नई दिल्ली: भारत का थार रेगिस्तान, जो पहले अपने सूखे और गर्मी के कारण जाना जाता था, अब एक आश्चर्यजनक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। वैज्ञानिकों ने उपग्रह डेटा का उपयोग कर यह पता लगाया है कि थार रेगिस्तान का रंग भूरे से हरे में बदलता जा रहा है। एक नया अध्ययन जो Cell Reports Sustainability में प्रकाशित हुआ है, के अनुसार, पिछले दो दशकों में थार रेगिस्तान में हरेपन की वृद्धि हुई है। यह शोध 2001 से 2023 तक की उपग्रह तस्वीरों पर आधारित है।
कितनी वृद्धि हुई है? अध्यान के अनुसार, थार रेगिस्तान में वनस्पति कवर में 38% की वृद्धि देखी गई है। यह बदलाव अचानक नहीं हुआ है, बल्कि धीरे-धीरे, पिछले 20 वर्षों में यह बदलाव महसूस किया गया है।
बदलाव की वजहें: शोधकर्ताओं के अनुसार, थार रेगिस्तान में इस बदलाव की मुख्य वजह जलवायु परिवर्तन, बारिश के पैटर्न में बदलाव, और मानवीय गतिविधियां हैं। खासकर मानसूनी बारिश में वृद्धि ने इस बदलाव को प्रमुख रूप से प्रभावित किया है। इसके अलावा, मानव गतिविधियों जैसे कृषि और शहरीकरण के कारण भी इस क्षेत्र में अप्रत्याशित हरियाली बढ़ रही है। यह परिवर्तन राजस्थान, गुजरात, और पाकिस्तान तक फैले क्षेत्र में देखा जा सकता है, और विशेष रूप से राजस्थान में इसके प्रभाव ज्यादा हैं, जहां थार का करीब 90% हिस्सा स्थित है।
मौसम में क्या बदलाव हुए हैं? थार क्षेत्र में मानसून की बारिश में 64% की वृद्धि हुई है। इस वृद्धि ने न केवल मिट्टी की नमी को बढ़ाया है, बल्कि वनस्पति के विकास को भी प्रोत्साहित किया है। भूजल सतह भी अब पहले से ज्यादा ऊपर आ चुकी है, जिससे कृषि और अन्य क्षेत्रीय गतिविधियों को लाभ हुआ है।

शोधकर्ताओं की राय: इस अध्ययन के सह-लेखक और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गांधीनगर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के विशेषज्ञ विमल मिश्रा ने कहा कि पानी और ऊर्जा की बढ़ी हुई उपलब्धता ने कृषि और शहरी विकास को बढ़ावा दिया है, जिससे इस क्षेत्र में फसलों की पैदावार भी बढ़ी है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी स्थिति दुनिया के किसी और रेगिस्तान में नहीं देखी गई, जहां कृषि, शहरीकरण और बारिश में समान रूप से वृद्धि हुई हो।
चेतावनी: हालांकि यह बदलाव एक सकारात्मक संकेत प्रतीत हो सकता है, लेकिन वैज्ञानिक इसे लेकर सतर्क हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि बढ़ती हुई वनस्पति और बढ़ते जल प्रयोग से देशी जैव विविधता पर खतरा मंडरा सकता है। पानी की अधिक खपत के कारण लंबी अवधि में पानी की कमी हो सकती है, जिससे इस विकास को खतरा हो सकता है। इसके अलावा, बढ़ते तापमान और बढ़ती जनसंख्या के कारण क्षेत्र में भविष्य में और भी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
वैज्ञानिकों ने इस बदलाव का स्वागत तो किया है, लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि ऐसे विकास की दिशा में संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है, ताकि रेगिस्तान अपने नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रख सके।