनाई थी, जो दिल्ली में सक्रिय होकर पार्टी की मौजूदगी को सशक्त करे। सूत्रों के मुताबिक, ममता और अभिषेक चाहते थे कि पार्टी के मुख्य सचेतक कल्याण बनर्जी और लोकसभा में संसदीय दल के नेता सुदीप बनर्जी को उनके पदों से हटाकर नई जिम्मेदारी दी जाए। इस योजना का मकसद था युवा नेतृत्व को आगे लाकर संगठनात्मक गतिशीलता बढ़ाना। लेकिन मंगलवार को ममता बनर्जी की अपने सांसदों के साथ एक ऑनलाइन बैठक में जैसे ही उन्होंने कल्याण बनर्जी की भूमिका पर सवाल उठाया और सांसद काकोली घोष दस्तिदार को नई जिम्मेदारी देने की बात कही, कल्याण बनर्जी ने इसका कड़ा विरोध किया। उन्होंने तुरंत अपना इस्तीफा दे दिया और पार्टी नेतृत्व के खिलाफ सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताई।
अभिषेक बनर्जी को मिली नई जिम्मेदारी
इस अप्रत्याशित घटनाक्रम के बाद पार्टी ने तेजी से सुदीप बनर्जी को भी उनके पद से हटा दिया और अभिषेक बनर्जी को तृणमूल कांग्रेस के संसदीय दल का नेता घोषित किया गया। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस बदलाव से ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी दोनों ही संतुष्ट नहीं हैं, क्योंकि इसका ढांचा और स्वरूप पहले से तय योजना के अनुरूप नहीं रहा। कल्याण बनर्जी के इस्तीफे से पार्टी के भीतर एक असहज स्थिति पैदा हो गई है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब तृणमूल कांग्रेस आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के मद्देनजर खुद को एक नई छवि में ढालने की कोशिश कर रही है। हालांकि, अभिषेक बनर्जी ने कल्याण बनर्जी को मनाने की कोशिश की है और कहा है कि वे जल्द ही दिल्ली में मिलकर बात करेंगे।
एकजुट दिखने की कोशिश में जुटी पार्टी
टीएमसी सूत्रों के मुताबिक, ममता बनर्जी अब भी चाहती हैं कि पार्टी में अनुशासन और संवाद बना रहे, इसलिए उन्होंने सार्वजनिक रूप से इस विवाद पर कोई तीखी टिप्पणी नहीं की। वहीं, अभिषेक बनर्जी को अब दिल्ली में पार्टी की कमान संभालने और इंडिया गठबंधन में समन्वय की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। ममता बनर्जी खुद बंगाल की राजनीति में सक्रिय भूमिका में बनी रहेंगी और मुख्यमंत्री पद का चेहरा भी होंगी। एक समय अभिषेक और ममता बनर्जी के बीच मतभेद की खबरें चर्चा में थीं, लेकिन अब दोनों के बीच आपसी समझ और तालमेल पहले से कहीं बेहतर दिख रहा है।
राजनीतिक समीकरण और विपक्षी एकता पर असर
यह घटनाक्रम सिर्फ टीएमसी के भीतर का मामला नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' की एकता और रणनीति पर भी पड़ सकता है। दिल्ली में टीएमसी की भूमिका बढ़ाने और अन्य दलों से तालमेल बनाने की जिम्मेदारी अब अभिषेक के कंधों पर है। ऐसे में देखा जाएगा कि वे दिल्ली की सियासत में कितनी कुशलता से अपनी भूमिका निभाते हैं।
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