- “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत के दुश्मनों के लिए सीमा तय कर दी
नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के बाद देशभर में सुरक्षाबलों के साहस और केंद्र सरकार की नीति को लेकर सराहना जारी है। इसी क्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीतिक सूझबूझ और नेतृत्व को ऐतिहासिक बताते हुए भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को एक नई ऊंचाई देने की बात कही।
अमित शाह: “दुश्मनों के लिए रेखा तय कर दी गई”
गृह मंत्री अमित शाह ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा– “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत के दुश्मनों के लिए सीमा तय कर दी है। हमारे सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान के आंगन में पल रही आतंकवाद की फुलवारी को जड़ से उखाड़ दिया।” शाह ने कहा कि अब आतंकवाद के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति सिर्फ नारा नहीं, बल्कि धरातल पर दिख रही है। उन्होंने बीएसएफ के जवानों सहित तीनों सेनाओं की वीरता को नमन किया और इसे भारत की रक्षा का अभेद्य कवच बताया।
राजनाथ सिंह: “अब सिर्फ POK और आतंकवाद पर बात होगी”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधन की सराहना करते हुए कहा कि, “पीएम मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति को पूरी दुनिया के सामने स्पष्टता से रखा है। यह भाषण सिर्फ भारत की भावना नहीं, बल्कि हमारी सैन्य और कूटनीतिक क्षमता का भी प्रतीक है।” उन्होंने यह भी दोहराया कि पाकिस्तान से अगर भविष्य में कोई संवाद होगा, तो सिर्फ आतंकवाद और POK के मुद्दे पर ही होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने संबोधन में क्या कहा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देश को संबोधित करते हुए ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि— भारत के ड्रोन और मिसाइल हमलों ने पाकिस्तान के वायुसेना ठिकानों को तबाह किया। भारत ने पहले ही तीन दिनों में पाकिस्तान की कमर तोड़ दी थी। ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान ने गिड़गिड़ाते हुए भारत से संपर्क किया और संघर्षविराम की पेशकश की। हमने पाकिस्तान के आतंकी ढांचे को खंडहर में बदल दिया है। पाकिस्तान का हर कदम अब भारत कसौटी पर तौलेगा। पीएम मोदी ने स्पष्ट कहा कि भारत ने जवाबी कार्रवाई सिर्फ स्थगित की है, खत्म नहीं। जरूरत पड़ी तो फिर से बड़ा एक्शन लेने में कोई संकोच नहीं किया जाएगा।
राष्ट्रीय नीति में बदलाव का संकेत
विश्लेषकों का मानना है कि यह बयानबाज़ी सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि एक नई रक्षा और विदेश नीति की ओर संकेत है। अब भारत आतंकवाद पर “चुप रहो और सहो” की नीति को छोड़कर “प्रथम प्रहार और निर्णायक जवाब” के सिद्धांत पर आगे बढ़ रहा है।