June 9, 2025 3:12 PM

पोकरण में गूंजे तीन तेज धमाके, सीमा पर बढ़ा तनाव

  • पोकरण के कुछ इलाकों से धमाके की आवाज आई
  • तीन धमाके हुए हैं जिसके बाद गांवों को खाली करवाया गया

जयपुर/पोकरण। राजस्थान के पोकरण क्षेत्र में शनिवार को तीन तेज धमाकों की आवाज से दहशत फैल गई। ग्रामीण इलाकों से इन धमाकों की पुष्टि होने के बाद प्रशासन ने एहतियात के तौर पर कई गांवों को खाली करा लिया है। घटनास्थल के आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और लोगों से घरों में ही रहने की अपील की गई है। सूत्रों के मुताबिक, यह धमाके पाकिस्तान की ओर से की जा रही उकसावे वाली गतिविधियों के बाद हुए हैं। सीमा पर लगातार तनाव की स्थिति बनी हुई है और जैसलमेर सहित आसपास के इलाकों में युद्ध जैसे हालात बनते दिख रहे हैं। जैसलमेर जिला प्रशासन ने आम नागरिकों की सुरक्षा के मद्देनजर लोगों की आवाजाही पर भी अस्थायी रोक लगा दी है।

पाकिस्तान की तरफ से जारी है उकसावे की रणनीति

पाकिस्तान की तरफ से हाल के दिनों में ड्रोन और मिसाइल के जरिए भारतीय क्षेत्रों को निशाना बनाने की कोशिशें तेज़ हो गई हैं। लेकिन भारतीय सेना पूरी मुस्तैदी से जवाब दे रही है और पाकिस्तान की किसी भी कोशिश को नाकाम बना रही है। इस बीच पोकरण जैसे सामरिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र में धमाके की खबरों ने चिंताएं बढ़ा दी हैं।

क्यों खास है पोकरण?

पोकरण सिर्फ एक रेगिस्तानी कस्बा नहीं, बल्कि भारत की सामरिक ताकत का प्रतीक है। यहीं 11 मई 1998 को भारत ने पांच परमाणु परीक्षण कर पूरी दुनिया को अपनी परमाणु शक्ति से परिचित कराया था। यह परीक्षण खेतोलोई गांव के पास पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में किए गए थे। इसके पहले, 18 मई 1974 को भारत ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में पहला परमाणु परीक्षण किया था, जिसे ‘बुद्ध मुस्कुराए’ नाम दिया गया था। वहीं 1998 के परीक्षण का नाम ‘शक्ति’ रखा गया था। इन ऐतिहासिक परीक्षणों के कारण पोकरण भारत की रणनीतिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण जगहों में से एक बन गया है। ऐसे में यहां किसी भी संदिग्ध गतिविधि की खबर को हल्के में नहीं लिया जा सकता।

प्रशासन सतर्क, सेना अलर्ट

धमाकों के बाद स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां हरकत में आ गई हैं। सेना द्वारा आसपास के इलाकों की गहन निगरानी की जा रही है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने की तैयारी पूरी कर ली गई है। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह धमाके सेना के किसी अभ्यास का हिस्सा थे या किसी बाहरी हमले की प्रतिक्रिया में हुए।

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