नई खरीद के बजाय मरम्मत कर बचाया बड़ा खर्च
भोपाल। रेलवे के इंजीनियरों ने एक बार फिर अपने तकनीकी कौशल और संसाधनों के दक्ष उपयोग से एक मिसाल कायम की है। भोपाल मंडल के अंतर्गत इलेक्ट्रिक लोको शेड, इटारसी के इंजीनियरों ने 65 खराब स्पीडोमीटर को सुधारकर रेलवे को 13.22 लाख रुपए की बचत करवाई। अगर रेलवे बाजार से नए स्पीडोमीटर खरीदता, तो इस पर भारी खर्च आता। लेकिन इटारसी लोको शेड की इंजीनियरों की टीम ने खराब स्पीडोमीटर के मदरबोर्ड को ही मरम्मत कर उन्हें दोबारा कार्यशील बना दिया।
स्पीडोमीटर की भूमिका और समस्या
इलेक्ट्रिक इंजन में लगा स्पीडोमीटर ट्रेन की वर्तमान गति दिखाने का काम करता है, जिससे चालक दल को ट्रेन के सुरक्षित परिचालन में मदद मिलती है। भोपाल मंडल में स्थित इटारसी इलेक्ट्रिक लोको शेड में इस समय 269 थ्री-फेज इलेक्ट्रिक इंजन का रखरखाव किया जाता है।
वर्ष 2024-25 के दौरान कई लोकोमोटिव इंजनों के स्पीडोमीटर में खराबी आ गई थी। जांच करने पर पता चला कि मेमोरी कार्ड गलत तरीके से लगाने के कारण स्पीडोमीटर के मदरबोर्ड के पिन क्षतिग्रस्त हो गए थे। यदि रेलवे इन 65 स्पीडोमीटर के मदरबोर्ड को बाजार से खरीदता, तो इसका खर्च 13.22 लाख रुपए आता।
इंजीनियरों की टीम ने खुद सुधारे मदरबोर्ड
रेलवे की ‘इनोवेटिव मेंटेनेंस’ की नीति के तहत इटारसी लोको शेड के इंजीनियरों ने यह तय किया कि वे नए मदरबोर्ड खरीदने के बजाय उन्हें स्वयं मरम्मत करेंगे।
इस पहल का नेतृत्व श्व-5 सेक्शन के सीनियर सेक्शन इंजीनियर (एसएसई) दीपक यादव, जूनियर इंजीनियर (जेई) अनुराग बढ़खने, टेक्नीशियन नितिन पटेल एवं धर्मेंद्र चौरे ने किया। इस टीम ने शेड अधिकारियों के निर्देशन में अपने तकनीकी ज्ञान और उपलब्ध संसाधनों का बेहतरीन उपयोग किया और 65 खराब मदरबोर्ड को सफलतापूर्वक सुधार दिया।
रेलवे प्रशासन ने सराहा प्रयास
वरिष्ठ मंडल विद्युत अभियंता, इटारसी शेड नीरज कुमार शर्मा ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा,
“इंजीनियरों की टीम ने न केवल रेलवे का बड़ा खर्च बचाया, बल्कि आत्मनिर्भरता की मिसाल भी पेश की है। यह साबित करता है कि सही तकनीकी ज्ञान और संसाधनों के कुशल उपयोग से बड़ी समस्याओं का हल निकाला जा सकता है। भविष्य में भी इस तरह की पहल को बढ़ावा दिया जाएगा।”
तकनीकी दक्षता से बचत और आत्मनिर्भरता
इटारसी लोको शेड के इंजीनियरों द्वारा की गई यह पहल रेलवे के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। रेलवे की कार्यप्रणाली में इस तरह की इनोवेटिव सोच न केवल वित्तीय बचत करती है, बल्कि देश के तकनीकी क्षेत्र को भी सशक्त बनाती है।
(रिपोर्ट: स्वदेश ज्योति टीम)
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