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March 13, 2025 2:54 PM

सीरिया में हिंसा से 2 दिन में 1000 से ज्यादा मौतें, हालात बेकाबू

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दमिश्क। सीरिया के लताकिया और टार्टस में बीते कुछ दिनों से सेना और पूर्व राष्ट्रपति बशर अल असद के समर्थकों के बीच हिंसा चरम पर है। इस खूनी संघर्ष में बीते दो दिनों में 1000 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। यह मौतों का सबसे बड़ा आंकड़ा है, जो 2011 में शुरू हुए सीरियाई गृह युद्ध के बाद पहली बार देखने को मिला है।

सीरिया में युद्ध पर नजर रखने वाली संस्था सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के मुताबिक, अब तक 745 से ज्यादा अलावी मुस्लिम समुदाय के लोगों को मौत के घाट उतारा जा चुका है, जिनमें से अधिकांश को फांसी पर चढ़ाया गया। इसके अलावा असद समर्थक 148 लड़ाके भी मारे गए हैं। वहीं, इस हिंसा में सुरक्षा बलों के 125 जवानों की भी जान चली गई है।

कैसे भड़की हिंसा?

सीरिया में हालात तब बिगड़े जब सुरक्षा बलों ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने की कोशिश की, जिसके बाद असद समर्थक लड़ाकों ने जवाबी हमला किया। यह झड़प इतनी तेज हुई कि लताकिया और टार्टस के बड़े हिस्से में हालात बेकाबू हो गए।

सुरक्षा बलों और असद समर्थकों के बीच खुली जंग

बीते साल दिसंबर में सीरिया में तख्तापलट हुआ था, जिसके बाद राष्ट्रपति बशर अल असद रूस भाग गए थे। इसके बाद से ही सीरिया की सत्ता पर कट्टरपंथी उग्रवादी संगठन हयात तहरीर अल-शाम (HTS) का नियंत्रण हो गया। अब हालात और ज्यादा खराब होते जा रहे हैं।

सीरियाई सरकार ने बयान जारी कर कहा कि असद समर्थक लड़ाकों ने पहले सुरक्षा बलों पर हमला किया, जिसके जवाब में सेना को कार्रवाई करनी पड़ी। वहीं, असद समर्थकों ने आरोप लगाया है कि सरकार समर्थित सुरक्षाबलों ने रिहायशी इलाकों पर बमबारी कर निर्दोष लोगों को निशाना बनाया

स्थिति को संभालने के लिए कर्फ्यू और सेना की तैनाती

इस हिंसा को रोकने के लिए सीरिया सरकार ने लताकिया और टार्टस में भारी संख्या में सेना की तैनाती कर दी है। साथ ही इन इलाकों में कर्फ्यू भी लगा दिया गया है। हालांकि, स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है और किसी भी समय हिंसा और तेज हो सकती है।

संयुक्त राष्ट्र की चिंता

इस हिंसा को लेकर संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने चिंता जताई है। UN ने सीरिया सरकार और असद समर्थकों से अपील की है कि वे हिंसा रोकें और शांति प्रक्रिया को अपनाएं

सीरिया में हालात कितने भयावह हो सकते हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह गृह युद्ध के बाद अब तक की सबसे घातक हिंसा है। आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ सकते हैं, जिससे पूरा मध्य पूर्व अस्थिर हो सकता है।

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