July 3, 2025 10:05 AM

थाईलैंड में एक दिन के लिए सूर्या बने कार्यवाहक प्रधानमंत्री, शिनवात्रा को हटाने के बाद सियासी भूचाल

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थाईलैंड में 24 घंटे के लिए सूर्या बने कार्यवाहक प्रधानमंत्री, शिनवात्रा निलंबित

बैंकॉक। थाईलैंड की राजनीति में बुधवार को बड़ा उलटफेर देखने को मिला। संवैधानिक अदालत के आदेश पर प्रधानमंत्री पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा को पद से निलंबित किए जाने के बाद 70 वर्षीय सूर्या जुंगरुंगरेंगकिट को कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। हालांकि यह जिम्मेदारी सूर्या महज 24 घंटे के लिए ही निभाएंगे, क्योंकि गुरुवार को मंत्रिमंडल में फेरबदल तय है और इसके बाद नए उप प्रधानमंत्री कार्यभार संभाल लेंगे।

अदालत के फैसले से पद से हटाई गईं पाइतोंग्तार्न

थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने मंगलवार को पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा को मंत्री पद की नैतिकता का उल्लंघन करने का दोषी मानते हुए प्रधानमंत्री पद से सस्पेंड कर दिया। कोर्ट का यह फैसला उस विवाद के बाद आया, जिसमें पाइतोंग्तार्न का एक ऑडियो लीक हुआ था। इसमें वे कंबोडिया के नेता हुन सेन को ‘चाचा’ कहकर संबोधित कर रही थीं और थाई सेना प्रमुख के खिलाफ टिप्पणी कर रही थीं।

कंबोडिया और थाईलैंड के बीच पहले से ही सीमा विवाद चल रहा है, ऐसे में सेना को लेकर की गई टिप्पणी विपक्ष के लिए बड़ा हथियार बन गई। पाइतोंग्तार्न पर आरोप लगे कि उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया और सेना की छवि खराब की। इस प्रकरण के बाद उनके नेतृत्व वाले गठबंधन के कुछ दल अलग हो गए और देशभर में हजारों लोग विरोध प्रदर्शन करने लगे।

सूर्या को क्यों मिला एक दिन का कार्यकाल?

सूर्या जुंगरुंगरेंगकिट थाई राजनीति में ‘मौसम विज्ञानी’ के तौर पर जाने जाते हैं। वे लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं और हमेशा सत्ता पक्ष का हिस्सा बने रहे हैं। बुधवार को उन्हें अंतरिम तौर पर कार्यवाहक प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई। गुरुवार को नए उप प्रधानमंत्री के तौर पर गृह मंत्री फुमथम वेचायाचाई शपथ लेंगे, जिसके साथ ही सूर्या का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा।

शिनवात्रा परिवार फिर संकट में

यह पहली बार नहीं है जब थाईलैंड की सत्ता से शिनवात्रा परिवार को बाहर किया गया है। 2001 में थाकसिन शिनवात्रा के साथ इस परिवार का राजनीतिक उदय हुआ। उन्होंने गरीबों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं और जबरदस्त जनसमर्थन हासिल किया। लेकिन थाकसिन की लोकप्रियता सेना और शहरी अभिजात्य वर्ग को खटकने लगी।

2006 में सेना ने तख्तापलट कर थाकसिन को सत्ता से बाहर कर दिया, और उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर देश से निर्वासित कर दिया गया। हालांकि थाकसिन की लोकप्रियता कायम रही और उन्होंने विदेश में रहते हुए भी राजनीति पर नियंत्रण बनाए रखा। उनके समर्थकों ने ‘रेड शर्ट्स’ आंदोलन के जरिये लगातार सरकारों को चुनौती दी।

अब एक बार फिर शिनवात्रा परिवार की सदस्य पाइतोंग्तार्न सत्ता से बाहर हो गई हैं। इससे संकेत मिलते हैं कि थाईलैंड की राजनीति में सेना बनाम शिनवात्रा परिवार का संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है।


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