ऑनलाइन गेमिंग कानून को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित
नई दिल्ली। ऑनलाइन गेमिंग को रेगुलेट करने वाले नए कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बड़ा अपडेट आया है। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को आदेश दिया कि देशभर के विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित इन मामलों को अब सुप्रीम कोर्ट में ही सुना जाएगा।
केंद्र सरकार की अपील पर आदेश
यह फैसला जस्टिस जे.बी. पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार की याचिका पर सुनाया। केंद्र ने मांग की थी कि अलग-अलग हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया जाए, ताकि कानून की संवैधानिकता पर एक समान और अंतिम निर्णय दिया जा सके।

किन हाईकोर्ट में लंबित थे मामले?
- दिल्ली उच्च न्यायालय
- मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय
- कर्नाटक उच्च न्यायालय
इन अदालतों में ऑनलाइन गेमिंग से जुड़ी कंपनियों और संस्थाओं ने याचिकाएं दायर की थीं।
दिल्ली हाईकोर्ट का मामला
दिल्ली उच्च न्यायालय में यह याचिका ऑनलाइन कैरम कंपनी “बघीरा कैरम प्राइवेट लिमिटेड” ने दायर की थी।
- याचिकाकर्ता के वकील हर्ष जायसवाल और आद्या मिश्रा ने दलील दी थी कि यह कानून मनमाना और भ्रमपूर्ण है।
- अदालत ने तब कहा था कि सरकार इस कानून को लागू करने के लिए संभवतः कोई प्राधिकार (Authority) गठित कर रही होगी और इसके लिए नियम (Rules) बनाए जा रहे होंगे।
केंद्र सरकार का रुख
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार जल्द ही ऑनलाइन गेमिंग रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन करेगी। इस प्राधिकरण के जरिए कानून के प्रावधानों को लागू किया जाएगा और कंपनियों की आशंकाओं का समाधान किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का महत्व
अब चूंकि सभी मामले सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित हो गए हैं, इसलिए—
- इस कानून की संवैधानिक वैधता पर एकसमान फैसला आएगा।
- कंपनियों और राज्यों के बीच उत्पन्न विधिक असमंजस समाप्त होगा।
- ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के लिए एक स्पष्ट दिशा-निर्देश तय होंगे।
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