नई दिल्ली।
26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड और खूंखार आतंकी तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित कर लिया गया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने यह ऐतिहासिक कदम उठाते हुए वर्षों की कूटनीतिक और कानूनी लड़ाई के बाद यह सफलता हासिल की है। यह कदम न केवल आतंक के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाता है, बल्कि दुनिया भर में यह संदेश भी देता है कि भारत अब आतंकियों को पाताल से भी खोजकर लाने में सक्षम है।
🔥 26/11 का खूनी खेल और राणा की भूमिका
नवंबर 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमले, जिनमें 166 मासूमों की जान गई और 238 से अधिक लोग घायल हुए, उसी काले अध्याय के पीछे तहव्वुर राणा की भी भूमिका रही है। वह पाकिस्तानी अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का करीबी सहयोगी था। दोनों पर भारत में आतंक की योजना रचने का आरोप है।
🛬 कैसे हुआ प्रत्यर्पण?
एनआईए ने बताया कि भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को अमेरिकी न्यायिक हिरासत में रखा गया था।
राणा ने प्रत्यर्पण रोकने के लिए अमेरिका में कई स्तरों पर कानूनी लड़ाई लड़ी, जिसमें:
- कैलिफोर्निया कोर्ट के फैसले को चुनौती
- बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं
- सर्टिओरी की रिट
- अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में आपात याचिका
सभी याचिकाएं खारिज कर दी गईं, और अंततः 8 अप्रैल से वह अमेरिका की संघीय जेल ब्यूरो की हिरासत से बाहर हो गया।
एनआईए ने अमेरिका के न्याय विभाग, स्काई मार्शल, एनएसजी और भारत के विदेश व गृह मंत्रालय के सहयोग से राणा को भारत लाने की प्रक्रिया को अंजाम दिया।
🇮🇳 मुंबई हमले के बाद बनी एनआईए
मुंबई हमले के तुरंत बाद भारत सरकार ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का गठन किया था। यह केंद्रीय आतंकवाद निरोधक एजेंसी पूरे भारत में आतंकवादी गतिविधियों की जांच करती है। इसका मुख्यालय दिल्ली में स्थित है।
🧩 पाकिस्तान की भूमिका और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ाव
2008 के मुंबई हमले में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहादी इस्लामी (हूजी) की भूमिका रही थी।
डेविड हेडली और तहव्वुर राणा को भी लश्कर से जुड़ा बताया गया है।
पाकिस्तान की सेना के प्रवक्ता ने भी स्वीकार किया था कि एक सेवानिवृत्त मेजर को इन दोनों से संबंध के कारण गिरफ्तार किया गया।
हालांकि पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा पर औपचारिक रूप से प्रतिबंध लगाया, लेकिन यह संगठन अब भी भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में सक्रिय है।
🗣️ बीजेपी का बयान: “नया भारत, नया संदेश”
भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने राणा के प्रत्यर्पण को “नए भारत का संकल्प” करार देते हुए कहा:
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में स्पष्ट कर दिया था कि भारत की अखंडता और नागरिकों पर हमला करने वालों को पाताल से भी खोजकर न्याय के कटघरे में लाया जाएगा। राणा का प्रत्यर्पण उसी संकल्प का प्रमाण है।”
⚖️ निष्कर्ष
तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण केवल एक अपराधी को सजा दिलाने का मामला नहीं है, बल्कि यह भारत की संप्रभुता, न्याय और आतंकवाद के खिलाफ अडिग रुख का प्रतीक बन चुका है। यह संदेश स्पष्ट है—भारत अब चुप नहीं बैठेगा, बल्कि हर आतंकी को उसके अंजाम तक पहुंचाएगा।
स्वदेश ज्योति के द्वारा और भी दिलचस्प खबरें आपके लिए… सिर्फ़ स्वदेश ज्योति पर!