- भारत में इस वर्ष बची अवधि में महंगाई दर में कमी से घरेलू परिवारों की वास्तविक क्रय शक्ति में सुधार होगा
नई दिल्ली । एचएसबीसी रिसर्च की ताज़ा रिपोर्ट में सामने आया है कि भारत में इस वर्ष बची अवधि में महंगाई दर में कमी से घरेलू परिवारों की वास्तविक क्रय शक्ति में सुधार होगा। इसके साथ ही कॉर्पोरेट सेक्टर की उत्पादन लागत भी घटने के कारण लाभकारी स्थिति बनेगी, जिससे समग्र आर्थिक विकास को मजबूती मिलेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, अगले छह महीनों में मुद्रास्फीति लगभग 2.5 प्रतिशत के आसपास रहने का अनुमान है, जो पिछले समय की तुलना में कम होगी। यह मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता और अनुकूल मानसून के कारण संभव होगा। सार्वजनिक खाद्य भंडार में पर्याप्त स्टॉक होने से भी खाद्य महंगाई पर नियंत्रण बना रहेगा।
कोर मुद्रास्फीति और रुपया मजबूत रहने से लाभ
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कोर मुद्रास्फीति (जो मुख्य रूप से ईंधन और खाद्य वस्तुओं को छोड़कर बाकी चीजों की कीमतों को दर्शाती है) नियंत्रित रहेगी। इसका कारण है कम कमोडिटी की कीमतें, धीमी आर्थिक वृद्धि, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया का मजबूत होना और चीन से सस्ती वस्तुओं का आयात।
राजकोषीय वित्त पर भी सकारात्मक प्रभाव
एचएसबीसी की रिपोर्ट में वित्तीय स्थिति पर भी ध्यान दिया गया है। भारत के राजकोषीय घाटे पर कुछ दबाव बने रहेंगे, जैसे कि उच्च रक्षा व्यय और प्रत्यक्ष कर संग्रह में उछाल। हालांकि, बजट से अधिक आरबीआई लाभांश मिलने से सरकार को अतिरिक्त संसाधन मिलेंगे। खास बात यह है कि सरकार तेल उत्पाद शुल्क बढ़ाकर वैश्विक तेल कीमतों में कमी का एक हिस्सा अपने पास रख सकती है, जिससे राजकोषीय घाटा नियंत्रित रहेगा और विकास परियोजनाओं के लिए फंड उपलब्ध होंगे।
आर्थिक गतिविधियों में सुधार के संकेत
मार्च तिमाही में आर्थिक संकेतकों में सुधार देखा गया है। अनौपचारिक क्षेत्र की खपत में खासकर वृद्धि हुई है, जो बेहतर फसल, ग्रामीण मजदूरी में वृद्धि और व्यापार की स्थिति सुधारने के कारण संभव हुआ। वहीं, शहरी उपभोक्ता वस्तुओं की मांग अभी भी धीमी बनी हुई है। अप्रैल के शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है कि लगभग दो-तिहाई संकेतक सकारात्मक दिशा में बढ़ रहे हैं, जो आने वाले महीनों में बेहतर आर्थिक सक्रियता की उम्मीद जगाते हैं।