स्वीडन में अपराध की न्यूनतम उम्र घटकर 13 वर्ष, सरकार ने कहा — गैंग हिंसा पर लगेगा अंकुश


गंभीर अपराधों के मामलों में कानूनी उम्र सीमा घटाई गई

स्टॉकहोम। स्वीडन सरकार ने एक ऐतिहासिक और विवादास्पद निर्णय लेते हुए आपराधिक जिम्मेदारी की न्यूनतम उम्र 15 से घटाकर 13 वर्ष करने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टरसन ने इस प्रस्ताव को संसद में प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह कदम देश में लगातार बढ़ रही गैंग हिंसा और संगठित अपराध पर रोक लगाने के उद्देश्य से उठाया गया है।


गिरोह बना रहे थे नाबालिगों का दुरुपयोग

स्वीडिश पुलिस के अनुसार, हाल के वर्षों में अपराधी गिरोहों ने एक खतरनाक प्रवृत्ति अपनाई है — वे जानबूझकर कम उम्र के किशोरों को अपने गैंग में शामिल करते हैं।
मौजूदा कानूनों के अनुसार 15 वर्ष से कम उम्र के अपराधियों को दंड से छूट मिल जाती थी, जिसके कारण गैंग उन्हें हथियार, नशीले पदार्थ या हत्या जैसे अपराधों में शामिल करते थे।
सरकार का मानना है कि उम्र सीमा घटाने से इस कानूनी लूपहोल (कानूनी खामी) को बंद किया जा सकेगा और अपराधी अब किशोरों का गलत इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।

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13 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए बनेगी नई सुधार इकाइयाँ

सरकार ने पहले ही 15–17 वर्ष के किशोरों के लिए विशेष सुधार केंद्र (Rehabilitation Units) बनाने की योजना शुरू की थी, जिसे अब 13–14 वर्ष की आयु समूह तक विस्तारित किया जाएगा।
स्वीडन के न्याय मंत्रालय के अनुसार, इन सुधार केंद्रों में नाबालिगों को भेजने की प्रक्रिया 2026 की गर्मियों तक शुरू की जा सकती है।
सरकार का तर्क है कि इससे ऐसे बच्चों को जेल में बंद करने के बजाय उन्हें संरक्षित सुधारात्मक वातावरण में पुनर्वास और शिक्षा के अवसर मिलेंगे।


प्रधानमंत्री का बयान – “कानून से डर जरूरी है”

प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टरसन ने कहा कि “स्वीडन में अपराध की जड़ें अब बच्चों तक फैल चुकी हैं। जब 13 साल के बच्चे हत्या या ड्रग व्यापार में शामिल हों, तो हमें कानून को कठोर बनाना ही होगा। अपराध के प्रति भय और अनुशासन आवश्यक है।”
उन्होंने कहा कि “यह कदम सजा देने से ज्यादा रोकथाम की दिशा में उठाया गया है, ताकि बच्चे अपराधी गिरोहों के जाल में फँसने से पहले सुरक्षित रहें।”


बाल अधिकार संगठनों ने जताई चिंता

हालांकि, इस फैसले ने बाल अधिकार संगठनों और कानूनी विशेषज्ञों के बीच चिंता की लहर पैदा कर दी है।
स्वीडिश चाइल्ड वेलफेयर काउंसिल ने कहा कि “केवल उम्र सीमा घटाने से अपराध नहीं रुकेंगे, बल्कि यह बच्चों के मानसिक और सामाजिक विकास को नुकसान पहुंचा सकता है।”
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को सजा के बजाय सुधार और पुनर्वास की दिशा में ले जाना अधिक प्रभावी उपाय है।

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यूरोप में अपराध की उम्र सीमा – देशों में अलग-अलग मानक

यूरोपीय संघ के देशों में आपराधिक जिम्मेदारी की उम्र में काफी भिन्नता है।

  • आयरलैंड में 10 वर्ष,
  • पुर्तगाल और लक्ज़मबर्ग में 16 वर्ष,
  • जर्मनी में 14 वर्ष,
  • जबकि स्वीडन में अब 13 वर्ष होगी।

सभी देशों में 18 वर्ष से कम उम्र के अपराधियों के लिए अलग न्याय प्रणाली लागू है, जो सजा से अधिक सुधार और शिक्षा पर केंद्रित होती है।


अन्य यूरोपीय देशों में चल रही बहस

जर्मनी में हाल के वर्षों में किशोर अपराधों में वृद्धि को देखते हुए कुछ राजनीतिक दलों ने उम्र सीमा को 14 से घटाकर 12 वर्ष करने की मांग की है। हालांकि, जर्मन सरकार अब भी “सुधार पहले, सजा बाद में” की नीति पर कायम है।
वहीं, आयरलैंड, जहां न्यूनतम उम्र सबसे कम यानी 10 वर्ष है, वहां अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने इसकी कड़ी आलोचना की है और इसे 14 वर्ष तक बढ़ाने की सिफारिश की है।


डेनमार्क का अनुभव बना चेतावनी का उदाहरण

डेनमार्क ने वर्ष 2010 में अपराध की उम्र सीमा घटाई थी, लेकिन केवल दो साल बाद ही इसे वापस लेना पड़ा।
कारण यह था कि उम्र सीमा घटाने से अपराधों में कमी आने के बजाय, कम उम्र के बच्चों के दोबारा अपराध करने की संभावना बढ़ गई।
डेनमार्क के इस अनुभव को ध्यान में रखते हुए कई विशेषज्ञों का कहना है कि स्वीडन को भी “सख्त कानून के साथ मानवीय दृष्टिकोण” अपनाना चाहिए।


आगे की राह – कानून और मानवता के बीच संतुलन

स्वीडन सरकार का यह निर्णय देश के कानूनी और सामाजिक ताने-बाने में बड़ा बदलाव ला सकता है।
जहां एक ओर यह कदम गैंग अपराधों पर अंकुश लगाने की दिशा में साहसिक पहल माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी खड़ा कर रहा है कि क्या इतनी कम उम्र के बच्चों को आपराधिक जिम्मेदारी के घेरे में लाना उचित है?

सरकार का दावा है कि न्याय और सुधार दोनों का संतुलन कायम रखा जाएगा, ताकि स्वीडन में न केवल कानून का भय हो, बल्कि भविष्य की पीढ़ी के लिए सुरक्षित माहौल भी सुनिश्चित किया जा सके।