कानून तोड़ने वाले कानून कैसे बना सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने उठाया अहम सवाल
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दोषी सांसदों और विधायकों के आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी है। अदालत ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को तीन हफ्ते में जवाब देने का निर्देश दिया है। यदि वे जवाब नहीं भी देते, तब भी अदालत इस मामले को आगे बढ़ाएगी। अगली सुनवाई 4 मार्च को होगी।
सुनवाई के दौरान जस्टिस मनमोहन और दीपांकर दत्ता की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा, “यदि किसी सरकारी कर्मचारी को दोषी ठहराया जाता है, तो वह जीवनभर के लिए सेवा से बाहर हो जाता है। फिर दोषी नेता संसद या विधानसभा में कैसे लौट सकते हैं? कानून तोड़ने वाले कानून बनाने का कार्य कैसे कर सकते हैं?”
सुप्रीम कोर्ट ने उठाए गंभीर सवाल
📌 दोषी नेताओं पर सिर्फ 6 साल के प्रतिबंध का औचित्य क्या?
📌 दोषी व्यक्ति सरकारी नौकरी नहीं कर सकता, फिर चुनाव क्यों लड़ सकता है?
📌 राजनीतिक दलों को क्या गंभीर अपराधियों को पदाधिकारी बनाने से रोका जा सकता है?
📌 क्या चुनाव आयोग इस संबंध में कोई ठोस नियम बना सकता है?
एमपी-एमएलए कोर्ट की धीमी प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट नाराज
इस मामले में निचली अदालतों और एमपी-एमएलए कोर्ट में लंबित मामलों की धीमी सुनवाई पर भी सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई।
जस्टिस मनमोहन ने कहा कि दिल्ली की निचली अदालतों में एक या दो मामले ही सूचीबद्ध किए जाते हैं और जज 11 बजे तक अपने चेंबर में चले जाते हैं।
एमिक्स क्यूरे विजय हंसारिया ने अदालत को बताया कि कई राज्यों में बार-बार सुनवाई टाली जाती है, बिना किसी उचित कारण के। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि “अब भी कई राज्यों में एमपी-एमएलए कोर्ट गठित नहीं किए गए हैं।”
जनप्रतिनिधित्व कानून की समीक्षा करेगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 8 और 9 की समीक्षा करेगा। ये धाराएं आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए गए जनप्रतिनिधियों की अयोग्यता से संबंधित हैं।
📌 धारा 8:
👉 किसी भी आपराधिक मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति को 6 साल तक चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करती है।
👉 गंभीर अपराधों में दोषी पाए गए नेताओं पर सजा पूरी होने के बाद भी 6 साल तक चुनाव लड़ने की पाबंदी होती है।
📌 धारा 9:
👉 भ्रष्टाचार या सरकारी पद के दुरुपयोग के मामलों में दोषी नेताओं पर प्रतिबंध लगाती है।
**सुप्रीम कोर्ट इस बात की समीक्षा करेगा कि क्या दोषी नेताओं को *आजीवन चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है* और क्या राजनीतिक दलों को ऐसे व्यक्तियों को पार्टी पदाधिकारी बनाने से रोका जाना चाहिए।
भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई
यह याचिका भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर की गई थी। इसमें मांग की गई है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को राजनीति में भाग लेने से प्रतिबंधित किया जाए।
आगे क्या होगा?
📌 चुनाव आयोग और केंद्र को 3 हफ्तों में जवाब देना होगा।
📌 सुप्रीम कोर्ट 4 मार्च को अगली सुनवाई में आगे की कार्रवाई तय करेगा।
📌 यदि केंद्र और चुनाव आयोग जवाब नहीं देते, तो भी अदालत मामले को आगे बढ़ाएगी।
📌 जनप्रतिनिधित्व कानून की समीक्षा की जाएगी, जिससे दोषी नेताओं के चुनाव लड़ने पर स्थायी प्रतिबंध लग सकता है।
क्या दोषी नेताओं पर लगेगा आजीवन प्रतिबंध?
यदि सुप्रीम कोर्ट इस याचिका को मंजूर करता है और दोषी नेताओं के आजीवन चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश देता है, तो यह भारतीय राजनीति में एक ऐतिहासिक बदलाव होगा। इससे स्वच्छ राजनीति को बढ़ावा मिलेगा और अपराधियों को राजनीति में आने से रोका जा सकेगा।
अब सबकी नजरें 4 मार्च की अगली सुनवाई पर टिकी हैं! 🚨