नई दिल्ली। किशोरावस्था बच्चों के जीवन का एक ऐसा दौर होता है, जब उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलाव सबसे तेजी से होते हैं। इस दौरान माता-पिता की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। सही मार्गदर्शन से न केवल बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है, बल्कि वे सही दिशा में आगे बढ़ते हैं। हालांकि, कई माता-पिता के लिए यह समझना मुश्किल होता है कि वे इस नाजुक उम्र में अपने बच्चों की परवरिश कैसे करें। यहां हम 10 ऐसे अहम बिंदुओं पर चर्चा कर रहे हैं, जिन पर माता-पिता को विशेष ध्यान देना चाहिए।
1. खुला संवाद बनाए रखें
किशोर बच्चों के साथ संवाद बहुत जरूरी है। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों से हर विषय पर खुलकर बात करें, चाहे वह पढ़ाई से जुड़ा हो, दोस्ती से या फिर उनकी निजी भावनाओं से। संवाद की यह खुली खिड़की ही माता-पिता और बच्चों के बीच भरोसा बनाए रखेगी।
2. उनकी निजता का सम्मान करें
टीनएज में बच्चे अपनी अलग पहचान और स्वतंत्रता चाहते हैं। यह जरूरी है कि माता-पिता उनकी निजता का सम्मान करें और उन पर जरूरत से ज्यादा नियंत्रण न रखें। हां, लेकिन उन्हें यह भी एहसास कराएं कि वे किसी भी समस्या में आप पर भरोसा कर सकते हैं।
3. दोस्ती के चुनाव पर नजर रखें
बच्चों की संगति उनके भविष्य को प्रभावित कर सकती है। इसलिए माता-पिता को चाहिए कि वे उनके दोस्तों और सोशल सर्कल पर नजर रखें। लेकिन, उन्हें ज्यादा टोकने या उनके दोस्तों को गलत ठहराने के बजाय समझदारी से सही-गलत का एहसास कराएं।
4. स्क्रीन टाइम को सीमित करें
आजकल बच्चे मोबाइल, लैपटॉप और वीडियो गेम्स में काफी समय बिताते हैं। माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे सीमित समय तक ही स्क्रीन का उपयोग करें। सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है, इसलिए इस पर नियंत्रण रखना जरूरी है।
5. मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें
किशोरावस्था में तनाव, अवसाद और चिंता जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। माता-पिता को बच्चों के मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन या अकेले रहने की प्रवृत्ति पर ध्यान देना चाहिए। जरूरत पड़ने पर उनसे बात करें और यदि आवश्यक हो, तो किसी विशेषज्ञ की सलाह लें।
6. सकारात्मक माहौल दें
घर का माहौल ऐसा होना चाहिए, जहां बच्चा खुद को सुरक्षित और सहज महसूस करे। जब माता-पिता अपने रिश्तों को प्रेम और समझदारी से निभाते हैं, तो बच्चों को भी अच्छे संस्कार मिलते हैं।
7. पढ़ाई का दबाव न बनाएं, बल्कि प्रेरित करें
अक्सर माता-पिता बच्चों पर पढ़ाई और करियर का दबाव बनाते हैं, जिससे वे मानसिक रूप से परेशान हो सकते हैं। पढ़ाई जरूरी है, लेकिन माता-पिता को चाहिए कि वे उन्हें प्रेरित करें और उनकी रुचियों को भी समझें।
8. अनुशासन के साथ स्वतंत्रता दें
बच्चों को सही अनुशासन सिखाना आवश्यक है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उन पर जरूरत से ज्यादा पाबंदियां लगाई जाएं। उन्हें छोटी-छोटी जिम्मेदारियां देकर आत्मनिर्भर बनाएं और सही-गलत का फर्क समझाएं।
9. हेल्दी लाइफस्टाइल पर जोर दें
इस उम्र में बच्चों की खान-पान की आदतें और दिनचर्या अनियमित हो जाती है। माता-पिता को चाहिए कि वे उन्हें हेल्दी डाइट, व्यायाम और पर्याप्त नींद लेने की आदत डालें।
10. आदर्श बनें, न कि आलोचक
बच्चे माता-पिता के व्यवहार से ही सीखते हैं। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि वे सही मार्ग पर चलें, तो खुद भी सही उदाहरण पेश करें। हमेशा उनकी आलोचना करने के बजाय, उनकी उपलब्धियों की सराहना करें और उन्हें बेहतर बनने के लिए प्रेरित करें।
किशोर बच्चों की परवरिश चुनौतीपूर्ण हो सकती है, लेकिन सही मार्गदर्शन, प्रेम और समझदारी से यह सफर आसान हो सकता है। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को समझने की कोशिश करें और उन्हें एक सुरक्षित, प्रेरणादायक और खुशहाल वातावरण दें, जिससे वे एक अच्छे इंसान के रूप में विकसित हो सकें।
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