July 29, 2025 4:35 PM

थाईलैंड-कंबोडिया सीमा विवाद पर युद्धविराम की घोषणा: जानिए अब तक की पूरी स्थिति, अमेरिका-चीन की भूमिका और ASEAN की मध्यस्थता

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थाईलैंड-कंबोडिया सीमा विवाद पर युद्धविराम: अमेरिका-चीन की मध्यस्थता से रुकी लड़ाई

सीमा पर भारी गोलीबारी के बाद दोनों देशों ने रोकी लड़ाई
कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट ने सोमवार को थाईलैंड के साथ चल रहे सीमा विवाद को लेकर युद्धविराम की घोषणा की। पिछले कुछ दिनों से सीमा पर चल रही भीषण गोलीबारी और मानव हानि के बाद यह फैसला लिया गया। हुन मानेट ने कहा कि इस संघर्ष को अब खत्म किया जाना चाहिए और बातचीत के माध्यम से समाधान निकालना जरूरी है।

सीमा विवाद में अब तक 33 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें बड़ी संख्या आम नागरिकों की है। हालात इतने गंभीर हो गए थे कि सीमावर्ती क्षेत्रों से हजारों की संख्या में लोग पलायन कर गए हैं।


चीन और अमेरिका की अहम भूमिका, मलेशिया की अध्यक्षता में हुई वार्ता
इस युद्धविराम को संभव बनाने में अमेरिका और चीन की महत्वपूर्ण भूमिका रही। दोनों देशों ने मध्यस्थता करते हुए थाईलैंड और कंबोडिया को मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में शांति वार्ता के लिए राजी किया।

यह वार्ता ASEAN (दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन) की पहल पर आयोजित की गई। ASEAN की वर्तमान अध्यक्षता मलेशिया के पास है और बैठक की अध्यक्षता मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने की।

वार्ता में थाईलैंड की ओर से कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथम वेचायाचाई और कंबोडिया की ओर से प्रधानमंत्री हुन मानेट शामिल हुए।


अमेरिकी दबाव: ट्रम्प ने दी थी व्यापार समझौता रद्द करने की चेतावनी
संघर्ष के बीच पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की सक्रियता भी सामने आई। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष उनके लिए सुलझाना कोई मुश्किल काम नहीं है क्योंकि उन्होंने अतीत में भारत-पाकिस्तान विवाद में भी मध्यस्थता की थी।

ट्रम्प ने यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन से मुलाकात में बताया कि उन्होंने थाई और कंबोडियाई नेताओं को स्पष्ट कर दिया था कि अगर संघर्ष नहीं रुका, तो अमेरिका व्यापारिक समझौते पर आगे नहीं बढ़ेगा।

एक दिन पहले ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा था कि उन्होंने दोनों देशों से अलग-अलग बात की और दोनों को तुरंत सीजफायर के लिए तैयार होने को कहा।


सीमा पर विवाद की जड़: प्राचीन शिव मंदिर बना संघर्ष का केंद्र
इस पूरे विवाद की जड़ है सीमा पर स्थित दो प्राचीन शिव मंदिर, जिनका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व दोनों ही देशों के लिए बहुत है। कंबोडिया का आरोप है कि थाई सेना उसकी संप्रभुता का उल्लंघन कर रही है और जानबूझकर हमला कर रही है।

कंबोडियाई प्रधानमंत्री ने यह भी दावा किया कि 24 जुलाई की रात दोनों देश युद्धविराम पर सहमत हुए थे, लेकिन महज एक घंटे के भीतर थाईलैंड ने अपना रुख बदल लिया और संघर्ष दोबारा शुरू कर दिया।


संयुक्त राष्ट्र की अपील: तुरंत युद्धविराम और कूटनीतिक समाधान
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने न्यूयॉर्क में आपातकालीन बंद बैठक की। इसमें सभी 15 सदस्य देशों ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और राजनयिक तरीकों से विवाद सुलझाने की अपील की।

कंबोडिया के UN राजदूत छेआ कीओ ने बैठक में कहा,

“हम बिना शर्त युद्धविराम चाहते हैं। हमारी कोई आक्रमण की मंशा नहीं है। हम एक छोटा देश हैं, हमारे पास वायुसेना तक नहीं है।”

वहीं, थाई प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि कंबोडिया सीमावर्ती इलाकों में बारूदी सुरंगें बिछा रहा है और संघर्ष की शुरुआत उसी ने की।


भारतीय नागरिकों को अलर्ट: सीमावर्ती क्षेत्रों से दूर रहें
थाईलैंड स्थित भारतीय दूतावास ने भी इस संघर्ष को देखते हुए यात्रा चेतावनी जारी की है। इसमें भारतीय नागरिकों से आग्रह किया गया है कि वे थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा के पास स्थित उबोन रत्चथानी, सुरिन, सिसाकेत, बुरीराम, सा काओ, चंथाबुरी और ट्राट जैसे राज्यों में यात्रा से बचें

इसके अलावा आपात स्थिति में दूतावास से संपर्क करने के लिए नंबर भी जारी किए गए हैं।


मानव त्रासदी: हजारों नागरिकों का पलायन, जनजीवन अस्त-व्यस्त
इस संघर्ष ने सीमावर्ती क्षेत्रों में भारी मानवीय संकट खड़ा कर दिया है। कंबोडिया के ओड्डार मीनचे और प्रीह विहियर जैसे प्रांतों में हालात बेहद खराब हैं।

कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय के अनुसार,

  • अब तक 13 नागरिकों की मौत हो चुकी है
  • 71 लोग घायल हुए हैं, जिनमें बड़ी संख्या सैनिकों की है
  • 35 हजार से अधिक नागरिकों को घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा है

क्या युद्धविराम स्थायी होगा?
युद्धविराम की घोषणा राहत देने वाली है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह स्थायी शांति की ओर पहला कदम साबित होगा?

सीमा विवाद की जड़ गहरी है और धार्मिक-राजनीतिक भावनाएं इसमें जुड़ी हुई हैं। ऐसे में जब तक दोनों पक्ष सीमांकन और ऐतिहासिक दावों पर खुलकर बातचीत नहीं करते, यह संघर्ष फिर से भड़क सकता है।

इसलिए जरूरी है कि ASEAN, अमेरिका और चीन जैसे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अपनी मध्यस्थता को मजबूत राजनयिक संवाद में तब्दील करें, ताकि यह संघर्ष हमेशा के लिए थमे।



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