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March 24, 2025 4:50 AM

तमिलनाडु में एआई तकनीक से हाथियों की सुरक्षा में क्रांतिकारी सफलता

AI-based system in Tamil Nadu helps save elephants from railway accidents and illegal activities.

सालभर में 2,500 हाथियों को बचाया, जंगल में अवैध गतिविधियों पर भी नजर

चेन्नई। तमिलनाडु में जंगली हाथियों की सुरक्षा और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक का उपयोग एक क्रांतिकारी कदम साबित हो रहा है। राज्य के पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और वन विभाग के अनुसार, कोयंबटूर के मदुक्कराई वन क्षेत्र में स्थापित एआई आधारित प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (Early Warning System) ने अब तक 2,500 से अधिक हाथियों को सुरक्षित बचाने में मदद की है।

कैसे काम करती है एआई सुरक्षा प्रणाली?

हाथियों की सुरक्षा के लिए तमिलनाडु सरकार ने फरवरी 2024 में इस एआई संचालित प्रणाली को लागू किया था। इसके तहत ए और बी रेलवे ट्रैक पर 12 ई-निगरानी टावर (E-Surveillance Towers) स्थापित किए गए हैं। इन टावरों में हाई-रिजॉल्यूशन कैमरे लगे हैं, जो लगभग 1 किलोमीटर के क्षेत्र को कवर कर सकते हैं और 360 डिग्री घूमने की क्षमता रखते हैं।

एआई सुरक्षा प्रणाली की कार्यप्रणाली:

  1. हाथियों की पहचान: हाई-रिजॉल्यूशन कैमरे लगातार जंगल के भीतर हाथियों की गतिविधि पर नजर रखते हैं।
  2. रियल-टाइम अलर्ट: जैसे ही कोई हाथी रेलवे ट्रैक के पास आता है, एआई सिस्टम नियंत्रण कक्ष (Control Room) को तुरंत अलर्ट भेज देता है।
  3. तेजी से कार्रवाई:
    • वन विभाग के गश्ती दल (Patrolling Teams) को तुरंत सूचना दी जाती है।
    • रेलवे लोको पायलट को अलर्ट मिलता है, जिससे वे गाड़ियों की गति धीमी कर देते हैं या आवश्यकतानुसार रोक देते हैं।
  4. सुरक्षित मार्गदर्शन: वन विभाग के अधिकारी हाथियों को रेलवे ट्रैक से दूर जाने के लिए सुरक्षित दिशा में निर्देशित करते हैं।
  5. डेटा रिकॉर्डिंग और विश्लेषण: इस प्रणाली के जरिए हाथियों के मूवमेंट का डेटा भी संग्रहित किया जाता है, जिससे उनकी प्रवृत्ति (Behavior) और पैटर्न (Movement Pattern) को समझा जा सकता है

परियोजना की सफलता और प्रभाव

तमिलनाडु वन विभाग द्वारा मार्च 2025 में इस परियोजना की समीक्षा की गई, जिसमें इसके शानदार नतीजे सामने आए।

  • अब तक 5,011 अलर्ट जारी किए जा चुके हैं।
  • करीब 2,500 हाथियों को सुरक्षित ट्रैक पार करने में मदद मिली है।
  • इस तकनीक से हाथियों की मौतों में भारी कमी आई है

जंगल में अवैध गतिविधियों पर भी नजर

यह एआई सुरक्षा प्रणाली केवल हाथियों की सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जंगलों में हो रही अवैध गतिविधियों पर भी कड़ी नजर रखती है

  • कुछ विशेष निगरानी बिंदुओं (Surveillance Points) पर कैमरों को केंद्रित किया गया है, ताकि हाथियों की अनधिकृत आवाजाही को रोका जा सके
  • एक कैमरा 300 मीटर तक की निगरानी करता है, जिससे हाथियों की गांवों में प्रवेश की घटनाओं को नियंत्रित किया जा सकता है
  • इसके अलावा, यह सिस्टम अवैध शिकार (Poaching) और जंगलों में अवैध गतिविधियों पर भी नज़र रखता है।

पर्यावरणविदों और वन्यजीव विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

तमिलनाडु में इस परियोजना को वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक बड़ा कदम बताया जा रहा है। पर्यावरणविदों का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का यह इस्तेमाल मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकता है

पर्यावरणविद् डॉ. रामकृष्णन अय्यर ने कहा,
“तमिलनाडु में हाथियों की सुरक्षा के लिए एआई का यह उपयोग एक क्रांतिकारी पहल है। इससे न केवल हाथियों की जान बचाई जा रही है, बल्कि जंगल में अवैध गतिविधियों पर भी नजर रखी जा रही है। अगर अन्य राज्यों में भी इस तकनीक को अपनाया जाए, तो हाथियों की मृत्यु दर को और कम किया जा सकता है।”

तमिलनाडु का अन्य राज्यों के लिए मॉडल

भारत के कई राज्यों में हाथियों की ट्रेनों से टकराने की घटनाएं आम हैं। पश्चिम बंगाल, असम, कर्नाटक और उत्तराखंड में हर साल दर्जनों हाथी ट्रेन दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं

  • तमिलनाडु की यह एआई आधारित सुरक्षा प्रणाली अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल के रूप में काम कर सकती है
  • यदि यह तकनीक पूरे भारत में लागू की जाती है, तो हाथियों की सुरक्षा को और बेहतर किया जा सकता है

तमिलनाडु सरकार द्वारा शुरू की गई एआई संचालित चेतावनी प्रणाली हाथियों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इससे न केवल हजारों हाथियों की जान बच रही है, बल्कि यह जंगलों में अवैध गतिविधियों पर भी नजर रखने में मदद कर रही है। आने वाले समय में यह तकनीक वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है

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