तीन बार मौका मिलने के बावजूद तख्त के समक्ष पेश नहीं हुए SAD अध्यक्ष, पंजाब की सियासत में मचा हलचल

सुखबीर बादल को तख्त श्री पटना साहिब ने तनखैया घोषित किया

चंडीगढ़। पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब ने तनखैया घोषित कर दिया है। सिख धार्मिक मर्यादाओं और पंज प्यारों के आदेशों की अवहेलना करने के आरोप में यह फैसला शनिवार को तख्त के पंज प्यारों ने सुनाया।


📜 क्यों किया गया तनखैया घोषित?

तख्त प्रबंधन के अनुसार, सुखबीर बादल को 21 मई और 1 जून को दो बार पेश होने का मौका दिया गया था। इसके बाद भी वे तख्त के सामने हाजिर नहीं हुए। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी के विशेष अनुरोध पर उन्हें 20 दिन का अतिरिक्त समय भी दिया गया, लेकिन तीसरे अवसर पर भी वह पेश नहीं हुए

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⚖️ क्या हैं आरोप?

  • सिख सिद्धांतों और मर्यादाओं का उल्लंघन।
  • तख्त पटना साहिब की प्रबंधक समिति के अधिकारों में दखल।
  • 9 और 10 मई 2023 को समिति की बैठकों में लिए गए फैसलों को खुली चुनौती दी।
  • एक सोची-समझी साजिश में शामिल होना, जिसकी पुष्टि पंज प्यारों की जांच में हुई है।

🕍 पहले भी हो चुके हैं तनखैया

यह कोई पहला मौका नहीं है जब सुखबीर बादल को तनखैया घोषित किया गया हो।
दिसंबर 2024 में अकाल तख्त साहिब ने भी उन्हें

  • डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को माफ करने की सिफारिश
  • और बेअदबी मामलों पर कार्रवाई न करने को लेकर
    तनखैया घोषित किया था।

🗣️ राजनीतिक असर – विपक्ष ने किया हमला तेज

तख्त पटना साहिब के इस फैसले का असर पंजाब की सियासत में तुरंत दिखाई दिया। विपक्षी दलों ने सुखबीर बादल की धार्मिक आस्थाओं पर सवाल उठाते हुए उन्हें सिख मर्यादा का अपमान करने वाला बताया
आप और कांग्रेस के नेताओं ने सोशल मीडिया पर बयान देते हुए SAD को जवाबदेह ठहराया


📚 तनखैया क्या होता है?

‘तनखैया’ सिख धर्म में एक धार्मिक सजा है, जो सिख मर्यादा, सिद्धांतों या धार्मिक आदेशों का उल्लंघन करने वालों को दी जाती है।

  • यह सजा पांच प्यारों के आदेश पर दी जाती है,
  • और व्यक्ति को माफी मांगने के लिए तख्त के समक्ष पेश होना पड़ता है
  • माफी की शर्तें पूरी करने के बाद ही व्यक्ति को सिख समाज में पुनः स्वीकार किया जाता है।

🧩 आगे क्या?

अब सुखबीर बादल के पास तख्त के समक्ष पेश होकर माफी मांगने का ही विकल्प है।
यदि वे ऐसा नहीं करते, तो धार्मिक एवं राजनीतिक स्तर पर उनकी छवि को गहरा नुकसान हो सकता है। SAD के लिए यह समय आंतरिक चुनौतियों और छवि सुधार का है।


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