नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग (ECI) को निर्देश दिया है कि वह मतदान के वास्तविक आंकड़े 48 घंटे के भीतर प्रकाशित करने की मांग पर विचार करे। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह आदेश एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।

इसके साथ ही एडीआर और महुआ मोइत्रा को 10 दिनों के भीतर चुनाव आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।


याचिका में क्या कहा गया है?

यह याचिका मई 2024 में लोकसभा चुनाव के दौरान दाखिल की गई थी। इसमें दावा किया गया कि निर्वाचन आयोग मतदान के आंकड़ों को प्रकाशित करने में अनावश्यक देरी कर रहा है। इससे चुनावी प्रक्रिया पर संदेह उत्पन्न हो रहा है और आंकड़ों में संभावित बदलाव की आशंका बढ़ रही है।

याचिका में उदाहरण देते हुए कहा गया है कि:

  • पहले चरण का मतदान19 अप्रैल 2024 को हुआ था, लेकिन इसके आंकड़े 11 दिनों बाद जारी किए गए।
  • दूसरे चरण का मतदान26 अप्रैल 2024 को हुआ, लेकिन इसके आंकड़े 4 दिनों बाद जारी किए गए।

चुनाव आयोग की देरी पर उठे सवाल

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि निर्वाचन आयोग द्वारा मतदान के शुरुआती और अंतिम आंकड़ों में 5% से अधिक का अंतर पाया गया। इससे मतदाताओं के मन में संदेह उत्पन्न हो रहा है।

याचिकाकर्ताओं की मांग:

  1. निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह 48 घंटे के भीतर मतदान के सटीक आंकड़े जारी करे।
  2. मतदान के बाद तुरंत पारदर्शी तरीके से वोटिंग डेटा सार्वजनिक किया जाए।

अदालत का फैसला और आगे की प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने इस पर गहरी चिंता जताई और निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि वह मतदान के आंकड़े समय पर जारी करने के संबंध में विचार करे। अदालत ने कहा कि लोकतंत्र में पारदर्शिता बनाए रखना बेहद जरूरी है, और इस मामले में निर्वाचन आयोग को स्पष्ट जवाब देना होगा।

आगे क्या होगा?

  • ADR और महुआ मोइत्रा को 10 दिनों के भीतर चुनाव आयोग के सामने अपना पक्ष रखने को कहा गया है।
  • इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी, जिसमें चुनाव आयोग को अपना जवाब पेश करना होगा।

लोकतंत्र और पारदर्शिता पर अहम बहस

यह मामला चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता से जुड़ा हुआ है। अगर सुप्रीम कोर्ट मतदान आंकड़े 48 घंटे में प्रकाशित करने का आदेश देता है, तो यह भविष्य में मतदान प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और विश्वास बहाल करने में मदद करेगा। अब सबकी नजरें 28 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं।

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