सुप्रीम कोर्ट का आदेश: बिहार मतदाता सूची विशेष पुनरीक्षण में आधार कार्ड होगा मान्य
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट कर दिया कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान आधार कार्ड को भी पहचान पत्र के रूप में मान्य किया जाएगा। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्वाचन आयोग को आदेश दिया कि वह इस बारे में सभी बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) को निर्देश जारी करे।
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कपिल सिब्बल ने उठाया सवाल
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि यह तय होना चाहिए कि आधार कार्ड को SIR के दौरान पहचान दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए या नहीं।
- उन्होंने कहा कि कोर्ट के पहले से तीन आदेश हैं कि आधार को 12वें दस्तावेज के रूप में माना जाएगा, लेकिन बीएलओ इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
- सिब्बल ने यह भी साफ किया कि हम आधार को नागरिकता का प्रमाण पत्र नहीं मान रहे, बल्कि केवल पहचान के लिए दस्तावेज मान्य करने की मांग कर रहे हैं, ताकि मतदाता वोट डाल सकें।
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निर्वाचन आयोग का जवाब
निर्वाचन आयोग की ओर से कहा गया कि इस संबंध में अभी तक बीएलओ को कोई निर्देश जारी नहीं किए गए हैं।
- इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को आदेश दिया कि बीएलओ को स्पष्ट निर्देश भेजे जाएं कि आधार कार्ड भी वैध पहचान दस्तावेज है।
सुप्रीम कोर्ट का स्पष्टीकरण
- कोर्ट ने कहा कि आधार कानून के अनुसार यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है, लेकिन जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 23(4) के तहत इसे पहचान दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया गया है।
- कोर्ट ने निर्वाचन आयोग के उस बयान को रिकॉर्ड पर लिया जिसमें आयोग ने कहा कि आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया जाएगा।
- साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया कि निर्वाचन अधिकारी मतदाताओं द्वारा दिए गए आधार कार्ड की सत्यता की जांच करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
पहले के आदेश
- 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान जिन लोगों का नाम वोटर लिस्ट से छूट गया है, वे ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं और इसके लिए फिजिकल फॉर्म भरना जरूरी नहीं है।
- 8 सितंबर को कोर्ट ने आदेश दिया था कि पैरा लीगल वालंटियर्स ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर दावा-आपत्ति दर्ज करने में मतदाताओं की मदद करेंगे।
- निर्वाचन आयोग ने कोर्ट को बताया था कि दावे और आपत्ति कभी भी दाखिल की जा सकती है, इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं है।
बड़ा महत्व क्यों?
इस आदेश के बाद अब बिहार में मतदाता सूची विशेष पुनरीक्षण में आधार कार्ड को भी वैध पहचान दस्तावेज माना जाएगा। इससे—
- अधिक लोगों के नाम वोटर लिस्ट में जुड़ पाएंगे।
- पहचान को लेकर आ रही दिक्कतें कम होंगी।
- मतदाताओं का भरोसा मजबूत होगा कि उनका वोट सुरक्षित रहेगा।
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