- समन्वय भवन में आयोजित भव्य समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया स्वदेश ज्योति का लोकार्पण
- प्रदेश सरकार के मंत्री, पूर्व राज्यपाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री सहित शहर के प्रबुद्ध वर्ग और पत्रकारों की रही उपस्थिति
भोपाल । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि ‘स्वदेश ज्योति’ अंक से अनंत की यात्रा करेगा, यह मेरा पूरा विश्वास है। प्रजातंत्र में मीडिया की भूमिका अहम है। लोकतंत्र को बचाने का काम पत्रकारिता ही कर रही है और करती रहेगी। मुख्यमंत्री मंगलवार शाम समन्वय भवन में श्री राधिका प्रकाशन द्वारा प्रकाशित ‘स्वदेश ज्योति’ के लोकार्पण अवसर पर बोल रहे थे। यह पत्र अब तक मप्र और छत्तीसगढ़ में ‘स्वदेश’ के नाम से प्रकाशित हो रहा था। कार्यक्रम की अध्यक्षता विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में हरियाणा और त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी तथा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा उपस्थित थे। विशेष अतिथि के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री चैतन्य काश्यप, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री कृष्णा गौर, पूर्व गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, महापौर मालती राय भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज में जब-जब विसंगतियां पैदा होती है ‘पत्रकार’ ही रास्ता दिखाता है। उन्होंने इस परिप्रेक्ष्य में श्रीकृष्ण जन्म की परिस्थतियां और कंस की क्रूरता के बीच नारद की भूमिका उल्लेख करते हुए कहा कि नारद ने ही एक तरह से उस समय पत्रकार की भूमिका ही निभाई थी। मुख्यमंत्री ने ‘स्वदेश ज्योति’ के अध्यक्ष एवं प्रधान संपादक राजेन्द्र शर्मा की पत्रकारिता की यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने ग्वालियर से निकलने वाले राजमाता के पत्र ‘हमारी आवाज’ से अपनी पत्रकारीय यात्रा शुरू की थी फिर ‘स्वदेश’ को नया रूप दिया और निश्चित ही अब ‘स्वदेश ज्योति’ ‘हमारी आवाज’ बनेगा। अध्यक्षीय उद्बोधन में विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि ‘स्वदेश’ एक ऐसा पत्र है, जो हमेशा ही राष्ट्रवादी विचारधारा को पोषित करता रहा है। उसी तरह ‘स्वदेश ज्योति’ भी इस विचारधारा को आगे बढ़ाएगा। उन्होंने विश्वास जताया कि पत्र के प्रधान संपादक राजेन्द्र शर्मा जी के मार्गदर्शन में ‘स्वदेश ज्योति’ भी पत्रकारों की प्रेरणा का स्रोत बनेगा। कार्यक्रम में राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि विपरीत परिस्थतियों में तमाम चुनौतियों के बाद भी ‘स्वदेश’ ने पाठकों के मन में जगह बनाई उसी तरह ‘स्वदेश ज्योति’ भी पाठकों का विश्वास अर्जित करेगा। इस दौरान उन्होंने अपनी पत्रकारिता की 58 साल की यात्रा को भी साझा किया। आभार प्रदर्शन स्वदेश ज्योति के प्रबंध संपादक अक्षत शर्मा ने कहा कि यहां जो भी उपस्थित हैं, उनकी आंखों में स्वदेश ज्योति के प्रति अपनेपन का भाव है। यही हमारी पंूजी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भविष्य में भी हमारे प्रति आपका यही अपनापन रहेगा। कार्यक्रम का संचालन लेखक-पत्रकार कमलेश पारे ने किया।
राष्ट्रीय विचारधारा के लोग झुके नहीं: कप्तान सिंह सोलंकी

विशिष्ट अतिथि कप्तान सिंह सोलंकी ने अपने संबोधन में कहा कि मैं स्वदेश के प्रारंभकाल से जुड़ा हुआ हूं। स्वदेश क्यों आया कैसे आया और किन लोगों ने इसे आगे बढ़ाया यह पूरी यात्रा मैंने देखी है। उन्होंने कहा कि दरअसल 1967 में तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र को राजामाता सिंधिया ने चुनौती दी थी कि वे उनकी सरकार गिरा देंगी और उन्होंने ऐसा करके दिखाया। बाद में गोविंदनारायण सिंह मुख्यमंत्री बने तो राष्ट्रवादी विचारधरा को आगे बढ़ाने के लिए राजेंद्र शर्मा जी को हमारी आवाज से जोड़ा गया और वे ही स्वदेश की अपनी पहचान बनाने में सफल रहे। कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि 1947 में केवल देश आजाद हुआ लेकिन राष्ट्रीय विचारधारा को स्थान नहीं मिला। केवल कुर्सी बदली गई। ऐसे में जवाहर लाल नेहरू चाहते थे कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ कांग्रेस के सेवादल के तौर पर काम करे लेकिन राष्ट्रीय विचारधारा के लोग झुके नहीं। हालात यह हो गए कि देश में गांधी जी के राम राज्य का सपना भी पूरा नहीं हो पा रहा था। ऐसे में हम मानव दर्शन और विश्व बंधुत्व का संदेश देना चाहते थे जो अब जाकर पूरा हुआ है। आज देश में 27 हजार करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवादी विचारधारा के चलते राष्ट्रीय स्वयं सेवकसंघ का उद्भव तो 1925 में हो गया था। ऐसे में 1948 में संघ पर प्रतिबंध लगा तो राष्ट्रवादी विचारधारा जो हम सालों से लेकर चल रहे थे उसे आगे बढ़ाने के लिए स्वदेश प्रारंभ किया गया। जब 1952 में जनसंघ बना तो स्वदेश भी आया। नेहरू जी भाषा के आधार पर राज्य नहीं बनाना चाहते थे लेकिन आंध्र प्रदेश में चले आंदोलन और विरोध के बाद उन्हें ऐसा करना पड़ा। ऐसे में देश पांच चीजों से जुझ रहा था। उनमें धर्म, भाषा, जाति और लिंग के अलावा अमीरी-गरीबी शामिल थी।
संघ में महिलाओं के लिए अलग संगठन
कप्तान सिंह सोलंकी ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि आज कई राजनीतिक दल कहते है कि संघ में महिलाओं का प्रवेश नहीं है जबकि कई लोगों को पता नहीं है कि 1936 में महिलाओं के लिए संघ ने राष्ट्रीय सेविका समिति का गठन किया है और आज 36 संगठन काम कर रहे है इनमें से एक स्वदेश भी है जो आगे जाकर स्वदेश ज्योति के तौर पर अपनी अलग पहचान बना रहा है।
राजेंद्र जी ने पत्रकारिता की नई पौध तैयार की: नरेन्द्र सिंह तोमर

कार्यक्रम के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने ‘स्वदेश ज्योति’ के प्रधान संपादक राजेन्द्र शर्मा के बारे में कहा कि उन्हें जब ग्वालियर में स्वदेश का जिम्मा सौंपा था तो उनसे यह कहा गया था कि उनके मार्गदर्शन में निकलने वाला यह पत्र अच्छे विचार, आदर्श और पत्रकारिता के मानदंड स्थापित करे। उन्होंने यह जिम्मेदारी पूरी निष्ठा के साथ संभाली। उस समय में राजेन्द्र जी के लिखे संपादकीय अन्य संपादकों के लिए प्रेरणा बनती थी। वे स्वदेश के प्रकाशन ही नहीं उसके विकास की भी चिंता करते थे। तोमर ने कहा कि स्वदेश ने पत्रकारिता की एक नई पौध तैयार की है। राजेंद्र शर्मा जी के मार्गदर्शन में जिन पत्रकारों ने कार्य किया है, वे आज देश में अपना अलग मुकाम हासिल किया है। इससे हम कह सकते हैं कि स्वदेश पत्रकारों की जननी रहा है।
स्वदेश का विचार आज पूरे देश का विचार: वीडी शर्मा

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि स्वदेश ने जिस विचार को आगे बढ़ाया आज वही विचार पूरे देश का विचार बन रहा है। स्वदेश का यह नया रूप भी आने वाले समय में अपनी इस भूमिका को पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाएगा, ऐसा हमें पूरा विश्वास है। उन्होंने स्वदेश और राजेन्द्र जी से व्यक्तिगत संबंधों को साझा करते हुए कहा कि इन दोनों से ही मेरा नाता छात्र जीवन से ही रहा है। उस दौर में हम ग्वालियर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता होते थे, तब भी राजेन्द्र जी का हमें मार्गदर्शन मिलता था। जिस तरह से उस दौर में राजेन्द्र जी का मुझे स्नेह मिला था वही आज भी बना हुआ है और आगे भी बना रहेगा।