बिहार एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान, फैसला पूरे देश पर लागू होगा
नई दिल्ली। बिहार विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को महत्वपूर्ण टिप्पणी की। अदालत ने भारत निर्वाचन आयोग को चेताते हुए कहा कि यदि बिहार चुनाव के किसी भी चरण में आयोग की प्रक्रिया में अवैधता पाई जाती है, तो पूरी चुनाव प्रक्रिया रद्द कर दी जाएगी। अदालत ने साफ किया कि एसआईआर पर दिया जाने वाला अंतिम फैसला केवल बिहार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे देश पर लागू होगा।
अदालत का स्पष्ट रुख
सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था है और उससे अपेक्षा की जाती है कि वह चुनावों में पारदर्शिता और कानून के अनुपालन को सुनिश्चित करे। पीठ ने यह भी कहा कि एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) पर अदालत आंशिक राय नहीं दे सकती। इसका कारण यह है कि यदि बिहार में आयोग द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली पर सवाल उठता है, तो वही प्रक्रिया देश के अन्य राज्यों में भी लागू होती है। इसलिए अदालत का फैसला पूरे भारत पर प्रभाव डालेगा।
7 अक्टूबर को होगी अंतिम सुनवाई
अदालत ने मामले में अंतिम दलीलें सुनने के लिए 7 अक्टूबर की तारीख तय की है। अदालत ने संकेत दिया है कि तब तक आयोग को अपनी प्रक्रिया और उससे संबंधित सभी विवरण स्पष्ट करने होंगे। अदालत ने यह भी जोड़ा कि यदि आयोग ने कहीं भी कानून या अनिवार्य नियमों की अनदेखी की, तो न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में एसआईआर को प्रभावित माना जाएगा।

क्या है एसआईआर?
विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) चुनावी प्रक्रिया का वह चरण है, जिसमें मतदाता सूची की शुद्धता और उसमें शामिल नामों की जांच की जाती है। इसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी मतदाता सूची से बाहर न रह जाए और न ही फर्जी नाम दर्ज हों। यह प्रक्रिया चुनाव की पारदर्शिता और विश्वसनीयता के लिए बेहद अहम मानी जाती है।
चुनाव आयोग पर निगरानी
सर्वोच्च न्यायालय की इस सख्ती ने चुनाव आयोग पर दबाव बढ़ा दिया है। आयोग को यह साबित करना होगा कि उसने बिहार में एसआईआर की प्रक्रिया पूरी तरह से कानून और नियमों के अनुसार अपनाई है। अदालत की यह टिप्पणी देशभर में आगामी चुनावों की तैयारियों के लिए भी एक नजीर बनेगी।
पूरे देश पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला केवल बिहार तक सीमित नहीं रहेगा। यदि आयोग की प्रक्रिया को वैध करार दिया जाता है, तो यह पूरे भारत में लागू होगी। वहीं, अगर इसमें खामियां पाई जाती हैं, तो पूरे देश की चुनावी प्रणाली पर असर पड़ सकता है। यह फैसला भविष्य में मतदाता सूचियों और चुनावी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने में मददगार साबित हो सकता है।
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